ढांकाः बंग्लादेश में रविवार छात्र प्रदर्शनकारियों की पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ हिंसक झड़प में 27 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। छात्र सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
सरकार ने रविवार शाम छह बजे से अनिश्चितकालीन देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है। पिछले महीने से शुरू हुए इन प्रदर्शनों के दौरान ऐसा पहली बार हुआ है। इस हिंसा में अब तक पूरे देश में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी ढाका सबसे ज्यादा प्रभावित है।
रविवार को, लाठी डंडों से लैस प्रदर्शनकारियों की भीड़ ढाका के मध्य शाहबाघ चौक पर जमा हो गई। कई अन्य शहरों के साथ-साथ कई स्थानों पर भी सड़क पर लड़ाई हुई। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया, पुलिस से भिड़ गए और सत्तारूढ़ अवामी लीग का समर्थन करने वाले समूहों का सामना किया।
Soldiers of the Bangladesh Army opened fire on Chhatra League (the ruling party @albd1971‘s student wing) miscreants in the Comilla district today. In this video, you can hear people screaming, “Shoot at them, shoot at them,” and immediately afterward, soldiers fired burst rounds… pic.twitter.com/zh4XlkCS43
— Sami (@ZulkarnainSaer) August 4, 2024
प्रदर्शनकारियों में छात्र और मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित कुछ समूह शामिल हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ‘असहयोग’ का आह्वान किया है, लोगों से करों और बिलों का भुगतान नहीं करने और रविवार को काम पर नहीं आने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि बांग्लादेश में रविवार साप्ताहिक छुट्टी नहीं, वर्किंग डे होता है।
अस्पताल, यूनिवर्सिटी पर प्रदर्शनकारियों का हमला
प्रदर्शनकारियों ने रविवार ( 4 अगस्त) को खुले कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर हमला किया, जिसमें ढाका के शाहबाग इलाके में एक प्रमुख सार्वजनिक अस्पताल, बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी भी शामिल है। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ढाका के उत्तरा इलाके में कुछ कच्चे बम विस्फोट किए गए और गोलियों की आवाज सुनी गई। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, उन्होंने कई वाहनों को भी आग लगा दी।
ढाका के मुंशीगंज जिले में एक पुलिसकर्मी ने मीडिया को बताया कि पूरा शहर युद्ध के मैदान में बदल गया है। चूंकि जुलाई में हुए विरोध प्रदर्शनों को पुलिस ने कुचल दिया था, इस बार विरोध का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से बांस की लाठियों से लैस होने का आह्वान किया था।
हिंसा से 11 जिले प्रभावित
बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, बोगुरा, मगुरा, रंगपुर और सिराजगंज सहित 11 जिलों में मौतें हुईं, जहां अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्यों के बीच सीधी झड़प हुई।
ये विरोध पिछले महीने शुरू हुए थे। सरकार ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सैनिकों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% सीटें आरक्षित कर रखी थीं। इसी को लेकर विरोध शुरू हुआ। विरोध बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर 5% कर दिया, जिसमें से 3% सैनिकों के रिश्तेदारों के लिए रखा गया। लेकिन विरोध जारी रहा। प्रदर्शनकारी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने प्रदर्शन दबाने के लिए बहुत ज्यादा बल प्रयोग किया है।
सरकार ने हिंसा के लिए विपक्षी दलों को दोषी ठहराया
प्रधानमंत्री हसीना और उनकी पार्टी प्रदर्शनकारियों के दबाव को खारिज करती दिख रही हैं। सरकार ने विपक्षी दलों और अब प्रतिबंधित दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उनके छात्र विंग को हिंसा भड़काने के लिए दोषी ठहराया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक के बाद हसीना ने आरोप लगाते हुए कहा- “जो लोग अभी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे छात्र नहीं हैं, बल्कि आतंकवादी हैं जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं”। उन्होंने देशवासियों से इन आतंकवादियों को सख्ती से दबाने की अपील की।