अमेरिकी अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप के अध्यादेश पर लगायी रोक, 15 दिन बाद फिर होगी सुनवाई

डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के दिन ही दो दर्जन से ज्यादा अध्यादेश पर हस्ताक्षर किये थे।

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अमेरिकी जज ने डोनाल्ड ट्रंप के अध्यादेश को पहली नजर में गैरकानूनी कहा।

नई दिल्ली: एक फेडरल जज ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी, जो अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को सीमित करने का प्रयास कर रहा था। न्यायाधीश ने इसे 'स्पष्ट रूप से असंवैधानिक' करार दिया। यह आदेश ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन जारी किया था।

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्रंप ने कहा, "जाहिर है कि हम इस आदेश पर अपील करेंगे।" ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे संविधान के अनुरूप बताया था, लेकिन जज ने इसे असंवैधानिक मानते हुए रोक लगाई।

फेडरल जज ने दी पहली कानूनी चुनौती

सिएटल के अमेरिकी जिला जज जॉन कफनौर ने चार डेमोक्रेटिक-शासित राज्यों—वाशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन—की ओर से दायर अपील पर अस्थायी निरोधक आदेश जारी किया। यह ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीति को मिलने वाला पहला कानूनी झटका था। रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा नियुक्त जज ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए आदेश पर रोक लगाई।

जज कफनौर ने ट्रंप प्रशासन के आदेश का बचाव करने वाले अमेरिकी न्याय विभाग के वकील से कहा, "मुझे समझने में कठिनाई हो रही है कि एक सदस्य बार कैसे कह सकता है कि यह आदेश संवैधानिक है। यह मेरे दिमाग को चकरा देता है।"

ट्रंप का विवादास्पद कार्यकारी आदेश

इससे पहले सोमवार को ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता के खिलाफ एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए इसे 'हास्यास्पद' और 'अवास्तविक' करार दिया था। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अमेरिका 'दुनिया का एकमात्र देश' है, जहां ऐसा नियम लागू है।

इस आदेश के तहत, अमेरिका में जन्मे बच्चे—जिनके माता-पिता में से कम से कम एक नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं है—अब स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त नहीं करेंगे। यह आदेश फेडरल एजेंसियों को इन बच्चों के लिए नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज जारी करने से भी रोकता है। अस्थायी वीजा पर या अनधिकृत अप्रवासी के बच्चों को इससे सबसे ज्यादा असर होगा।

कई मुकदमे दर्ज, विरोध जारी

ट्रंप के आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद से अब तक कम से कम छह मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें नागरिक अधिकार समूहों और 22 राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल द्वारा दायर किए गए हैं।

यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।

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