वॉशिंगटन: अमेरिकी जमीन पर बड़े नेताओं और सरकारी अधिकारियों की हत्या की साजिश रचने वाले गिरफ्तार एक शख्स पर आरोप तय किए गए हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने 46 साल के आसिफ मर्चेंट नामक एक शख्स पर इन हत्याओं की साजिश रचने का आरोप लगाया है जिसका संबंध ईरान और पाकिस्तान से है।
आसिफ को उस समय गिरफ्तार कर लिगा गया था जब वह बड़े अमेरिकी नेताओं और अधिकारियों की हत्याओं की साजिश का पूरा प्लान बनाने के बाद अमेरिका से फरार होने की फिराक में था।
पिछले महीने पेंसिल्वेनिया के बटलर में डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला था। इस हमले में अभी तक जांच एजेंसियों को किसी किस्म की हत्या की साजिश के कोई सबूत नहीं मिले हैं और न ही आसिफ का इस साजिश से कोई संबध होने की बात सामने आई है।
आसिफ से प्राप्त दस्तावेजों में यह साफ नहीं है कि वह किसे निशाना बनाने की योजना बना रहा था। लेकिन अमेरिकी न्यजू चैनल सीएनएन ने दावा किया है कि उसके निशाने पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अन्य वर्तमान और पूर्व अमेरिकी सरकारी अधिकारी थे।
कौन है आसिफ मर्चेंट?
ईरान और पाकिस्तान दोनों देशों से संबंध रखने वाले आसिफ मर्चेंट पर अमेरिकी जमीन पर हत्या का प्लान बनाने के गंभीर आरोप हैं। उसे अमेरिका से फरार होते हुए जुलाई में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यूयॉर्क में संघीय हिरासत में है।
उस पर आरोप है कि वह किराए पर किसी और के इशारे पर काम करता था और हत्याओं को अंजाम देने के लिए वह हिटमैन को नियुक्त करने के लिए न्यूयॉर्क की यात्रा भी किया था।
संघीय हिरासत में आसिफ ने बताया कि उसकी दो पत्नियां और बच्चे हैं जिसमें से एक पत्नी और बच्चे ईरान में रहते हैं और दूसरी पत्नी और बच्चे पाकिस्तान में मौजूद हैं।
क्या था आसिफ का प्लान
पूछताछ के दौरान और अधिकारियों के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चला है कि आसिफ ने ईरान में कुछ समय बिताने के बाद वह अप्रैल 2024 में पाकिस्तान से अमेरिका आया था।
यहां आने के बाद उसने एक ऐसे शख्स से संपर्क किया था जिसके बारे में उसे लगता था कि उसके साजिशों में वह उसकी मदद कर सकता है। जिस शख्स से आसिफ ने संपर्क किया था उसने कानून प्रवर्तन को आसिफ के इरादे की जानकारी दे दी थी और वह एक गोपनीय स्रोत बन गया था।
आसिफ ने इस स्रोत से अपने पूरे प्लान के बारे में बताया था और कहा था आने वाले दिनों में उसे इस तरह के आपरोधों को अंजाम देने के लिए कई और भी काम मिलने वाले हैं।
आसिफ ने स्रोत से यह भी कहा था कि वह अमेरिका में कुछ अहम दस्तावेजों की चोरियों को अंजाम देने, राजनीतिक रैलियों में विरोध प्रदर्शन आयोजित कराने और बड़े नेताओं और सरकारी अधिकारियों की हत्याओं जैसे अपराधों को अंजाम देने की योजना पर काम कर रहा है।
अपराध के लिए आसिफ ने दिया था एडवांस
जून में आसिफ ने गुप्त अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारी से मुलाकात की थी जिसे वह हिटमैन समझता था और अपने प्लान को अंजाम देने के लिए किराए पर उसे नियुक्त किया था।
आसिफ ने अधिकारी को काम को अंजाम देने के लिए पांच हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग चार लाख रुपए) बतौर एडवांस दिया था। सभी प्लान को सही से सेट करने के बाद आसिफ ने 12 जुलाई को अमेरिका से फरार होने की योजना बनाई थी जिससे पहले उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
आसिफ के बारे में क्या कहा गया
अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने कहा है कि अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ ईरान द्वारा घातक योजनाओं को अंजाम देने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को रोकने और उन्हें सजा देने के लिए न्याय विभाग अपने सभी संसाधनों का उपयोग करेगा।
मेरिक ने इस बात पर भी जोर दिया कि वे अमेरिकी सार्वजनिक अधिकारियों को निशाना बनाने और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के सत्तावादी शासन के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कहा कि किराए के जरिए खतरनाक हत्या की साजिश कथित तौर पर ईरान से करीबी संबंध रखने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक द्वारा रची गई थी। उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे यह भी कहा है कि इस तरह की साजिश ईरानी की रणनीति का एक हिस्सा है।
अमेरिकी अधिकारियों को क्या रहती है चिंता
बता दें कि साल 2020 में ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या हुई थी। कासिम ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कुद्स फोर्स में एक उच्च पदस्थ कमांडर था। ईरान ने इस हत्या का आरोप इजराइल और अमेरिका पर लगाया था।
इस हमले का आदेश तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिया था। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप को लेकर लंबे समय से अमेरिकी अधिकारियों के बीच यह चिंता रहती है कि कहीं बदले की आग में ईरान पूर्व राष्ट्र्पति की भी हत्या न कर दे।
पिछले महीने भी पेंसिल्वेनिया में जो ट्रंप पर हमले हुए थे, उसे लेकर भी ईरान पर संदेह किया गया था। लेकिन बाद में ईरान ने बयान जारी कर हमले से इनकार किया था। आसिफ द्वारा हत्या की साजिश रचने में भी ट्रंप को निशाना बनाने के कोई भी सबूत नहीं मिले हैं।