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वाशिंगटनः अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काश पटेल को संघीय जांच ब्यूरो (FBI) का नया निदेशक नियुक्त किया है। पटेल ट्रंप की कैबिनेट में शामिल होने वाले दूसरे भारतीय-अमेरिकी बन गए हैं।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इस घोषणा को साझा करते हुए कहा कि "मैं गर्व के साथ घोषणा करता हूं कि कश्यप 'काश' पटेल संघीय जांच ब्यूरो के अगले निदेशक के रूप में कार्य करेंगे। काश एक बेहतरीन वकील, जासूस और 'अमेरिका फर्स्ट' के समर्थक हैं, जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में बिताया है।"
ट्रंप ने कहा कि पटेल "हमारी महान अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी के अधीन कार्य करेंगे और FBI में 'फिडेलिटी, ब्रेवरी और इंटिग्रिटी' (निष्ठा, वीरता और ईमानदारी) को वापस लाने का काम करेंगे।"
— Donald J. Trump Posts From His Truth Social (@TrumpDailyPosts) November 30, 2024
कौन हैं काश पटेल?
भारतीय-अमेरिकी काश पटेल का पूरा नाम कश्यप प्रमोद विनोद पटेल है। वह एक प्रमुख राजनीतिक और कानूनी हस्ती हैं, जिन्होंने अमेरिकी प्रशासन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उनका करियर विवादों और उपलब्धियों से भरा हुआ है। काश पटेल का जन्म 1980 में न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी में हुआ। उनके माता-पिता 1970 के दशक में युगांडा से बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका आए थे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से अंतरराष्ट्रीय कानून में सर्टिफिकेट प्राप्त किया। नस्लवाद विरोधी दृष्टिकोण रखने वाले काश ने सामाजिक और कानूनी मुद्दों में गहरी रुचि ली।
काश पटेल ने अपने करियर की शुरुआत ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिकी न्याय विभाग (Justice Department) में की। ट्रम्प प्रशासन के दौरान, वे कैलिफोर्निया के पूर्व प्रतिनिधि डेविन नून्स (Devin Nunes) के वरिष्ठ कानूनी सलाहकार बने। इस भूमिका में उन्होंने हाउस इंटेलिजेंस कमेटी की रूस जांच में मदद की, जो एफबीआई द्वारा की गई जांच से संबंधित थी। इस जांच को व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन इसने पटेल को सुर्खियों में ला दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा में भूमिका
2018 में, काश पटेल को ट्रम्प प्रशासन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council) में आतंकवाद-रोधी निदेशक के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने ISIS, अल-बगदादी, और कासिम अल-रिमी जैसे आतंकवादी नेताओं को खत्म करने के अभियानों में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, अमेरिकी बंधकों को सुरक्षित वापस लाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद, वे खुफिया विभाग के निदेशकों के वरिष्ठ सलाहकार बने।
ट्रम्प प्रशासन के अंतिम महीनों में, उन्हें कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ के पद पर नियुक्त किया गया। द अटलांटिक की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने अपने प्रशासन के अंतिम हफ्तों में पटेल को सीआईए का उप निदेशक बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन विरोध के कारण यह संभव नहीं हो सका।
विवाद और आलोचनाएं
काश पटेल अपने विवादित बयानों और कृत्यों के कारण लगातार सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से ट्रम्प के राजनीतिक दुश्मनों और मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करने की वकालत की। उनकी किताब में उन्होंने लिखा, "एफबीआई इतनी अधिक भ्रष्ट हो चुकी है कि यह जनता के लिए खतरा बनी रहेगी जब तक कि कठोर कदम नहीं उठाए जाते।"
उनके इस बयान को लेकर उनकी तीखी आलोचना हुई। इसके अलावा, उन्होंने इंटरव्यू में कहा था कि ट्रम्प के आलोचकों और पत्रकारों के खिलाफ कदम उठाना चाहिए, जिससे उनके विचारों पर सवाल खड़े हुए।
काश पटेल ने राजनीति और प्रशासन में बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि, उनके विवादास्पद दृष्टिकोण और कार्यों ने उनकी छवि को जटिल बना दिया है। ट्रम्प प्रशासन के दौरान उनकी गतिविधियां और बयान आज भी चर्चा का विषय बने हुए हैं।
ट्रंप का समर्थन और पटेल की जिम्मेदारी
ट्रंप ने पटेल को "सत्य और जवाबदेही के लिए सशक्त वकील" बताया। उन्होंने कहा कि पटेल ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में रूस जांच से संबंधित "होक्स" को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ट्रंप को विश्वास है कि पटेल का अनुभव और दृष्टिकोण एफबीआई को नई दिशा देने में सहायक होगा।