अमेरिका में आव्रजन नीति पर एलन मस्क और ट्रंप समर्थकों के बीच क्या मतभेद उभरने लगे हैं?

एलन मस्क और उनके सहयोगी जहां ज्यादा से ज्यादा योग्य विदेशी कामकाजी पेशेवरों को अमेरिका में लाने की बात कर रहे हैं, वहीं डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक इसे अमेरिकियों के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं।

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एलन मस्क पर नाजी सैल्यूट करने के लग रहे हैं आरोप, फोटोः आईएएनएस

वॉशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों के बीच हाल ही में एक बड़ा विवाद हुआ है, जो मुख्य रूप से आव्रजन नीति पर केंद्रित है। इस विवाद में दो प्रमुख पक्ष हैं।

एक तरफ है एलन मस्क और उनके सिलिकॉन वैली के सहयोगी, जो अमेरिका में आव्रजन सुधारों के पक्षधर हैं। वे चाहते हैं कि अमेरिका में उन लोगों को आने दिया जाए जिनके पास खास कौशल और प्रतिभा हो।

दूसरी ओर ट्रंप के कट्टर समर्थक हैं, जो आव्रजन के खिलाफ हैं और मस्क के इस विचार को सही नहीं मानते। उनके अनुसार, अगर अधिक आव्रजन होगा तो यह अमेरिकी श्रमिकों के लिए खतरा बन सकता है।

ग्रीन कार्ड की सिफारिश पर डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक नाराज

यह विवाद उस वक्त और गहरा हो गया जब डोनाल्ड ट्रंप ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नीति के लिए श्रीराम कृष्णन को अपने प्रशासन में एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया। मस्क के करीबी सहयोगी श्रीराम कृष्णन पहले भी कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए ग्रीन कार्ड की सिफारिश कर चुके हैं।

कृष्णन का मानना था कि अमेरिका को दुनिया भर से सबसे बेहतरीन प्रतिभा को यहां आने देना चाहिए ताकि अमेरिका की तकनीकी और आर्थिक ताकत बनी रहे। लेकिन ट्रंप के समर्थक इस विचार से नाखुश थे। उनके अनुसार, यह नीति अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचा सकती है।

इस मुद्दे पर बहस और बढ़ी जब सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने श्री कृष्णन के पुराने बयानों को उठाया और उन्हें "बेहद परेशान करने वाला" करार दिया।

लॉरा लूमर जैसे कुछ दूर-दराज के विचारक और टिप्पणीकारों ने श्री कृष्णन की आलोचना की, और दावा किया कि उनका उद्देश्य "अमेरिकी श्रमिकों को बदलना" है। मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यह विवाद और गहरा गया।

एलन मस्क दुनिया के श्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के पक्ष में हैं

खुद एच-1बी वीजा पर अमेरिका आए एलन मस्क हमेशा से इस बात के पक्षधर रहे हैं कि अमेरिका को दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना चाहिए। उनका कहना है कि यदि अमेरिका को अपनी तकनीकी और आर्थिक शक्ति बनाए रखनी है, तो उसे इन शीर्ष प्रतिभाओं को अपनी ओर लाना होगा।

मस्क ने एक बार एक्स पर लिखा था, "यदि आप अपनी टीम को चैंपियन बनाना चाहते हैं, तो आपको सबसे बेहतरीन प्रतिभाओं को भर्ती करना होगा, चाहे वे किसी भी देश से हों।"

डोनाल्ड ट्रंप के नवनियुक्त सरकारी दक्षता विभाग के सह-अध्यक्ष विवेक रामास्वामी ने भी मस्क की बातों का समर्थन किया। वे मानते हैं कि अमेरिकी संस्कृति में हमेशा औसत दर्जे की चीजों को बढ़ावा दिया गया है और इसके कारण बेहतरीन इंजीनियर और वैज्ञानिक नहीं निकलते।

रामास्वामी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "जब हम गणित ओलंपियाड के चैंपियन की बजाय प्रोम क्वीन का जश्न मनाते हैं, तो इससे अच्छे इंजीनियर नहीं पैदा होंगे।"

हालांकि, इस विचार ने ट्रंप के समर्थकों के बीच नाराजगी पैदा कर दी है। कुछ लोग मस्क और रामास्वामी पर आरोप लगा रहे हैं कि वे अमेरिकी श्रमिकों के अधिकारों के खिलाफ काम कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट में श्री कृष्णन पर यह आरोप भी लगाया गया कि वे "इंडिया फर्स्ट" के सिद्धांत का पालन करते हैं, जिसका मतलब है कि वे अमेरिकी श्रमिकों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भी इस विवाद में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अपनी स्वयं की प्रतिभाओं में निवेश करना चाहिए और अमेरिकी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने श्री रामास्वामी के विचारों का विरोध करते हुए कहा, "अमेरिकी श्रमिकों या अमेरिकी संस्कृति में कुछ भी गलत नहीं है।"

आव्रजन को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का क्या रुख है

इस पूरे मामले में ट्रंप का रुख थोड़ा उलझा हुआ है। पहले उन्होंने एच-1बी वीजा पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा कि वह अमेरिकी विश्वविद्यालयों के विदेशी स्नातकों को ग्रीन कार्ड देने के पक्ष में हैं। इससे उनके समर्थकों में असमंजस पैदा हो गया है क्योंकि वे नहीं समझ पा रहे कि ट्रंप की आने वाली आव्रजन नीति क्या होगी।

इस प्रकार अमेरिका में आव्रजन पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मस्क और उनके सहयोगी जहां ज्यादा से ज्यादा योग्य विदेशी कामकाजी पेशेवरों को अमेरिका में लाने की बात कर रहे हैं, वहीं ट्रंप के समर्थक इसे अमेरिकियों के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं।

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