इजराइल-हमास संघर्ष को लेकर अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। युद्ध में इजराइल का समर्थन करने के अमेरिका के फैसले को लेकर छात्रों में नाराजगी है। अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों के कैंपसों में प्रदर्शनकारी शिविर लगाए हुए हैं। विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने फिलिस्तीनियों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है और गाजा पर हमले को तुरंत रोकने की मांग किया है।
100 से अधिक प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
मालूम हो कि विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से बर्लिन में मुक्त विश्वविद्याल में पुलिस ने 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। बर्लिन और एम्स्टर्डम के विश्वविद्यालयों में, पुलिस ने दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया, जो गाजा में इजराइल के हमले के विरोध में एकजुट थे। प्रदर्शन की वजह से बर्लिन में मुक्त विश्वविद्याल की कक्षाएं बंद कर दीं गई हैं। यहां तक कैफेटेरिया और एक पुस्तकालय भी बंद कर दिया।
विश्वविद्यालय के अध्यक्ष गुंटर एम. जिग्लर ने एक बयान में कहा कि “इस तरह का विरोध संवादोन्मुख नहीं है। विश्वविद्यालय की संपत्ति पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, हम अकादमिक बहस और संवाद का स्वागत करते हैं, लेकिन इस रूप में नहीं।
यूरोप के कई विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन
हाल के दिनों में यूरोप के विश्वविद्यालयों में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यूएसए टुडे के मुताबिक, पुलिस ने ऐसी कार्रवाई यूरोप के कई विश्वविद्यालयों में की। बीते मंगलवार को पुलिस ने शिकागो में एक शिविर पर कार्रवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। जिसके बाद उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय के ट्रस्टियों के घरों के बाहर धरना दिया।
छात्रों को टेक्सस-ऑस्टिन विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, येल, ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने वहां से सारे तंबू हटा दिए। इसी तरह आइलैंड स्कूल ऑफ डिजाइन, एमआईटी में भी प्रदर्शनकारियों के शिविर नष्ट कर दिए गए। न्यूयॉर्क सिटी पुलिस द्वारा कोलंबिया विश्वविद्यालय परिसर में भी छापेमारी की गई और शिविरों से प्रदर्शनकारी छात्रों को खदेड़ा गया।
छात्र क्यों कर रहे प्रदर्शन?
इजराइल गाजा पट्टी पर कई हवाई हमले किए, जिसमें सैकड़ों फिलिस्तीनी मारे गए। इसको लेकर अमेरिकी विश्वविद्यालयों में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्र गाजा पर इजराइल के हमले में अमेरिका द्वारा दी जा रही सैन्य मदद को रोकने की मांग कर रहे हैं। साथ ही वह अपने विश्वविद्यालों से मांग कर रहे हैं कि इजराइली कंपनियों से अपने आर्थिक रिश्ते तोड़ दें। छात्रों के मुताबिक, कंपनियां और उसमें निवेश कर रहे अमेरिकी संस्थान एक तरह से गाजा में जारी जंग के भागीदार हैं।
अमेरिका के विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन को लेकर भारतीय छात्र चिंतित
अमेरिका के विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन बढ़ने के साथ, वहां प्रवेश चाहने वाले भारतीय छात्र और उनके माता-पिता चिंतित हैं। ईटी के मुताबिक, अगर आंदोलन फैलता रहा, तो यह इस शरद ऋतु में अमेरिका में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या को प्रभावित कर सकता है। ईटी के मुताबिक, प्रवेश योजनाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि छात्र ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अमेरिका नहीं जाना चाहते हैं।
बिजनेस मैनेजमेंट और कंसल्टिंग फर्म बीडीओ इंडिया के पार्टनर रोहिन कपूर ने ईटी से कहा, “अगले सेमेस्टर के लिए विश्वविद्यालय ऑनलाइन होंगे। लिहाजा गर्मियों में आवेदनों की संख्या घटने और प्रवेश में कमी आने की संभावना है, जबकि वैकल्पिक शिक्षा स्थलों में रुचि बढ़ेगी।”