क्या है DEI जिसको लेकर ट्रंप रहे हैं हमलावर?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप डीईआई नीतियों के खिलाफ रहे हैं। डीईआई यानी डाइवर्सिटी, इक्विटी, इंक्लूजन होता है। इसका उद्देश्य अमेरिकी कार्यालयों में विविधता, हिस्सेदारी और समावेश को बढ़ाना है।

DONALD TRUMP AMERICA,three planes passed over trump's resort

DEI के खिलाफ क्यों हैं डोनॉल्ड ट्रंप?

अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडन के द्वारा शुरू की गई DEI नीतियों के खिलाफ रहे हैं। इसको लेकर ट्रंप ने पहले दिन कार्यकारी अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए थे। डीईआई यानी डाइवर्सिटी, इक्विटी, इंक्लूजन (समानता, हिस्सेदारी, समावेशी) होता है। ऐसे में जानेंगे कि इसका मतलब क्या है और राष्ट्रपति ट्रंप इन नीतियों के खिलाफ क्यों हमलावर रहे हैं? 

डीईआई का उद्देश्य कार्यस्थल पर विविधता, हिस्सेदारी और समावेश बढ़ाना है। इसको लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने साल 2021 में एक कार्यकारी अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए थे जिससे देश के कार्यस्थलों पर विविधता और बराबरी के साथ-साथ सभी का समावेश भी हो। कार्यकारी अध्यादेश में डीईआई को कुछ इस तरह निर्देशित किया गया था। 

डायवर्सिटी (विविधता) - इसके तहत कार्यस्थलों पर कई समुदायों, पहचान, जाति, संस्कृति के साथ-साथ ऐसे समुदायों को मौका देना है जो वंचित समुदाय से आते हैं। बाइडन प्रशासन का ऐसा मानना है कि इससे विविधता आएगी। 

इक्विटी (हिस्सेदारी) - सभी लोगों को सिर्फ शामिल ही नहीं करना है बल्कि इसके साथ-साथ यह भी ध्यान देना है कि उन लोगों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न हो और उनके साथ उचित व्यवहार किया जा सके। 

इंक्लूजन (समावेशन) - इसका उद्देश्य सभी पृष्ठभूमियों से आने वाले कर्मचारियों की प्रतिभा का सम्मान करना है और उनके कौशल की पहचान कर सराहना करना है। 

बाइडन का आदेश

बाइडन द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश में यह भी कहा गया था कि इसमें पहुंच का भी ध्यान रखना चाहिए। इसे इस तरह से परिभाषित किया गया था कि इसमें विकलांग लोग भी शामिल हो सकें और सभी लोग स्वतंत्र रूप से इसका उपयोग कर सकें। 

हालांकि बाइडन द्वारा डीईआई के संबंध में लाया गया अध्यादेश कोई पहला प्रयास नहीं था। इससे पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने भी इस दिशा में कुछ कदम उठाए थे। उस दौरान रूजवेल्ट ने रक्षा ठेकेदारों को काम पर रखते समय नस्लीय भेदभाव पर प्रतिबंध लगाया था। 

इसके बाद 1960 के दशक में भी इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए। तब नागरिक अधिकार आंदोलन चल रहा था और इस दौरान नागरिक अधिकार अधिनियम-1964 लाया गया। इस अधिनियम के तहत किसी भी नौकरी के लिए धर्म, रंग, लिंग और नस्ल आदि के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगाया गया था। 

साल 2020 में अमेरिकी में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस द्वारा हत्या के बाद पूरे देश और दुनिया में आक्रोश फैला था। जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या को लेकर 'ब्लैक लाइव्स मैटर' नाम से पूरे देश में आंदोलन चलाया गया था। उसके बाद ही बाइडन द्वारा यह अध्यादेश लाया गया था। 

डीईआई के खिलाफ क्यों हैं ट्रंप? 

डोनाल्ड ट्रंप को पिछले कार्यकाल के दौरान से ही प्रगतिशील राजनीति और नीतियों के खिलाफ बोलते रहे हैं। इस वजह से उन्हें अमेरिकी रूढ़िवादियों के वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। डीईआई की नीतियों को ट्रंप के समर्थक श्वेत नागरिकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण मानते हैं। 

इसको लेकर कई ट्रंप समर्थक अलग-अलग मुद्दों पर भी डीईआई को दोष देते रहे हैं। हाल ही में एक अमेरिकी एयरलाइंस की उड़ान की एक सैन्य हेलीकॉप्टर के साथ हवा में टक्कर के बाद डोनॉल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया था कि यह सीधे डीईआई-केंद्रित भर्ती प्रथाओं का परिणाम था। हालाँकि अभी तक इस विषय में कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। 


अमेरिका में ट्रंप की वापसी के बाद मेटा, अमेजन और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियों में डीईआई पहल वापस ले ली है। जबकि एप्पल, कोस्टको, गोल्डमैन सैच्स और सिसको जैसी कंपनियां डीईआई को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। 

डोनॉल्ड ट्रंप ने शपथ लेते ही पहले दिन 80 कार्यकारी अध्यादेशों पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें एक अध्यादेश डीईआई को लेकर भी था। इस अध्यादेश में कहा गया था कि डीईआई पहल के अंत की निगरानी रखने का निर्देश देने के साथ-साथ डीईआई में शामिल कर्मचारियों की रिपोर्ट 60 दिन में पेश करने को कहा गया। 

इसके अगले दिन ट्रंप ने एक और कार्यकारी अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें नौकरी के अवसरों में अवैध भेदभाव को समाप्त कर योग्यता आधारित अवसरों को बहाल करने का आदेश दिया गया था। 

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