रोम: इतालवी सीनेट (संसद) ने प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार द्वारा पेश विवादास्पद संवैधानिक सुधार को मंजूरी दे दी है। रोम में मंगलवार को संसद के निचले सदन में सुधार के पक्ष में कुल 109 सदस्यों ने मतदान किया, जबकि 77 ने इसके खिलाफ मतदान किया।
प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने इस बदलाव के लिए कड़ी मेहनत की है, इसे “सभी सुधारों की जननी” कहा है। मतदान के बाद सत्तारूढ़ दलों ने जश्न मनाया जबकि विपक्ष ने विरोध किया। विधेयक को कानून बनने से पहले अब भी कई बाधाओं को पार करना पड़ेगा।
संसोधित विधेयक में क्या है प्रावधान?
संवैधानिक सुधार में यह प्रावधान है कि भविष्य में प्रधानमंत्री को पूरे पांच साल के लिए सीधे चुना जाएगा। जीतने वाले उम्मीदवार यानी प्रधानमंत्री का समर्थन करने वाले गठबंधन को संसद के दोनों सदनों में कम से कम 55 प्रतिशत सीटें दी जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसके पास बिना किसी बाधा के काम करने योग्य बहुमत है।
इटली में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से लगभग 70 सरकारें रही हैं। मेलोनी के दक्षिणपंथी गठबंधन का कहना है कि नया कानून इटली में पुरानी राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने में मदद करेगा। इससे राष्ट्र अधिक लोकतांत्रिक बनेगा।
फोर्जा इटालिया (Forza Italia) पार्टी के सांसद मौरिजियो गैस्पारी ने संवैधानिक सुधार को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और स्वतंत्रता को किसी भी तानाशाही और चरमपंथी प्रवृत्तियों के खिलाफ मजबूत करता है। गौरतलब है कि फोर्जा इटालिया पार्टी ने 2006 में संविधान में संसोधन की कोशिश की थी, लेकिन असफल रही थी।
मौरिजियो गैस्पारी ने कहा कि मेलोनी ने बदलाव के लिए कड़ी मेहनत करने का वादा किया है। तकनीकी सरकारों को अब देश पर थोपना नहीं चाहिए। ऐसा 2021 में कोविड संकट के दौरान हुआ था जब पूर्व यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रमुख मारियो द्रागी प्रधानमंत्री बने थे।
विधेयक अराजकता पैदा कर सकता हैः विपक्ष
आलोचकों ने इसका मजबूती से विरोध किया है। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक अराजकता पैदा कर सकता है। उन्हें डर है कि मेलोनी संसद और राष्ट्रपति से महत्वपूर्ण शक्तियां छीन सकती हैं। इसमें मतदाता एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं, जबकि सांसदों को दूसरी पार्टी से चुन सकते हैं। विपक्षी नेता एली श्लेन ने कहा कि यह सुधार इटली में सरकारी ढांचे को बिल्कुल उलट देगा, और एक ही व्यक्ति के पास शक्तियां केंद्रित हो जाएंगी।
कराना पड़ सकता है जमनत संग्रह
इटली में संविधान संशोधन के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से विधेयक का पारित होना अनिवार्य है। सीनेट में प्राप्त 109 वोट दो-तिहाई के आंकड़े से काफी कम थे। चैंबर ऑफ डेप्युटीज में भी इसे दो-तिहाई बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है। अगर दो-तिहाई बहुमत नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में प्रस्तावित संशोधन पर जनमत संग्रह कराना पड़ेगा। यह जनमत संग्रह संभवतः 2025 में होगा।
पिछली बार 2016 में हुआ था ऐसा जनमत संग्रह
पिछली बार ऐसा जनमत संग्रह 2016 में हुआ था। उस समय सरकार के मुखिया माटेओ रेन्ज़ी को हार का सामना करना पड़ा और इसके परिणामस्वरूप उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, मेलोनी ने कहा है कि अगर वह संभावित जनमत संग्रह हार जाती हैं, तो वह इस्तीफा नहीं देंगी।
1990 के दशक में इजराइल ऐसा सिस्टम आजमाने वाला एकमात्र देश था। लेकिन वांछित सफलता नहीं मिली और बाद में इसे छोड़ दिया गया। इस बीच, रोम की दक्षिणपंथी सरकार इतालवी सरकारों की पुरानी अस्थिरता से निपटने के लिए यह संविधान संशोधन लेकर आई है।