वाशिंगटनः यूक्रेन में रूस के लगातार जारी युद्ध के बीच अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने उन देशों को कड़ी चेतावनी दी है जो रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं। लिंडसे ग्राहम ने कहा है कि अगर चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश रूस से तेल की खरीद बंद नहीं करते हैं तो उन पर 100 प्रतिशत सेकेंडरी टैरिफ लगाए जाएंगे। यह चेतावनी ऐसे वक्त आई है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए 50 दिनों की समयसीमा तय की है।

सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा, “अगर भारत, चीन और ब्राजील रूसी तेल खरीदते रहेंगे, तो हम उनकी अर्थव्यवस्था को कुचल देंगे। यह खून की कमाई है जो पुतिन की युद्ध मशीन को चला रही है।” उन्होंने आगे कहा कि “ये तीन देश रूस के कच्चे तेल का करीब 80% हिस्सा खरीदते हैं, और यही पुतिन की ताकत का स्रोत है। अगर ये खरीदारी बंद नहीं होती, तो हम आपकी अर्थव्यवस्था की चूलें हिला देंगे।”

रूस को लेकर ट्रंप का कड़ा रुख 

राष्ट्रपति ट्रंप रूस को युद्धविराम के लिए बाध्य करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने नाटो महासचिव मार्क रुटे के साथ ओवल ऑफिस में बोलते हुए कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले 50 दिनों के भीतर शांति समझौते पर सहमत नहीं होते हैं, तो अमेरिका रूसी तेल और गैस खरीदना जारी रखने वाले देशों पर 100 प्रतिशत 'सेकेंडरी टैरिफ' लगाएगा। 

ट्रंप ने पुतिन पर हताशा व्यक्त करते हुए कहा, "मेरी उनसे बातचीत बहुत सुखद होती है, और फिर रात में मिसाइलें दागी जाती हैं।" हालांकि ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि ये टैरिफ अंतिम लक्ष्य नहीं हैं, बल्कि पुतिन को बातचीत की मेज पर लाने का एक साधन हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन ने 'कई लोगों को बेवकूफ बनाया', जिनमें क्लिंटन, बुश, ओबामा और बाइडेन शामिल हैं, लेकिन उन्हें नहीं।

इसी तरह का बयान नाटो महासचिव मार्क रूटे ने भी दिया जो हाल ही में ट्रंप से ओवल ऑफिस में मिले थे। उन्होंने कहा, “मैं भारत, चीन और ब्राजील से आग्रह करता हूं कि पुतिन को फोन करें और कहें कि अब युद्ध खत्म करने के लिए गंभीर बातचीत का समय आ गया है, वरना इसका असर भारी पड़ेगा।”

अमेरिकी सांसदों की कड़ी पहल

सीनेटर ग्राहम और डेमोक्रेट सीनेटर रिचर्ड ब्लुमेंथल ने भी इसी साल अमेरिकी कांग्रेस में एक विधेयक पेश किया है जिसमें रूस से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है।

इस विधेयक में कहा गया है, “चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश सस्ते रूसी तेल की खरीद से पुतिन की युद्ध मशीन को अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग कर रहे हैं। इन पर सख्त टैक्स लगाना ही युद्ध को रोकने का प्रभावशाली हथियार बन सकता है।”

ब्लूमेंथल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “हम इस द्विदलीय रूस प्रतिबंध विधेयक को और अधिक कठोर बनाने की दिशा में काम करते रहेंगे ताकि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को साफ संदेश मिले।”

अमेरिकी चेतावनी पर भारत की क्या रही प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह नाटो प्रमुख रुटे की टिप्पणियों पर जवाब देते हुए'दोहरे मापदंडों' के खिलाफ आगाह किया। मंत्रालय ने कहा, "हमने इस विषय पर रिपोर्टें देखी हैं और घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। मैं यह दोहराना चाहूँगा कि हमारे लोगों की ऊर्जा आवश्यकताओं को सुरक्षित करना हमारे लिए एक सर्वोपरि प्राथमिकता है।"

भारत ने साफ किया कि इस प्रयास में, वह बाजारों में उपलब्ध विकल्पों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों द्वारा निर्देशित होता है। भारत ने विशेष रूप से इस मामले में किसी भी 'दोहरे मापदंड' के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी। यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से रूसी तेल का एक प्रमुख खरीदार रहा भारत, अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता का हवाला देते हुए अपनी स्थिति का लगातार बचाव करता रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही सीनेटर ग्राहम से प्रस्तावित कानून को लेकर संपर्क में रहने की बात कही थी।