संयुक्त राष्ट्रः डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉंगो (डीआरसी) में तैनात भारतीय शांति सैनिक (पीस कीपर) मेजर राधिका सेन को जेंंडर एडवोकेट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार इसकी घोषणा की। राधिका सेन को यह पुरस्कार एंटोनियो गुटेरेस के हाथों 30 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर दिया जाएगा।
यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक के उनके कार्यकाल के दौरान स्थानीय समुदायों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए उनकी उत्कृष्ट सेवा और प्रयासों को मान्यता देता है। गुटेरेस ने बधाई देते हुए राधिका सेन को एक रोल मॉडल बताया। वहीं राधिका ने कहा कि यह पुरस्कार उनके लिए बेहद खास है।
बतौर पीस कीपर राधिका सेन का योगदान क्या रहा?
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, राधिका सेन ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया, जहां उन्होंने उत्तरी किवु में एक अलर्ट नेटवर्क बनाने में मदद की। इस नेटवर्क ने समुदाय के लोगों, युवाओं और महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान किया। गुटेरेस ने कहा कि उन्होंने समर्पण की भावना के साथ महिलाओं और लड़कियों सहित संघर्ष-प्रभावित समुदायों का विश्वास जीता। सेन के सैनिकों ने उत्तरी किवु में बढ़ते संघर्ष के माहौल में उनके साथ काम किया।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, राधिका ने महिलाओं के लिए जो गतिविधियां शुरू कीं, उनमें बच्चों के लिए अंग्रेजी भाषा की क्लास और वयस्कों के लिए स्वास्थ्य, लिंग और व्यावसायिक प्रशिक्षण शामिल थे। उनके प्रयासों ने महिलाओं की एकजुटता को सीधे तौर पर प्रेरित किया, खुले संवाद के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान किए।”
राधिका सेन ने क्या कहा?
राधिका सेन ने पुरस्कार को लेकर खुशी जाहिर की। उन्होंने इसे खास बताते हुए कहा कि लिंग-संवेदनशील शांति स्थापना हर किसी का काम है – न कि केवल हम महिलाओं का। शांति की शुरुआत हम सभी की खूबसूरत विविधता से होती है।” राधिका ने कहा कि यह कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के चुनौतीपूर्ण माहौल में काम करने वाले सभी शांति सैनिकों की कड़ी मेहनत और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने को मान्यता देता है।
कौन हैं राधिका सेन?
1993 में हिमाचल प्रदेश में जन्मी राधिका सेन एक बायोटेक इंजीनियर हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में मास्टर डिग्री की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया। साल 2023 में राधिका को भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के साथ इंगेजमेंट प्लाटून कमांडर के रूप में डीआरसी में नियुक्त किया गया था। अप्रैल 2024 में अपना कार्यकाल पूरा किया।
जेंडर एडवोकेट पुरस्कार पाने वालीं दूसरी भारतीय पीस कीपर हैं राधिका
राधिका सेन मेजर सुमन गवानी के बाद यह सम्मान पाने वाली दूसरी भारतीय पीस कीपर हैं। सुमन गवानी ने दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ काम किया था और 2019 में यह पुरस्कार प्राप्त किया था। संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में 6,063 भारतीय कर्मियों में से 1,954 मोनुस्को के साथ काम करते हैं, जिनमें से 32 महिलाएं हैं।
क्या है जेंडर एडवोकेट पुरस्कार?
‘मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर’ संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है जिसे 2016 में स्थापित किया गया था। यह पुरस्कार उन सैन्य कर्मियों को प्रदान किया जाता है जिनका लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
जेंटर एडवोकेट पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 (2000) और महिला, शांति और सुरक्षा पर बाद के प्रस्तावों में उल्लिखित सिद्धांतों पर आधारित है। यह उन सैन्य कर्मियों को सम्मानित करता है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हैं। ये सिद्धांत शांति स्थापना कार्यों में लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।