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वॉशिंगटन: अमेरिका के प्लोरिडा में मिल्टन तूफान दस्तक दे चुका है। यह तूफान श्रेणी तीन के रूप में प्रवेश किया है जो फ्लोरिडा के पश्चिमी तट पर 195 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया है।
कुछ घंटों के बाद तूफान की रफ्तार में कमी आई है और इसकी गति घटकर 165 किलोमीटर प्रति घंटे हो गई है। इस कारण इसकी श्रेणी में भी गिरावट आई है और यह श्रेणी दो में शामिल हो गया है।
मिल्टन तूफान के कारण फ्लोरिडा में अब तक भारी तबाही हुई है। इसके चलते यहां के 1.8 मिलियन (18 लाख) से अधिक घरों की बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। तूफान के कारण यहां पर कई बवंडर और बाढ़ की खबर सामने आई है।
संदिग्ध बवंडर के बाद फोर्ट पियर्स में दो लोगों की जान भी चली गई है। स्थानीय अधिकारियों ने अनुमान लगाते हुए सेंट लूसी में 100 से अधिक घरों के बर्बाद होने का दावा किया है। यहां पर 17 बवंडरों को दर्ज किया गया है।
किसी भी तरह की घटना से निपटने के लिए नौ हजार से अधिक नेशनल गार्ड कर्मियों को तैनात किया गया है। यही नहीं 50 हजार बिजली ग्रिड के कर्मचारियों को भी तैयार रहने को कहा गया है। इससे पहले पिछले महीने हेलन हरिकेन ने भी यहां पर जबरदस्त तबाही मचाई थी।
इस तबाही में कई घरों और व्यापारों को नुकसान पहुंचा था और इसमें कम से कम 200 लोगों की जान गई थी। एक तरफ मिल्टन तूफान तबाही मचा रहा है वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर इसे लेकर कई अजीबो गरीब दावे भी किए जा रहे हैं। यूजरों के इन दावे में कितनी सच्चाई है, आइए यह जान लेते हैं।
मिल्टन तूफान से जुड़े दावे
दरअसल, मिल्टन तूफान को लेकर रिपब्लिकन लीडर मार्जोरी टेलर ग्रीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की थी। पोस्ट में ग्रीन ने मिल्टन तूफान को लेकर यह दावा किया था कि सरकार मौसम को कंट्रोल कर सकती है।
Yes they can control the weather.
It’s ridiculous for anyone to lie and say it can’t be done.
— Marjorie Taylor Greene 🇺🇸 (@mtgreenee) October 4, 2024
ग्रीन का यह दावा सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी किया था। इसके बाद से कई यूजरों द्वारा तूफान को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि मिल्टन तूफान कोई तूफान नहीं है बल्कि यह एक सोची समझी साजिश है। कुछ यूजरों का यह भी दावा है कि यह तूफान कुदरती नहीं है बल्कि इसे इंसानों द्वारा बनाया गया है।
इन दावों में सबसे ज्यादा जिस दावे की चर्चा हो रही है, वह मौसम के साथ छेड़छाड़ करना है। दावा है कि क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिए तूफान के साथ छेड़छाड़ की गई है जिससे यह तबाही का रूप ले लिया है।
हालांकि एक्सपर्ट ने इन दावों को खारिज किया है और कहा है कि मिल्टन तूफान में क्लाउड सीडिंग तकनीक को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) समेत कई और जानकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि तूफान जैसी विशाल प्रणालियों में ऐसे संशोधन असंभव हैं।
जानकारों का तर्क है कि यह तकनीक उस क्षेत्र में काम करती है जहां पर नमी की मात्रा कम होती है, लेकिन मेक्सिको की खाड़ी में यह संभव नहीं है जहां पर पहले ही अधिक नमी है।
सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी सरकार की HAARP (हाई-फ़्रीक्वेंसी एक्टिव ऑरोरल रिसर्च प्रोग्राम) परियोजना के जरिए मौसम में हेरफेर कर यह तूफान को तैयार किया गया है।
इस परियोजना पर बहुत पहले से यह आरोप लगते आ रहे हैं कि इसके जरिए मौसम को कंट्रोल किया जाता है। हालांकि ताजा दावे पर HAARP वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना ऊपरी वायुमंडल के अध्ययन पर केंद्रित है और इसे मौसम को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
यही नहीं यूजरों द्वारा तूफान को लेकर आपदा में मदद करने वाली सरकारी एजेंसी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) पर भी आरोप लगाए गए हैं। सोशल मीडिया पर दावे किए गए हैं कि एजेंसी द्वारा लोगों को मदद नहीं बल्कि कर्ज दिया जा रहा है। हालांकि एजेंसी ने इन दावों को खारिज किया है।
दावे पर बोलते हुए एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा है कि फेमा द्वारा लोगों को दिए गए पैसे वापस नहीं लिए जाते हैं। इसके आलावा सोशल मीडिया पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का एक फर्जी वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें तूफान की तैयारियों को कोरोना के टीके के साथ गलत तरीके से जोड़ा गया है।
दावों पर जानकारों का क्या कहना है
सोशल मीडिया पर किए गए दावों को लेकर एक्सपर्टों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि मिल्टन तूफान की तीव्रता का असली कारण जलवायु परिवर्तन है। उनका यह भी कहना है कि इस तरह के तूफान के पीछे मनुष्य जिम्मेदार होते हैं।
एक्सपर्ट कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और जिस तरीके से समुद्र की सतह के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, इससे इस तरह के शक्तिशाली तूफान आ रहे हैं।
जानकारों का यह भी कहना है कि मेक्सिको की खाड़ी में तूफान मिल्टन और भी शक्तिशाली हो गया है क्योंकि वहां पानी सामान्य से 1-2°C अधिक गर्म था। आमतौर पर गर्म महासागरों के कारण तेज हवाएं और भारी बारिश होती है।
समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण बाढ़ के आने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है जो इस तरह के तूफान और भी खतरनाक बना देता है। इन सब कारणों ने तूफान को और भी शक्तिशाली होने में उसकी मदद की है।