तेहरानः राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को ईरान का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। यह फैसला ईरान के मंत्रिमंडल के आपात बैठक में लिया गया। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियान की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत की पुष्टि के बाद ईरानी मंत्रिमंडल ने आपात बैठक बुलाई थी। यह 24 घंटे से भी कम समय में मंत्रिमंडल की दूसरी आपात बैठक थी।
पांच दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा
ईरान में, यदि राष्ट्रपति का उनके कार्यकाल के दौरान निधन हो जाता है, तो संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत पहला उपराष्ट्रपति अस्थायी राष्ट्रपति पद ग्रहण करता है। हालांकि इसके लिए देश के सर्वोच्च नेता की सहमति अनिवार्य होती है। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई की मंजूरी के बाद ही मोखबर ने नए राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया। खामेनेई ने दिवंगत राष्ट्रपति रईसी के सम्मान में पांच दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।
राष्ट्रपति रईसी का हेलीकॉप्टर रविवार को ईरान के उत्तर पश्चिमी प्रांत ईस्ट अजरबैजान के पहाड़ी इलाके में लापता हो गया था। सोमवार को उसका मलबा बरामद हुआ और राष्ट्रपति की मौत की पुष्टि हुई। इससे पहले, हादसे में अनहोनी की आशंका को देखते हुए ईरानी मंत्रिमंडल ने रविवार शाम एक आपात बैठक की थी। जिसकी अध्यक्षता मोखबर ने ही की थी।
50 दिन के भीतर कराना होगा राष्ट्रपति का चुनाव
रईसी की मौत की पुष्टि के बाद सोमवार मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक हुई और ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को राष्ट्रपति घोषित किया गया। प्रोटोकाल के मुताबिक, 50 दिन के भीतर नए सिरे से चुनाव कराए जायेंगे। इसकी जिम्मेदारी अब मोखबर पर ही होगी।
कौन हैं ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर?
मोहम्मद मोखबर ईरान के पहले उपराष्ट्रपति हैं। वे संसद के अध्यक्ष और न्यायपालिका के प्रमुख के साथ एक परिषद का हिस्सा हैं। 1 सितंबर, 1955 को जन्मे, मोखबर का सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के साथ घनिष्ठ संबंध है, जो ईरानी मामलों में अंतिम अधिकार रखते हैं। रईसी के राष्ट्रपति बनने के बाद 2021 में मोखबर ईरान के पहले उपराष्ट्रपति बने थे।
गौरतलब है कि ईरान में उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव नहीं होते हैं। सर्वोच्च अधिकारियों की सहमति से इनकी नियुक्ति होती है। ईरान में एक से अधिक उपराष्ट्रपति की परंपरा है। जो मंत्रिमंडल का हिस्सा होते हैं। उपराष्ट्रपतियों में मोखबर का प्रथम स्थान है। वे ऊंचे पद के नेता हैं। 1989 में प्रधानमंत्री पद को समाप्त करने के बाद प्रथम उपराष्ट्रपति को इसकी शक्तियां दे दी गई थीं।
मोखबर अक्टूबर में रूस के साथ बातचीत उस बातचीत का भी हिस्सा थे जिसमें रूसी सेना को मिसाइलें और ड्रोन उपलब्ध कराने के समझौते को आसान बनाया गया। इससे पहले, मोखबर सर्वोच्च नेता अली खामेनेई से जुड़े एक निवेश कोष, सेटैड (EIKO) की देखभाल कर थे जिसकी ईरानी अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र में हिस्सेदारी है। इसपर यूरोपीय संघ ने 2010 में बैलिस्टिक मिसाइल गतिविधियों में कथित संलिप्तता के आरोप में प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि 2012 में संघ ने प्रतिबंध हटा लिए थे। इसके बाद 2013 में, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने सेटैड और उससे जुड़ी कंपनियों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया था। सैटेड दरअसल 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद छोड़ी गई संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जिसकी आय धर्मार्थ कार्यों के लिए होती है।
मोखबर ने पहले बैंकिंग और दूरसंचार में काम किया था। उन्होंने मुस्तजाफन फाउंडेशन में भी काम किया, जो देश की बड़ी परियोजनाओं और व्यवसायों का प्रबंधन करने वाला एक प्रमुख समूह है। वहीं अगर पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उनके पास डॉक्टरेट की दो डिग्रियां हैं।