तेल अवीव: इजराइली सेना और वाशिंगटन में इजराइल के दूतावास के अनुसार, गुरुवार को ईरान ने एक ऐसा मिसाइल दागा, जो कई छोटे-छोटे विस्फोटकों में टूट कर अलग हुआ और इजराइल की जमीन पर गिरा। इजराइल के अनुसार ईरान द्वारा इसका इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा लोगों को चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया गया था। माना जा रहा है कि यह क्लस्टर हथियार थे। पिछले 8 दिनों से ईरान-इजराइल संघर्ष में यह पहली बार है जब किसी पक्ष ने इन हथियारों का इस्तेमाल किया है।

इरजाइली दूतावास ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को एक ईमेल में कहा, 'आज ईरानी सशस्त्र बलों ने इजराइल के घनी आबादी वाले नागरिक क्षेत्र पर एक मिसाइल दागी, जिसमें क्लस्टर सबम्यूनिशन थे।'

ईमेल में आगे कहा गया, 'क्लस्टर हथियारों को एक बड़े क्षेत्र में हमले और नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। ईरान ने जानबूझकर नागरिक आबादी वाले केंद्रों पर गैरकानूनी तरीके से इसे फायर किया ज्यादा बड़े क्षेत्र में नागरिकों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की।'

आखिर क्लस्टर हथियार क्या होते हैं? कैसे काम करते हैं और क्यों इन्हें खतनाक माना जाता है, आइए इस बारे में जानते हैं। इनका इस्तेमाल पहले भी विवादित रहा है।

क्या होते हैं क्लस्टर म्यूनिशन?

क्लस्टर हथियार में छोटे-छोटे विस्फोटक और नुकसान पहुंचाने वाले तत्व शामिल होते हैं। इनका जिनका वजन 20 किलोग्राम से कम होता है। इन्हें किसी मिसाइल, रॉकेट या एयर ड्रॉप बम के माध्यम से हवा में छोड़ा जाता है। इसके बाद ये नीचे जमीन की ओर आते हुए कई हिस्सों में बंटते चले जाते हैं और बड़े हिस्से में कई सौ मीटर तक कई लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

एक मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) से सैकड़ों क्लस्टर बम को ले जाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, MLRS रॉकेट के M26A1/A2 वैरिएंट में 518 बम होते हैं, जबकि 155 मिमी आर्टिलरी शेल के M864 वैरिएंट में 76 बम होते हैं।

अमेरिका ने तीनों प्रकार के क्लस्टर बमों को बनाया था। इसमें हवा से गिराने, आर्टिलरी और रॉकेट-लॉन्च से हमले को लेकर किया गया डिजाइन शामिल है। हालांकि, अमेरिका ने 2008 में इनका उत्पादन बंद कर दिया।

ईरान ने कैसे किया इजराइल में क्लस्टर हथियार से हमला?

ईरान ने गुरुवार को क्लस्टर सबम्यूनिशन युक्त वारहेड से लैस एक बैलिस्टिक मिसाइल को इज़राइल पर लॉन्च किया। रिपोर्ट के अनुसार वारहेड ज़मीन से लगभग 7 किलोमीटर (4.3 मील) की ऊँचाई पर टूटा और इसके बाद 8 किलोमीटर के दायरे में लगभग 20 सबम्यूनिशन बिखर गए।

छोटे बमों में कोई निर्धारित लक्ष्य नहीं होता। वे बस जमीन पर गिरते हैं और विस्फोट होने लगता है। हालाँकि, इस मामले में, कई सबम्यूनिशन में कथित तौर पर विस्फोट नहीं हुए। एक सबम्यूनिशन से अजोर शहर में एक घर को क्षति हुई।

'टाइम्स ऑफ़ इजराइल' के अनुसार यह क्षति एक छोटे रॉकेट के बराबर थी, क्योंकि हर बम में लगभग 2.5 किलोग्राम का विस्फोटक चार्ज था। हालाँकि हमले में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है, लेकिन बिना विस्फोट वाले सबम्यूनिशन की मौजूदगी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी। आईडीएफ होम फ्रंट कमांड ने कहा कि कम से कम 20 विस्फोटित बमों का पता लगाया गया है और उन्हें नष्ट कर दिया। साथ ही लोगों को चेतावनी दी गई कि वे मिसाइल के अवशेषों के पास न जाएं क्योंकि वे बारूदी सुरंगों की तरह नुकसान पहुंचा सकते हैं।

क्लस्टर हथियारों पर होता रहा है विवाद?

क्लस्टर हथियारों के इस्तेमाल को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इससे आम नागरिकों को अक्सर व्यापक नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा एक बड़ी चिंता ये भी होती है कि इनके क्लस्टर हथियारों के कई बम तत्काल नहीं फटते और अगर ये किसी की नजर से बच गए तो कई महीनों या सालों बाद भी इनमें विस्फोट हो सकता है।

इन हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए 2008 में कन्वेन्शन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन पर 112 देशों और 12 पर्यवेक्षक संस्थाओं ने हस्ताक्षर भी किया था। इसमें ऐसे हथियारों के इस्तेमाल, इन्हें बनाने, अधिग्रहण, भंडारण या हस्तांतरण पर प्रतिबंध की बात कही गई है।

कन्वेंशन में कहा गया है कि ये हथियार 'महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों को मारते या अपंग बनाते हैं, आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधा डालते हैं। साथ ही संघर्ष के दौरान इस्तेमाल के वर्षों बाद भी पुनर्वास और पुनर्निर्माण में बाधा डालते हैं (और) शरणार्थियों और विस्थापित व्यक्तियों की वापसी में देरी करते हैं या उन्हें रोकते हैं।'

हालाँकि, ईरान, इजराइल, रूस, यूक्रेन और अमेरिका इस संधि में शामिल नहीं हुए हैं। जबकि अमेरिका ने 2008 में उत्पादन रोक दिया था। हालांकि, उसने ऐसे हथियारों को तैनात करने का अधिकार बनाए रखा है। साल 2023 में लंबी बहस के बाद अमेरिका ने रूसी सेना के खिलाफ इस्तेमाल के लिए यूक्रेन को क्लस्टर आर्टिलरी गोले भेजे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि यूक्रेन ने अपने खिलाफ रूस पर इसी तरह के हथियारों को तैनात करने का आरोप लगाया था।