दुशानबे: ताजिकिस्तान सरकार ने मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब पर आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके लिए ताजिकिस्तानी संसद के निचले सदन ने 8 मई को एक विधेयक पारित किया था जिसे 19 जून को मंजूरी मिल गई थी।
हिजाब को “विदेशी पहनावा” करार देने वाले राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने इस कदम का समर्थन किया है। मध्य एशिया में स्थित ताजिकिस्तान में लगभग एक करोड़ मुस्लिम रहते हैं। इनकी आबादी ताजिकिस्तान की कुल आबादी की 90 फीसदी है। यहां रहने वाले मुस्लिम इस्लाम के अलग-अलग पंथों को फॉलो करते हैं।
नया कानून क्या कहता है?
पूराने कानून में संशोधन कर राष्ट्रीय संस्कृति के लिए विदेशी समझे जाने वाले कपड़ों के आयात, बिक्री, प्रमोशन और इस्तेमाल पर बैन लगाया गया है जिसमें हिजाब भी शामिल है। इस कानून को तोड़ने वालों को आठ हजार से लेकर 65 हजार सोमोनी (60 हजार से पांच लाख रुपए) तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
केवल हिजाब ही नहीं ईदी भी हुआ है बैन
यही नहीं इस कानून को पालन करने में अगर सरकारी और धार्मिक अधिकारी विफल रहते हैं, उन्हें तीन लाख और पांच लाख रुपए के बराबर से भी अधिक का जुर्माना देना पड़ सकता है। ईद के दिन घर वालों द्वारा एक दूसरे को पैसे देने की प्रथा जिसे ईदी भी कहा जाता है, उसे भी राष्ट्रपति रहमोन की सरकार ने बैन कर दिया है।
क्यों किया है हिजाब को बैन
राष्ट्रपति रहमोन की सरकार “ताजिकी” संस्कृति को ज्यादा बढ़ावा देती है और सार्वजनिक धार्मिकता को कम करने पर जोर देते हैं। इस तरह के बैन से राष्ट्रपति रहमोन पुरवजों के मुल्यों को बरकरार रखने और देश की संस्कृति की रक्षा करने की बात करते हैं।
साल 1994 से लगातार ताजिकिस्तान की सत्ता संभाल रहे राष्ट्रपति रहमोन कई सालों से देश में धार्मिक राजनीतिक दलों का विरोध करते आ रहे हैं।
इस्लामी और पश्चिमी देशों के ड्रेस के भी वे खिलाफ हैं
राष्ट्रपति धर्म के सार्वजनिक प्रदर्शन के भी खिलाफ हैं। उनकी सरकार ने धार्मिक अभिव्यक्तियों पर बैन लगाने के लिए कई कानून को भी पास किया है। उन्होंने 2007 में इस्लामी और पश्चिमी देशों से प्रभावित कपड़ों पर प्रतिबंध लाने वाले एक कानून भी पास किया था।
देश मे बढ़ी है धार्मिकता
सोवियत काल के बाद जब से राष्ट्रपति रहमोन ने ताजिकिस्तान का सत्ता संभाला है तब से यहां की आबादी के बीच धार्मिकता में भारी इजाफा देखा गया है। इस दौरान कई मस्जिदें और इस्लामी अध्ययन समूह भी बनाए गए हैं।
क्या कहते हैं जानकार
इससे जुड़े कुछ जानकारों का कहना है कि लोगों के बीच धार्मिकता को कम करने के लिए राष्ट्रपति रहमोन की सरकार ने ऐसा कदम उठाया है। वहीं कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि कई मध्य एशियाई देशों में कट्टरपंथी इस्लाम से खतरा और भी बढ़ गया है। इस कारण ताजिकिस्तान जैसे देश में इस तरह के फैसले लिए गए हैं।
पारंपरिक ताजिकी पोशाक पहनने पर देती है रहमोन की सरकार जोर
हालांकि इन सब के बावजूद राष्ट्रपति रहमोन की सरकार इस्लामी पोशाक के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा है। उनकी सरकार ताजिकिस्तान की महिलाओं को पारंपरिक ताजिकी पोशाक पहनने का आग्रह करते आ रही है।
महिलाओं को पारंपरिक ताजिकी पोशाक पहनने के लिए रहमोन की सरकार ने कई कदम भी उठाए हैं। इसके लिए देश की महिलाओं को अटोमेटिक कॉल कर इसके लिए प्रेरित किया गया है। यही नहीं किन पोशाकों को पहनने चाहिए इसके लिए उनकी सरकार द्वारा एक गाइडबुक भी प्रकाशित किया गया है।
इन मुस्लिम देशों ने भी किया है हिजाब को बैन
कई मुस्लिम-बहुल देशों ने सार्वजनिक स्कूलों और विश्वविद्यालयों या सरकारी अधिकारियों के लिए बुर्का और हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन देशों में कोसोवो, अजरबैजान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देश शामिल हैं।
इस बैन के बाद अब इस लिस्ट में ताजिकिस्तान भी शामिल होने वाला है। कजाकिस्तान ने पिछले साल अक्टूबर में अपने यहां यह प्रतिबंध लगाया था।
ताजिकिस्तान में यह भी है बैन
ताजिकिस्तान में किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने पर काले कपड़े पहनना भी बैन है। इस अवसर पर काले कपड़े के बजाय सफेद हेडस्कार्फ के साथ नीले रंग की पोशाक पहनने की इजाजत है।
यही नहीं यहां पर अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 सालों में हजारों युवाओं को पुलिस द्वारा रोका गया है और उनकी इच्छा के बेगैर उनकी दाढ़ी काटी गई है। यही नहीं यहां पर कुछ खास जगहों पर नामाज पढ़ने पर भी रोक है।