वाशिंगटनः अमेरिका में ट्रंप प्रशासन इन दिनों विदेशी छात्रों को निशाना बना रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग लगातार अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वीजा निस्तारीकरण कर रहा है। इसके साथ ही अमेरिकी प्रशासन छात्रों के कानूनी स्थिति को समाप्त कर और उन्हें हटा रहा है। अब चूंकि अमेरिका में रहकर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या अधिक है। इस वजह से भारतीय छात्र ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी आव्रजन वकील संघ ने 327 वीजा निस्तारीकरण सेविस को खत्म करने की रिपोर्ट इकट्ठी की। इसमें पता चला कि इससे प्रभावित 50 प्रतिशत छात्र भारतीय हैं और इसके बाद 14 प्रतिशत छात्र चीन के हैं।
तीन लाख से अधिक छात्र
इस रिपोर्ट के मु्ताबिक, भारत और चीन के बाद दक्षिण कोरिया, नेपाल और बांग्लादेश का नंबर आता है। वकील संघ द्वारा इस बाबत एक बयान भी जारी किया गया जिसमें लिखा कि "यह रिपोर्ट वीजा निस्तारीकरण और समाप्ति की मनमानी प्रकृति की चिंताजनक तस्वीर पेश करती है।"
ओपन डोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023-24 में भारत से 3.3 लाख छात्र अमेरिका में पढ़ने के लिए गए थे। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक थी। वहीं, चीन से इस दौरान 2.8 लाख छात्र गए थे। यह पिछले साल की तुलना में चार प्रतिशत कम थी।
इस बीच कई अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने अमेरिका की जिला अदालतों में वीजा निस्तारीकरण और कानूनी स्थिति की समाप्ति के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
इस संबंध में कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने अमेरिकी आव्रजन वकील संघ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक्स पर लिखा कि आइला (AILA) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट भारत के लिए चिंताजनक है क्योंकि इसमें 50 प्रतिशत भारतीय प्रभावित हैं। इसके साथ ही रमेश ने लिखा कि इसके पीछे के कारण अस्पष्ट हैं। उन्होंने लिखा कि इसको लेकर डर और आशंका बढ़ती जा रही है।
एक्स पर पोस्ट में विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करते हुए रमेश ने पूछा कि क्या विदेश मंत्री इस पर ध्यान देंगे और अमेरिकी विदेश मंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक ब्रीफ के दौरान कहा "हम इस बात से अवगत हैं कि कुछ भारतीय छात्रों ने एफ-1 वीजा, जो कि छात्र वीजा है की स्थिति को लेकर अमेरिकी सरकार से संचार प्राप्त किया है। हम मामले की जांच कर रहे हैं। हमारा दूतावास और वाणिज्य दूतावास छात्रों को सहायता प्राप्त करने के लिए संपर्क में है।"
अमेरिकी में पढ़ रहे विदेशी छात्रों के लिए पाठ्यक्रम समाप्ति के बाद एक साल के लिए वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (ओपीटी) कार्यक्रम दिया जाता है जिससे उन्हें कार्यानुभव मिल सके। इसके साथ ही इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में यह वीजा दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। ओपन डोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पढ़ाई पूरी करने के बाद 97,000 से अधिक भारतीय छात्रों को ओपीटी दिया जा रहा है, वहीं चीन के करीब 61,000 छात्रों को इसके लिए चुना गया है।