ओटावा : भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने जस्टिन ट्रुडो के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद घोषणा की है कि वह प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हैं। आर्य देश में खालिस्तानी उग्रवाद को लेकर काफी मुखर रहे हैं।
9 जनवरी को दिए अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि ‘मैं अपने देश के पुनर्निर्माण और आने वाली पीढ़ियों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक छोटी और अधिक प्रभावशाली सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री पद की रेस में हूं। ‘
चंद्र आर्य ने कहा – ‘कनाडा ऐसे नेतृत्व का हकदार है, जो बड़े निर्णयों को लेने में किसी से न डरे।’
उन्होंने आगे कहा- ‘हम इस समय महत्वपूर्ण संरचनात्मक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो पीढ़ियों से नहीं देखी गई हैं और उन्हें हल करने के लिए कठिन विकल्पों की आवश्यकता होगी। मैंने हमेशा कनाडा के लिए कड़ी मेहनत की है और हमें ऐसे साहसिक निर्णय लेने चाहिए जो बच्चों और पोते-पोतियों के लिए पूर्ण रूप से आवश्यक हों। अगर लिबरल पार्टी के अगले नेता के रूप में मुझे चुना जाता है तो ऐसा करने के लिए अपने ज्ञान और विशेषज्ञता प्रदान करूंगा।’
एक्स पर शेयर किया पोस्ट
आर्य ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इस बात की जानकारी दी कि वह प्रधानमंत्री पद की रेस में हैं। इस पोस्ट में उन्होंने चार पेज का बयान जारी किया है।
उन्होंने आज के समय में कनाडाई लोगों को प्रभावित करने के लिए मुख्य मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिनमें वेतन की असमानता, रोजमर्रा की जरूरतों की लागत और लाखों कामकाजी लोगों के लिए कोई पेंशन न होना प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से कनाडाई युवा आज के समय में किफायती मुद्दों का सामना कर रहे हैं और आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है कि कुछ साहसिक फैसले लिए जाएं जो आने वाले 25 सालों में 5 ट्रिलियन इकॉनमी सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने का दावा करती हो।
उन्होंने कहा – ‘मेरे पास इसे पूरा करने के लिए अटूट दृढ़ संकल्प और समाधान हैं। मैं अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और सभी पीढ़ियों के लिए समृद्धि को बढ़ाने के लिए विवेक और व्यवहारिकता के साथ कड़े और साहसिक फैसले लूंगा। मैं एक छोटी, अधिक कुशल कैबिनेट का नेतृत्व करूंगा, जो मेरिट के आधार पर चुनी जाएगी न कि डीईआई कोटे के आधार पर।’
कौन हैं चंद्र आर्य?
आर्य भारतीय मूल के लिबरल पार्टी के सांसद हैं, जो साल 2015 से कनाडा के हाउस ऑफ कामंस में नेपियन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आर्य भारत के कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ था। उन्होंने धारवाड़ स्थित कौसली इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए किया है।
आर्य 20 साल पहले अपनी पत्नी और बेटे के साथ कनाडा गए थे, जहां बैंक में एडवाइसर बनने से पहले उन्होंने इंजीनियर के रूप में काम करना शुरु किया। राजनीति में पदार्पण से पहले आर्य ने एक छोटी हाई टेच रक्षा कंपनी में बतौर एक्सीक्यूटिव काम करना शुरू किया। उन्होंने इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के प्रमुख के रूप में भी काम किया और कनाडा-ब्राजील बिजनेस फेडरेशन की स्थापना भी की।
वह साल 2015 से लगातार तीन बार नेपियन से चुने गए हैं। सांसद के तौर पर वह कनाडाई हिंदुओं के मुखर समर्थक रहे हैं और अपने देश में भारत-कनाडा के रिश्तों और खालिस्तानी उग्रवाद के लिए लिबरल पार्टी सहित अन्य सांसदों के साथ उनका टकराव हुआ है।
नवंबर में, ब्रैंपटन में एक हिंदू मंदिर के बाहर सिख अलगाववादियों और हिंदू उपासकों के बीच झड़प के बाद कनाडा में “हिंसक खालिस्तानी उग्रवाद” को लेकर वह लिबरल सांसद ट्रूडो के पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह से भिड़ गए। आर्य ने कहा कि खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने “लाल रेखा” पार कर ली है जबकि सिंह ने उन पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है।
लिबरल पार्टी मार्च में चुनेगी नया नेता
इस बीच लिबरल पार्टी ने कहा कि वह आम चुनाव से पहले 9 मार्च को नए नेता की घोषणा करेगी, जिसमें ट्रुडो की पार्टी को पियरे पायरिले के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी से हारने के कयास लगाए जा रहे हैं।
ट्रुडो ने पिछले सोमवार को घोषणा की थी कि सांसदों के दबाव और व्यापक अलोकप्रियता के बीच उत्तराधिकारी चुने जाने के बाद वह पीएम और पार्टी नेता का पद छोड़ देंगे क्योंकि देश वित्तीय और आवास संकट से जूझ रहा है।
पार्टी ने बीते सप्ताह एक बयान में कहा कि – ‘एक मजबूत और सुरक्षित राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया के बाद, लिबरल पार्टी 9 मार्च को नए नेता का चुनाव करेगी और 2025 का चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहेगी। ‘ पार्टी ने कहा कि नेतृत्व वोट 9 मार्च को डाले जाएंगे और उसी दिन नए नेता का चुनाव किया जाएगा।