क्या है 'ग्रीन इस्लाम', इंडोनेशिया में क्यों उठाई जा रहीं इसके पक्ष में आवाजें?

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What is Green Islam why are voices in its favor being raised in Indonesia

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया जंगलों की कटाई और प्रदूषण जैसे कई तरह के पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहा है। पूरी दुनिया में कोयले के सबसे बड़े निर्यातक और ग्रीनहाउस गैसों के शीर्ष वैश्विक उत्सर्जकों के रूप में जाने जाने वाला इंडोनेशिया अब पर्यावरण को बचाने में लग रहा है।

ताड़ के तेल के उत्पादन और खनिजों की खुदाई के लिए पिछले कुछ सालों से यहां पर हजारों हेक्टेयर के जंगलों को काटा जा रहा है, जिससे इन इलाकों में जंगलों में आग लगने और बाढ़ की समस्या और भी बढ़ गई है।

इससे यहां के तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई है। ऐसे में अब भारी संख्या में इंडोनेशियाई लोग पर्यावरण को बचाने के लिए सामने आ रहे हैं। मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया पर्यावरण को बचाने और लोगों में इसे लेकर जागरूकता फैलाने के लिए इस्लाम धर्म का सहारा ले रहा है।

क्या है "ग्रीन इस्लाम" अभियान

दरअसल, पिछले कुछ सालों से जिस तरीके से इंडोनेशिया में क्लाइमेट चेंज हो रहा है उससे पर्यावरण बहुत हद तक प्रभावित हुआ है, इसे ध्यान में रखते हुए "ग्रीन इस्लाम" नामक एक अभियान चलाया जा रहा है।

इस अभियान का उद्देश्य है इस्लामी शिक्षाओं के जरिए देश के लोगों के बीच पृथ्वी को लेकर जागरूकता फैलाना और इसके बचाव के लिए जरूरी कदम उठाना है। अभियान के जरिए देश के बड़े-बड़े धार्मिक नेता और इमाम लोगों से पर्यावरण की देखभाल करने की अपील कर रहे हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जकार्ता में इस्तिकलाल मस्जिद के ग्रैंड इमाम नसरुद्दीन उमर ने मुस्लिमों के पवित्र ग्रंध कुरान और पैगंबर मुहम्मद द्वारा दी गई शिक्षाओं पर जोर देते हुए यह बताया है कि कैसे इस्लाम में पर्यावरण को बचाने के लिए जोर दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, धार्मिक नेता जंगलों की कटाई को एक खराब प्रथा बता रहे हैं और इससे लेकर फतवे भी जारी कर रहे हैं। आक अब्दुल्ला अल-कुदुस जैसे पर्यावरण कार्यकर्ता लोगों को और पेड़ लगाने और पर्यावरण की रक्षा करने की प्रेरणा भी दे रहे हैं।

"ग्रीन इस्लाम" का क्या हुआ है असर

धार्मिक नेताओं की पहल के बाद इंडोनेशिया में "ग्रीन इस्लाम" का असर दिखने लगा है। यहां के इस्तिकलाल मस्जिद में सोलर पैनल लगाए गए हैं। यही नहीं मस्जिद में पानी के कम इस्तेमाल को लेकर भी अहम कदम उठाए गए हैं। इन पर्यावरण-अनुकूल परिवर्तनों को चलते, मस्जिद विश्व बैंक द्वारा हरित इमारत के रूप में प्रमाणित होने वाली दुनिया की पहली पूजा घर बन गई है।

अभियान के लिए चुनौतियां

इंडोनेशिया में अभी इस अभियान को लेकर काफी चर्चा है जिसमें धार्मिक नेता भी बढ़चढ़कर शामिल हो रहे हैं। लेकिन कुछ धार्मिक नेता पर्यावरणवाद को एक धार्मिक मुद्दा नहीं मानते हैं और वे इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखते है।

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले इस तरीके से पर्यावरण से जुड़े अन्य अभियानों को जब धर्म के साथ लेकर चलने की बात कही गई थी तब कुछ धार्मिक नेताओं द्वारा इसका विरोध हुआ था और मामला यहां तक पहुंच गया था पर्यावरण कार्यकर्ता को जान से मारने की धमकी भी मिली थी।

वहीं कई इंडोनेशियाई ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन मनुष्यों के कारण नहीं होता है। इसके पीछे उनका अलग ही तर्क है। हालांकि इन सब के बीच हाल में "ग्रीन इस्लाम" अभियान काफी असरदार दिख रहा है और लंबे समय तक इसे अगर चलाया गया तो इसमें एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता भी है।

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