वॉशिंगटन: अमेरिकी सरकार की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसी 'यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट' (USAID) के अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। दर्जनों वरिष्ठ अधिकारियों को अनिश्चितकालीन अवकाश पर भेज दिया गया है, हजारों अनुबंधित कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है और अन्य देशों को दी जाने वाली अरबों डॉलर की सहायता रोक दी गई है।

ट्रंप प्रशासन ने इसे विदेश विभाग (State Department) में विलय करने और इसके बजट एवं कर्मचारियों में कटौती की योजना बनाई है। वहीं अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसे अपराधी संगठन करार देते हुए इसकी पूर्ण रूप से समाप्ति की मांग की है। इस फैसले के बाद यूएसएआईडी के कई कर्मचारियों को उनके कार्यालयों से बाहर कर दिया गया है, जिससे इसकी भविष्य की कार्यक्षमता पर सवाल उठने लगे हैं। वॉशिंगटन डीसी में यूएसएआईडी मुख्यालय के बाहर लोग विरोध स्वरूप तख्तियां लिए खड़े हैं। 

USAID क्या है और यह क्या करता है?

द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, यूएसएआईडी की स्थापना 1961 में एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं, आपदा राहत, गरीबी उन्मूलन और मानवीय सहायता प्रदान करना था। 

बीबीसी के अनुसार, USAID के पास लगभग 10,000 कर्मचारी हैं, जिनमें से दो-तिहाई विदेशों में काम करते हैं। यह 60 से अधिक देशों में स्थायी रूप से कार्यरत है और कई अन्य देशों में भी अपनी सेवाएं प्रदान करता है। हालांकि, इसके अधिकांश कार्य स्थानीय संगठनों द्वारा किए जाते हैं, जिन्हें यह अनुदान देता है।

USAID के इन घोषित उद्देश्यों के बरक्स इस एजेंसी पर अमेरिका के कूटनीतिक हितों की पूर्ति के लिए दूसरे देशों में खुफिया ऑपरेशन चलाने का आरोप लगता रहा है। अमेरिका के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री राबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि USAID अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का फ्रंट है और इसने वर्ष 2014 में  पाँच अरब डॉलर खर्च करके यूक्रेन में तख्तापलट कराया गया था। कैनेडी जूनियर ने दावा किया कि अमेरिकी डिप्लोमेट विक्टोरिया नोलैंड (Victoria Nuland) ने यूक्रेन में सीआईए प्रायोजित आन्दोलन कराने से पहले ही नई सरकार का मुखिया चुन लिया था।

बजट और वित्तीय स्थिति

यूएसएआईडी का वार्षिक बजट लगभग 23 बिलियन डॉलर (2.00 लाख करोड़) है, जो अमेरिकी संघीय बजट का एक छोटा हिस्सा है। 2023 के वित्तीय वर्ष में, इस एजेंसी ने लगभग 38.1 बिलियन डॉलर (3.32 लाख करोड़) खर्च किए, जो कुल संघीय बजट का 1% से भी कम था। हालांकि, मस्क की ‘सरकारी दक्षता सुधार समिति’ (DOGE) यूएसएआईडी के खर्चों में कटौती की योजना बना रही है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में अमेरिका ने 68 अरब डॉलर (₹5.64 लाख करोड़) अंतरराष्ट्रीय सहायता के रूप में खर्च किए। इसमें से लगभग 40 अरब डॉलर का बजट अकेले USAID के पास था, जो इसे अमेरिका की सबसे बड़ी विदेशी सहायता एजेंसी बनाता है। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय सहायता में सबसे आगे है। तुलना करें तो, ब्रिटेन ने 2023 में ₹1.5 लाख करोड़ की सहायता दी, जो अमेरिकी खर्च का सिर्फ एक-चौथाई है।

ट्रंप और मस्क के निशानें पर USAID क्यों?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी एलन मस्क लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय सहायता पर होने वाले खर्च की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे को विदेशों में खर्च करना "बेवजह का निवेश" है और इससे अमेरिका को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं होता।

ट्रंप ने तो यूएसएआईडी को "कट्टरपंथी उदारवादियों का अड्डा" तक कह दिया है। वहीं, मस्क ने एक्स पर एजेंसी के खिलाफ कई पोस्टों को साझा करते हुए अपनी मंशा साफ कर दी है। उन्होंने इसे परेशान करने वाला और कट्टरपंथी-वामपंथी वैश्विकवादियों की शाखा करार दिया है।

रिपोर्टों के अनुसार कई अमेरिकी नागरिक भी विदेशों में अनुदान देने के खिलाफ हैं। रूढ़िवादी आलोचक भी लंबे समय से विदेशी सहायता कार्यक्रमों की वैधता पर सवाल उठाते रहे हैं। हाल ही में, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यूएसएआईडी को राज्य विभाग में समाहित करने की सिफारिश की। उन्होंने एजेंसी के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे अमेरिकी राष्ट्रीय हितों से अलग होकर वैश्विक कल्याण के लिए धन का दुरुपयोग कर रहे हैं।

रूस और अन्य विदेशी सरकारें भी यूएसएआईडी के कार्यों की आलोचना करती रही हैं। एजेंसी में सरकारी कर्मचारियों की तुलना में अनुबंधित कर्मियों की संख्या अधिक होती है। इनमें से कुछ व्यक्तिगत सेवा ठेकेदार होते हैं, जिन्हें राजनयिक दर्जा प्राप्त होता है और वे सरकार की ओर से काम करते हैं। वहीं, अन्य ठेकेदार अस्थायी भूमिकाओं में कार्यरत होते हैं।

एजेंसी के लगभग 50% कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। सैकड़ों ठेकेदारों को या तो बर्खास्त कर दिया गया है या अनिश्चितकालीन अवकाश पर भेज दिया गया है। यूएसएआईडी के कई प्रमुख अधिकारियों को भी भुगतान किए गए अवकाश पर रखा गया है।

अमेरिकी विदेश नीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यूएसएआईडी की बंदी या इसका अन्य विभाग में विलय अमेरिका की वैश्विक कूटनीति और नरम शक्ति (सॉफ्ट पावर) को कमजोर कर सकता है। यह एजेंसी विकासशील देशों में अमेरिका की मजबूत उपस्थिति बनाए रखने में मदद करती है और रणनीतिक साझेदार देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करती है। लिहाजा USAID को पूरी तरह से बंद करना आसान नहीं होगा।

रिपोर्टों की मानें तो यह एजेंसी 1961 के फॉरेन असिस्टेंस एक्ट के तहत बनाई गई थी और इसे हटाने के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होगी। वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसे "असंवैधानिक कदम" करार दिया है और इसे रोकने के लिए कानूनी लड़ाई का संकेत दिया है। डेमोक्रेट नेता एमी क्लोबुचर ने कहा कि, "USAID को बंद करना अमेरिका के लिए खतरनाक और चीन-रूस के लिए एक तोहफा होगा।"

 क्लोबुचर ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि यूएसएआईडी केवल विदेशी सहायता एजेंसी नहीं है- यह चरमपंथ को रोकने, बीमारियों से लड़ने और अमेरिकी निर्यात के लिए नए बाजार तैयार करने में अहम भूमिका निभाती है। इसे बंद करना न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि अमेरिका के वैश्विक प्रभाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

सूत्रों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन USAID को पूरी तरह समाप्त करने की बजाय इसे विदेश विभाग का हिस्सा बनाने पर विचार कर रहा है। यह मॉडल 2020 में ब्रिटेन में अपनाया गया था, जब प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने विदेश सहायता विभाग को विदेश मंत्रालय में मिला दिया था।