बांग्लादेश से भारत आईं शेख हसीना ब्रिटेन में लेना चाहती हैं 'शरण'? यूके में आश्रय लेने की क्यों इच्छा रखते हैं एशियाई नागरिक

केवल बांग्लादेश के ही नहीं बल्कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और पूर्व पाकिस्तान पीएम नवाज शरीफ ने भी ब्रिटेन में शरण लिया है।

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Why does Sheikh Hasina who came to India from Bangladesh want to take asylum in Britain Why UK first choice among Asian citizens seeking asylum

नई दिल्ली: पड़ोसी देश बांग्लादेश में हालात बिगड़ते देख पूर्व पीएम शेख हसीना अपनी बहन के साथ भारत पहुंच गई हैं। हालात बिगड़ते देख सोमवार को शेख हसीना ने बांग्लादेश के पीएम पद से इस्तीफा देकर भारत के लिए रवाना हो गई थीं जिसके बाद सेना ने कमान संभाल लिया है।

शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना सोमवार शाम को गाजियाबाद के हिंडन हवाई अड्डे पर उतर गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना आज रात भारत में रहेंगी और कल लंदन के लिए रवाना हो जाएंगी। दावा है कि उन्होंने ब्रिटेन से राजनीतिक शरण की मांग की है।

पिछले कई दिनों से बांग्लादेश में कोटा के विरोध में प्रदर्शन और हिंसा जारी है। रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और करीब एक हजार लोग घायल हुए हैं। देश के प्रमुख दैनिक 'द डेली स्टार' ने बताया कि तीन सप्ताह से जारी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 300 को पार कर गई है।

क्या है राजनीतिक शरण

राजनीतिक शरण एक तरह का आश्रय होता है जो एक देश दूसरे देश के नागरिकों को देता है। नागरिकों को यह आश्रय तभी दिया जाता है जब उनके देश में उन्हें कोई खतरा होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हसीना ने यूके में शरण के लिए आवेदन किया है।

यूके सरकार के नियमों के अनुसार, यहां पर आश्रय लेने वालों को पहले आवेदन करना पड़ता है और इसके स्वीकार होने के बाद दूसरे देश के नागरिक को ब्रिटेन में रहनी की इजाजत मिलती है।

नियम के अनुसार, राजनीतिक शरण लेने वाले अन्य देश के नागरिकों को ब्रिटेन से तब तक उन्हें उनके देश वापस नहीं भेजा जाता है जब तक उन्होंने यहां का कोई कानून नहीं तोड़ा हो।

ब्रिटेन में ही क्यों शरण लेना चाहती हैं शेख हसीना

रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के साथ भारत पहुंची उनकी बहन शेख रेहाना के पास ब्रिटेन का पासपोर्ट हैं और वे वहां की नागरिक हैं। यह भी एक कारण हो सकता है जिसके तहत वह ब्रिटेन में शरण लेना चाहती हो। यही नहीं पिछले कई सालों में एशियाई नागरिकों को शरण देने के मामले में ब्रिटेन ने अहम रोल अदा किया है।

बता दें कि ब्रिटेन में शरण लेने के नियम काफी आसान हैं और यहां की सरकार यहां शरण लिए हुए अन्य देश के नागरिकों को जल्दी अपने देश से निकालती भी नहीं है। ब्रिटेन में चाहे जिस पार्टी के हाथ में सत्ता हो, यहां पर शरण लेने वाले अन्य देशों के हर नागरिकों को समर्थन दिया जाता है।

ब्रिटेन मानवाधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन का पालन करता है। ऐसे में ब्रिटेन की अदालतें अगर यह मान लेती है कि प्रत्यर्पण का सामना करने वाले व्यक्ति को उसके देश वापस भेजने पर उसे प्रताड़ित किया जा सकता है या फिर उसे मौत की सजा हो सकती है। यही नहीं प्रत्यर्पण अगर राजनीति से भी प्रेरित होता है तो इस केस में भी कोर्ट प्रत्यर्पण के अनुरोध को अस्वीकर कर सकता है।

