टीटीपी क्या है....क्या है इसका मकसद और क्यों पाकिस्तान इसे खत्म करना चाहता है?

टीटीपी पाकिस्तान में कई हमलों और 2012 में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर हमले के लिए जिम्मेदार है।

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What is Tehreek-e-Taliban Pakistan what is TTP objective and why does Pakistan want to eliminate it

टीटीपी क्या है....क्या है इसका मकसद और क्यों पाकिस्तान इसे खत्म करना चाहता है? (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आज पाकिस्तान के सामने सबसे बड़े खतरे के रूप में खड़ा है। टीटीपी की वजह से इस्लामाबाद को अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक तक करनी पड़ी है। आखिर टीटीपी क्या है, इसका मकसद क्या है ? क्यों पाकिस्तान इसे खत्म करना चाहता है?

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) क्या है

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गठन 2007 में पाकिस्तान में अलग-अलग रूप से एक्टिव विभिन्न चरमपंथी गुटों के साथ आने से हुआ। दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद (जिसकी मौत हो चुकी है) के नेतृत्व में टीटीपी के अस्तित्व की आधिकारिक घोषणा की गई।

यह कदम दरअसल फेडरल प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (एफएटीए) में अल-कायदा आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तानी सैन्य अभियान के जवाब में उठाया गया था।

टीटीपी का वर्तमान नेता नूर वली महसूद है, जिसने सार्वजनिक रूप से अफगान तालिबान के प्रति निष्ठा जताई है। दोनों तालिबान एक समान विचारधारा साझा करते हैं लेकिन दोनों समूहों के पास अलग-अलग ऑपरेशन और कमांड संरचनाएं हैं।

टीटीपी का क्या उद्देश्य है

टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के खिलाफ आतंकवादी अभियान चलाकर पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है। मीडिया रिपोट्स् के मुताबिक, यह पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को हटाकर इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के आधार पर एक कट्टरवादी शासन की नींव रखना चाहता है।

टीटीपी को क्यों पाकिस्तान करना चाहता है खत्म?

टीटीपी का गढ़ अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के आसपास का जनजातीय क्षेत्र है, जहां से वह अपने लड़ाकों की भर्ती करता है। यह आतंकवादी समूह पाकिस्तान में कुछ सबसे खूनी हमलों के लिए जिम्मेदार है। यह नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई पर गोली चलाने की घटना में भी शामिल था।

साल 2012 में तालिबान द्वारा महिलाओं को शिक्षा से वंचित करने के प्रयासों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए मलाला पर गोली चलाई गई थी। हमले में वह बच गई थी। पाकिस्तानी तालिबान की ताकत कितनी है इस बारे में अलग-अलग अनुमान लगाए जाते रहे हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग में पाकिस्तानी राजनयिक उस्मान इकबाल जादून ने कहा, " छह हजार लड़ाकों के साथ टीटीपी अफगानिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन है। हमारी सीमा के नजदीक सुरक्षित ठिकानों के साथ, यह पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए एक सीधा और दैनिक खतरा है।"

अगस्त 2021 में तालिबान के फिर से काबुल की सत्ता पर कब्जा करने के बाद टीटीपी ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी। अफगान तालिबान और पाकिस्तान के गहरे रिश्ते टीटीपी की वजह से बेहद खराब हो गए।

हाल के दिनों में, इस्लामाबाद ने बार-बार अफगान सरकार पर टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाया है। हालांकि काबुल इस्लामाबाद के दावे को खारिज करता रहा है। हालांकि अफगान तालिबान ने पाकिस्तान और टीटीपी के बीच वार्ता में मध्यस्थता की, जिसके कारण पाकिस्तान में दर्जनों टीटीपी कैदियों की रिहाई हुई।

नवंबर 2021 में, अफगान तालिबान ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार और टीटीपी के बीच एक महीने के संघर्ष विराम को स्थापित करने में मदद की लेकिन युद्ध विराम की अवधि समाप्त होने पर इसे नवीनीकृत नहीं किया गया। इसके बाद टीटीपी ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले बढ़ा दिए।

तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान सरकार टीटीपी पर लगाम नहीं लगा सकी है। पिछले हफ्ते ही, टीटीपी के लड़ाकों ने दक्षिणी वज़ीरिस्तान में कम से कम 16 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी। यह सुरक्षाकर्मियों पर हाल ही में हुए सबसे घातक हमलों में से एक था।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आंकड़े बताते हैं कि विशेष तौर पर पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में, हमलों और मौतों में वृद्धि हुई है। ये दोनों प्रांत अफगानिस्तान की सीमा से सटे हैं।

पाकिस्तान की ओर से मंगलवार (24 दिसंबर) रात को की गई एयरस्ट्राइक बताती है कि इस्लामाबाद के लिए टीटीपी कितना बड़ी चुनौती बन चुका है। तालिबान के मुताबिक पूर्वी अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में कम से कम 46 लोगों की मौत हुई है। इनमें से मृतकों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं हैं।

तालिबान शासन ने इस मुद्दे पर इस्लामाबाद के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है और चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता एक लाल रेखा है। हालांकि इस्लामाबाद ने एयरस्ट्राइक पर अभी कुछ नहीं बोला है। इससे पहले मार्च में भी पाकिस्तान ने ऐसी ही एयर स्ट्राइक की थी जिसमें तीन बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने गुरुवार को कहा, "अफगानिस्तान अपने क्षेत्र पर हुए आक्रमण को नहीं भूलेगा, और पाकिस्तानी शासकों को एक संतुलित नीति अपनानी चाहिए।"

अपने भाषण के दौरान विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को "सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के भाग्य से सीखने" की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान कभी भी आक्रमणों को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कथित तौर पर पाकिस्तान के लोगों से अपने शासकों की गलत नीतियों को रोकने की अपील भी की।

(यह आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)

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