WHO ने मंकी पॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी क्यों घोषित किया...कहां हैं सबसे बुरे हालात?

जुलाई 2022 में एमपॉक्स का हल्का स्ट्रेन क्लेड 2 काफी तेजी से फैला था और इसकी चपेट में कई देश भी आ गए थे। केवल यूरोप और एशिया में नहीं बल्कि दुनिया के लगभग 100 देशों में यह स्ट्रेन फैला था।

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Why did WHO declare monkeypox a global health emergency where are worst conditions africa mpox

एमपॉक्स (फोटो- IANS)

संयुक्त राष्ट्र: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एमपॉक्स को वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। एमपॉक्स, जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहा है।

अब तक इस बीमारी से 450 लोगों की मौत हो चुकी है। यह एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो सबसे पहले कांगो में फैलना शुरू हुआ था और यह अब तेजी से अन्य देशों में भी फैल रहा है। यह बीमारी अब मध्य और पूर्वी अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है।

एमपॉक्स के इस नए वैरिएंट को लेकर वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं क्योंकि यह काफी तेजी से फैल रहा है और इसकी मृत्यु दर भी बहुत ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने अफ्रीका और उसके बाहर इसके और फैलने की संभावना पर गहरी चिंता जाहिर की है।

कैसे फैलता है यह बीमारी

एमपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो यौन संबंध, स्कीन से स्कीन के संपर्क में आने से या फिर संक्रमित व्यक्ति के करीब में जाकर बात करने या सांस लेने से फैलता है।

इससे संक्रमित लोगों में फ्लू और उनके स्किन में घाव देखने को मिलता है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है। एमपॉक्स के कारण हर 100 संक्रमित लोगों में से चार लोगों के मरने की खबर सामने आ रही है।

टीका से किया जाता है इसे कंट्रोल

इस बीमारी को टीका के द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन अभी इसका टीका सभी को नहीं दिया जा रहा है बल्कि जो लोग इस बीमारी से संक्रमित हैं उन्हें ही अभी केवल दिया जा रहा है।

यही नहीं जो लोग संक्रमित लोगों के पास रह रहे हैं और वे भी संक्रमित हो जा रहे है तो उन्हें भी टीका दिया जा रहा है।

कितने प्रकार के हैं एमपॉक्स

एमपॉक्स के दो प्रकार हैं- पहला क्लेड 1 और दूसरा क्लेड 2 है। इन दोनों प्रकार में क्लेड 1 ज्यादा प्रभावशाली और अधिक घातक है। साल 2022 में क्लेड 2 का प्रकोप काफी बढ़ा था जिस कारण उस समय वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया गया था।

इस बार क्लेड 1 का प्रकोप जारी है। पिछली बार जो लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए थे इस बार भी उन लोगों के संक्रमित होने की बात सामने आ रही है जिसकी मृत्यु दर 10 फीसदी है।

यह प्रकोप विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि पिछले साल सितंबर के आसपास वायरस के मूटेशन के कारण एक नया वैरिएंट क्लेड 1बी सामने आया था। यह वैरिएंट काफी तेजी से फैल रहा है और वैज्ञानिकों द्वारा इसे "अभी तक का सबसे खतरनाक" वैरिएंट करार दिया गया है।

वेलकम ट्रस्ट के डॉ. जोसी गोल्डिंग, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ट्रुडी लैंग और एमोरी विश्वविद्यालय के डॉ. बोगुमा टिटानजी जैसे विशेषज्ञों ने स्थिति की गंभीरता पर बल दिया है और इसे लेकर जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया है।

अब तक कितने लोग हो चुके हैं संक्रमित

इस साल के शुरुआत से कांगो में एमपॉक्स के 13,700 से अधिक मामले सामने चुके हैं और इन मामलों में अभी तक 450 लोगों की मौत भी हो चुकी है। यह बीमारी बुरुंडी, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, केन्या और रवांडा सहित अन्य अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रही है।

एमपॉक्स को वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के कई फायदे हैं। एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में घोषित करने से अनुसंधान, वित्त पोषण और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की शुरूआत में तेजी आने की उम्मीद है।

जुलाई 2022 में फैला था क्लेड 2

जुलाई 2022 में एमपॉक्स का हल्का स्ट्रेन क्लेड 2 काफी तेजी से फैला था और इसकी चपेट में कई देश भी आ गए थे। केवल यूरोप और एशिया में नहीं बल्कि दुनिया के लगभग 100 देशों में यह स्ट्रेन फैला था।

इस स्ट्रेन के फैलने से इससे संक्रमित 87 हजार से भी अधिक मामले सामने आए थे और इससे 140 लोगों की मौत भी हुई थी। हालांकि एमपॉक्स किसी को भी हो सकता है, लेकिन इस बीमारी को मुख्य रूप से पुरुषों के बीच में ज्यादा देखी गई है खासकर जिन्होंने पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाए हैं।

इससे पहले मंगलवार को अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है।

संगठन के प्रमुख जीन कासेया ने चेतावनी दी है कि अगर इसे रोकने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो यह मौजूदा प्रकोप नियंत्रण से बाहर हो सकता है। उन्होंने इसके खतरे को खत्म करने के लिए सक्रिय और आक्रामक प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

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