इसके आलावा ब्रिटेन में प्रत्यर्पण प्रक्रिया आमतौर पर धीमी होती है जिससे शरण लेने वाले नागरिकों के लिए यह एक सुरक्षित देश हो सकता है।

यही कारण है कि यूके एशियाई नागरिकों की पहली पसंद हैं। इन सब कारणों के चलते शेख हसीना के ब्रिटेन में शरण लेने के दावे को बल मिलता है।

बीएनपी के उपाध्यक्ष को भी यहां मिल चुका है शरण

ब्रिटेन ने बांग्लादेश के नेता को भी अपने यहां शरण दिया है। साल 2018 में शेख हसीना की सरकार ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को कुछ मामलों में दोषी ठहराया था और उन्हें जेल में डाल दिया था।

इसके बाद उनके बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के उपाध्यक्ष तारिक रहमान ने ब्रिटेन में शरण ले लिया था। वे लंदन से ही बीएनपी का कमान संभाल रहे हैं। रहमान ने शेख हसीना के चौथी बार सत्ता में वापस आने पर उनकी आलोचना भी की थी।

ब्रिटेन ने क्या कहा है

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने बांग्लादेश में लोकतंत्र को कायम रखने के लिए त्वरित से कार्रवाई का आह्वान किया है। इससे पहले डाउनिंग स्ट्रीट के एक प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन के पीएम बांग्लादेश में हाल में हुए हिंसा से बेहद दुखी हैं और जल्द ही शांति और सुरक्षा की वापसी की उम्मीद करते हैं।

पाकिस्तानी नेता ने भी ब्रिटेन में लिया है शरण

केवल बांग्लादेश के ही नहीं बल्कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और पूर्व पाकिस्तान पीएम नवाज शरीफ ने भी ब्रिटेन में शरण लिया है। साल 2017 में पनामा पेपर्स घोटाले से जुड़े मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को सजा सुनाई थी और उन्हें जीवन भर के लिए राजनीति करने से प्रतिबंधित कर दिया था।

वे पाकिस्तान की जेल में 14 साल की सजा काट रहे थे। ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा काट रहें नवाज शरीफ ने साल 2019 में इलाज के लिए ब्रिटेन गए थे। वे पिछले चाल सालों से लंदन में शरण लिए हुए हैं।

ये भारतीय भी यूके में ले चुके हैं शरण

ब्रिटेन में शरण लेने वालों की लिस्ट में कुछ हाई प्रोफाल भारतीयों का भी नाम आता है। इस लिस्ट में पूर्व आईपीएल चीफ ललित मोदी, किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने भी ब्रिटेन में शरण लिया हुआ है।

ललित मोदी और विजय माल्या के बीच-बीच में मीडिया के सामने आने की खबरे आते रहती हैं लेकिन हीरा व्यापारी नीरव मोदी साल 2019 से लंदन की एक जेल में बंद हैं।

इतने भारतीय गौरकानूनी तरीके से गए थे यूके

एक रिपोर्ट के अनुसार, नौकरी या फिर शरण की तलाश में पिछले साल करीब एक हजार से भी अधिक भारतीयों ने यूके का रुख किया था। उन लोगों ने छोटी नांवों से इंग्लिश चैनल को पार किया था और अपनी जान को जोखिम में डालकर ब्रिटेन पहुंचे थें।

पिछले साल ब्रिटेन ने एक लाख 12 हजार अन्य देशों के नागरिकों को अपने यहां शरण दिया था।

गैर-यूरोपीय संघ देशों की लिस्ट में टॉप पर है भारत

एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में यूके में आए 1.218 खरब लोगों में से 10 फीसदी ( यानी एक लाख 26 हजार) यूरोपीय संघ के नागरिक थे। इन लोगों में लगभग 85 फीसदी (यानी 1.031 खरब) यूरोपीय संघ से बाहर से आए थे।

साल 2023 में गैर-यूरोपीय संघ से आने वाले पांच देशों के नागरिकों की संख्या

भारतीय - 250,000
नाइजीरियाई - 141,000
चीनी - 90,000
पाकिस्तानी- 83,000
जिम्बाब्वे - 36,000

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