पेरिस: फ्रांस के कब्जे वाले विदेशी टापू न्यू कैलेडोनिया में दंगा भड़क जाने के कारण वहां पर इमरजेंसी लगा दी गई है। यहां पर लगातार तीन दिन से जारी हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हो गये हैं।
हिंसा तब भड़की जब फ्रांसीसी सरकार ने टापू में मतदान के नियमों में बदलाव करने की बात कही थी। इसे लेकर वहां के लोगों ने विरोध जताया। इसके बाद हिंसा भड़क गई।
हालात को काबू में करने के लिए फ्रांस को वहां आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात करना पड़ा है। फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने कहा कि दंगे को काबू में करने के लिए आपातकाल की घोषणा की गई है।
न्यू कैलेडोनिया में स्वदेशी समूह काफी समय से फ्रांस से आजादी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में फ्रांस से उन्हें आजादी तो नहीं मिल रही है लेकिन मतदान के नियमों में बदलाव किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोग भड़क गए हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, फ्रांस की नेशनल असेंबली ने स्थानीय चुनावों में फ्रांसीसी नागरिकों को वोट देने की बात कही थी। इसके लिए फ्रांस की संसद में एक विधेयक पास किया गया है। इसके पास होने से न्यू कैलेडोनिया में रहने वाले फ्रांसीसी लोगों को वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता।
न्यू कैलेडोनिया के कनक समुदाय ने इसका विरोध किया। उनका मानना है कि इस तरीके से फ्रांसीसी लोगों को वोट देने का अधिकार मिलने से यहां रह रहे मूल निवासियों के वोट की ताकत कम हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, फ्रांस के पास अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर वहां के रहने वालों का कंट्रोल नहीं है। साल 1946 में फ्रांस के अलावा आठ अन्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र को बताया था कि इस तरह के कुछ क्षेत्रें को वे कंट्रोल कर रहे हैं।
इसके बाद साल 1960 में संयुक्त राष्ट्र ने इन देशों से आग्रह किया था कि वे इन क्षेत्रों से अपना कंट्रोल हटा लें और वहां के लोगों को पावर दे दे।
क्या है न्यू कैलेडोनिया का इतिहास
साल 1853 में फ्रांस ने न्यू कैलेडोनिया पर कब्जा किया था। कब्जे के बाद यहां रह रहे कनक समुदाय आजादी की मांग करने लगा। साल 1980 में यहां पर भारी हिंसा भड़की थी और फिर एक समझौता हुआ था।
साल 1998 में नौमिया समझौता हुआ, जिससे यहां पर रहने वाले लोगों को अधिक अधिकार मिला था। इस विधेयक के पास होने को लेकर यहां फिर से हिंसा भड़क उठी है।