अनीता आनंद कौन हैं? कनाडा की पहली हिंदू विदेश मंत्री...हाथ में भगवद गीता थामे ली शपथ

अनीता आनंद (Anita Anand) ने पवित्र हिंदू ग्रंथ 'भगवद गीता' पर हाथ रखकर मंत्री पद की शपथ ली। इस तरह वे कनाडा की विदेश मंत्री बनने वाली पहली हिंदू महिला बन गई हैं।

Anita Anand

Photograph: (X)

ओटावा: चुनावी जीत के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अनीता आनंद (Anita Anand) को कनाडा का नया विदेश मंत्री नियुक्त किया है। वे अब मेलानी जोली (Mélanie Joly) की जगह लेंगी, जिन्होंने उद्योग मंत्री का पदभार संभाला है। अनीता आनंद ने पवित्र हिंदू ग्रंथ 'भगवद गीता' पर हाथ रखकर मंत्री पद की शपथ ली। इस तरह वे कनाडा की विदेश मंत्री बनने वाली पहली हिंदू महिला बन गई हैं।

नवनियुक्त विदेश मंत्री अनीता आनंद ने जनवरी में उन्होंने कहा था कि वे राजनीति को छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में लौटेंगी। लेकिन पिछले महीने हुए चुनाव में फिर से चुने जाने के बाद पीएम कार्नी ने उन्हें मंत्रिमंडल में वापस आने और विदेश मामलों का मंत्रालय संभालने के लिए राजी कर लिया।

Who is Anita Anand: अनीता आनंद कौन हैं?

57 वर्षीय अनीता आनंद ने 2019 में राजनीति में प्रवेश किया और ओंटारियो के ओकविले से सांसद हैं। राजनीति में बेहद कम समय गुजारने के बावजूद उन्होंने चार अहम कैबिनेट भूमिकाएँ निभाई हैं।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान अनीता आनंद ने पब्लिक सर्वि और प्रोक्योरमेंट मंत्री (Minister of Public Services and Procurement) के रूप में कनाडा की वैक्सीन और चिकित्सा आपूर्ति की खरीद का नेतृत्व किया। 

साल 2021 में अनीता आनंद को रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया, जहाँ वे कनाडाई सशस्त्र बलों के भीतर यौन दुराचार जैसे मुद्दों से निपटी और रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करने के कनाडा के फैसले का नेतृत्व किया। 

साल 2023 के मध्य में ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने के लिए कुछ समय के लिए पद छोड़ने के बाद उन्हें सितंबर 2024 में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्री बनाया गया।

कनाडा के ग्रामीण इलाके नोवा स्कोटिया में जन्मी और पली-बढ़ी आनंद 1985 में ओंटारियो चली गईं थीं। उनके माता-पिता दोनों ही डॉक्टर थे। अनीता आनंद के पिता का परिवार चेन्नई से है। जबकि उनकी माँ पंजाब के एक छोटे से शहर से हैं।

राजनीति में प्रवेश करने से पहले, आनंद एक सम्मानित कानूनी शिक्षाविद थीं, जो येल जैसे संस्थानों में पढ़ाती थीं और वित्तीय विनियमन और कॉर्पोरेट प्रशासन में विशेषज्ञता रखती हैं।

Canada New Cabinet: कैसा है कार्नी का नया मंत्रिमंडल?

पीएम कार्नी ने अनीता आनंद को विदेश मंत्री पद पर नियुक्त करते हुए कहा कि 'उनका मिशन भारत के साथ लगभग टूट चुके संबंधों को फिर से स्थापित करना होगा। इसके साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बेहतर तालमेल बनाकर अमेरिका के साथ संबंध मजबूत करना होगा।'

पिछली कैबिनेट में शामिल भारतीय मूल के तीन राजनेताओं को अब जगह नहीं मिली है। नए मंत्रिमंडल में भारतीय मूल के कनाडाई कम हैं। कनाडा के पीएम ने मनिंदर सिद्धू को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री और भारतीय मूल के दो अन्य लोगों को राज्य सचिव नियुक्त किया है। यह पद राज्य मंत्री के समकक्ष माना जाता है।

रूबी सहोता, जो पहले लोकतांत्रिक संस्थाओं की मंत्री थीं, उन्हें राज्य सचिव बनाया गया है और अपराध से निपटने का प्रभार दिया गया है। रणदीप सराय दस राज्य सचिवों में से एक हैं और वे अंतर्राष्ट्रीय विकास से निपटेंगे। अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध के दौरान शायद सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय डोमिनिक लेब्लांक को सौंपा गया है, जो कनाडा-अमेरिका व्यापार के लिए जिम्मेदार मंत्री होंगे।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड, जो पहले वित्त मंत्रालय के साथ उप प्रधानमंत्री थीं, उन्होंने पार्टी नेतृत्व, उद्योग मंत्रालय के लिए कार्नी को चुनौती दी थी।

आनंद, मेलानी जोली की जगह लेंगी, जिन्हें परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्रालय में भेजा गया है। जोली पिछले साल छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर सुर्खियों में आई थीं। उन्होंने राजनयिकों पर खालिस्तान नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का "पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट" बताया था।

भारत ने इस संदिग्ध मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है, जिसमें गैंगवार के संकेत मिले थे और बदले में कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया था।

हरजीत सिंह सज्जन, जो पूर्व रक्षा मंत्री थे, ने हाउस ऑफ कॉमन्स चुनाव नहीं लड़ा और चले गए। पिछली कैबिनेट से, आरिफ विरानी, जो न्याय मंत्री और अटॉर्नी जनरल थे, और कमल खेड़ा, जो विकलांग व्यक्तियों के लिए विविधता और समावेशन विभाग संभाल रहे थे, को कार्नी ने हटा दिया है।

कनाडा के चुनाव में लिबरल पार्टी की हुई थी जीत

कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने हाल ही में कनाडा के आम चुनाव में जीत हासिल की। हालांकि, वे बहुमत से महज दो सीट दूर रह गए। कनाडा में बहुमत के लिए 172 सीटों की जरूरत होती है। लिबरल पार्टी के पास 170 सीटें हैं। लिबरल पार्टी की जीत इस मायने में खास रही क्योंकि पहले माना जा रहा था कि पार्टी का प्रदर्शन खराब रहने वाला है। कार्नी ने इस साल की शुरुआत में जस्टिन ट्रूडो का स्थान लिया था और प्रधानमंत्री बने थे। 

इसके बाद धीरे-धीरे स्थितियां बदलती गईं। अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर ने संभवत: कार्नी को बढ़त दिलाने में और अहम भूमिका निभाई। बहरहाल, जीत के बाद कार्नी अपने भरोसेमंद नेताओं को बनाए रखते हुए अपने मंत्रिमंडल को फिर से आकार देने में लगे हैं।

(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)

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