कौन हैं पूर्व USAID इंडिया चीफ वीना रेड्डी? बीजेपी क्यों कर रही जांच की मांग

वीना रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। वीना पांच अगस्त 2021 को भारत के यूएसएड कार्यालय का प्रमुख बनीं। पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद वह अमेरिका लौट गईं।

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Veena Reddy

Veena Reddy Photograph: (Social Media)

अमेरिकी एजेंसी USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) की पूर्व भारत निदेशक वीना रेड्डी इन दिनों चर्चा में आ गई हैं। विवाद तब गहराया जब भाजपा सांसद महेश जेठमलानी ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कथित रूप से 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग की जांच की मांग की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि यह फंडिंग एक खास राजनीतिक दल को चुनाव हराने के लिए हुई। इस पूरे मामले में USAID भारत की पूर्व प्रमुख वीना रेड्डी की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है।

ट्रंप के इस दावे के बाद भाजपा हमलावर है जबकि कांग्रेस ने सरकार से श्वेत पत्र लाने की मांग की है। भाजपा ने कांग्रेस पर चुनाव में विदेशी दखल रखने का आरोप लगा रही है तो कांग्रेस का कहना है कि यूएसएड से अब तक सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को अब तक जो फंडिंग मिली है, उस पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। इस पूरे मामले में यूएसएड की पूर्व भारतीय प्रमुख वीना रेड्डी सवालों के घेरे में आई हैं।

कौन है वीना रेड्डी?

वीना रेड्डी अमेरिकी राजनयिक हैं। इनका जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। वीना पांच अगस्त 2021 को भारत के यूएसएड कार्यालय का प्रमुख बनीं। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद वह वापस अमेरिका लौट गईं। रेड्डी अमेरिकी विदेश विभाग में भी काम कर चुकी हैं। इससे पहले वह न्यूयॉर्क, लंदन और लॉस एजेंलिस में कॉरपोरेट अटॉर्नी रह चुकी हैं। रिपोर्टों के मुताबिक वीना जब भारत में थी तो यूएसएड की फंडिंग अचानक से बढ़ गई थी। यूएसएड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में भारत को 7।7 करोड़ डॉलर की फंडिंग हुई थी जो कि वर्ष 2022 में बढ़कर 28।8 करोड़ डॉलर हो गई। रेड्डी पाकिस्तान के यूएसएड मिशन में भी अपनी सेवा दे चुकी हैं।

USAID इंडिया के लिए बढ़ती फंडिंग: आंकड़े क्या कहते हैं?


वीना रेड्डी के कार्यकाल में USAID द्वारा भारत को दी जाने वाली फंडिंग में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2001 के बाद 2022 में सबसे ज्यादा 228 मिलियन डॉलर (1982 करोड़ रुपये) फंड मिला।
वर्ष     फंडिंग (USD मिलियन में)
2020   83.2
2021   94.3
2022   228
2023   175.7
2024    151.8
2022 में मिले 228 मिलियन डॉलर में से 50% (140.7 मिलियन डॉलर) स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च हुआ, 25.09 मिलियन डॉलर मातृ और शिशु स्वास्थ्य पर,10.57 मिलियन डॉलर HIV/एड्स रोकथाम पर, 7.186 मिलियन डॉलर पर्यावरण संरक्षण पर, 5.6 मिलियन डॉलर ऊर्जा परियोजनाओं पर।

डोज ने किया खुलासा

दरअसल, एलन मस्क के नेतृत्व वाले सरकारी दक्षता विभाग (डोज) ने खुलासा किया है कि यूएसएड ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग को 2.1 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है। इस पर ट्रंप ने कहा कि ‘भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर। हमें भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर खर्च करने की जरूरत क्यों है? वाह, मुझे लगता है कि वे (बाइडन प्रशासन) किसी और को सत्ता में लाने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारत सरकार को बताना होगा। भारत में चुनावों के लिए 2.1 करोड़ डॉलर और बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 2.9 करोड़ डॉलर...एशिया अच्छा कर रहा है, हमें उन्हें पैसे देने की जरूरत नहीं है।’

कांग्रेस पर भाजपा हमलावर

वहीं, यह मामला उजागर होने के बाद भाजपा, कांग्रस पर हमलावर हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि राहुल गांधी विदेश जाकर सार्वजनिक तौर पर भारत के लोकतंत्र में विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप की मांग करते हैं और आज अमेरिकी राष्ट्रपति ने फंडिंग की पुष्टि कर उनको मिल रही मदद पर मुहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप का यह प्रयास बहुत शर्म की बात है। आज डोनाल्ड ट्रंप के सार्वजनिक बयान से यह स्पष्ट रूप से स्थापित हो गया है कि भारतीय चुनावों में विदेशी मदद के लिए वे इसलिए ‘रोते’ थे क्योंकि उन्हें वोट नहीं मिल रहे थे।

USAID विवाद पर कांग्रेस का जवाब

भाजपा के इन आरोपों और दावों का जवाब कांग्रेस ने भी दिया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि ‘यूएसएड’ के संदर्भ में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए जा रहे दावे बेतुके हैं। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘यूएसएड इन दिनों काफी चर्चा में है। इसकी स्थापना तीन नवंबर 1961 को हुई थी। वैसे तो अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किए जा रहे दावे कम से कम कहने के लिए तो बेतुके हैं। फिर भी, भारत सरकार को जल्द से जल्द एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, जिसमें दशकों से ‘यूएसएड’ द्वारा सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को दिए गए सहयोग का विस्तृत विवरण हो।’

 

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