नेपिदाऊः यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (आई) (उल्फा-आई) ने दावा किया है कि ड्रोन और मिसाइल हमलों में उसके तीन शीर्ष नेता मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। यह एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है और भारत के खिलाफ अलगाववादी आंदोलन में शामिल है। संगठन ने दावा किया है कि यह ड्रोन और मिसाइलों से हमला म्यांमार के सागियांग क्षेत्र में हुआ है।
आतंकी संगठन ने रविवार को एक बयान जारी कर रहा है कि भारतीय सेना द्वारा इसके मोबाइल कैंपों पर हमला किया गया। हालांकि, भारतीय सेना ने हमले में किसी भी तरह के रोल से इंकार किया है। वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राज्य की पुलिस ऐसे किसी हमले में शामिल नहीं थी।
संप्रभु असम की स्थापना करना चाहता है उल्फा (आई)
उल्फा (आई) गुट सशस्त्र संघर्षों के जरिए एक संप्रभु असम की स्थापना करना चाहता है। म्यांमार में 1,600 किलोमीटर सीमा के साथ कई जगहों पर यह संगठन मोबाइल कैंप संचालित करता है। यह संगठन 80 के दशक से संचालित हो रहा है। वर्तमान में इस गुट का नेतृत्व परेश बरुआ कर रहे हैं। हालांकि, गुट की संख्या और प्रभाव में काफी कमी आई है। संगठन के प्रभाव में कमी की वजह आंतरिक कलह बताई जा रही है। वहीं, सरकार ने वार्ता गुट के साथ अधिक सक्रियता बढ़ाई है जिससे असम में बरुआ गुट की पकड़ कमजोर हुई है।
उल्फा (आई) द्वारा जारी बयान के मुताबिक, पहला हमला रविवार को सुबह हुआ, जिसमें म्यांमार में ड्रोन के साथ कई मोबाइल कैंपों को निशाना बनाया गया।
अलगाववादी संगठन ने दावा किया कि हमले में नयन असोम उर्फ नयन मेधी जो कि लोवर काउंसिल के रूप में भी जाने जाते हैं, की ड्रोन हमले में मौत हो गई। समाचार एजेंसी ने संगठन के हवाले से लिखा कि इसमें करीब 19 लोग घायल हो गए।
सुबह 2 से 4 बजे के करीब हुआ हमला
उल्फा (आई) ने दावा किया कि यह हमला सुबह 2 से 4 बजे के करीब हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया ने उल्फा के हवाले से लिखा कि इस हमले में 150 से अधिक इजराइली और फ्रांस निर्मित ड्रोन शामिल थे।
उल्फा (आई) ने दावा किया कि नयन असोम के मारे जाने के बाद उनके अंतिम संस्कार के दौरान दूसरा हमला हुआ जिसमें गणेश असोम और प्रदीप असोम मारे गए।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यह दूसरा हमला था जिसमें मिसाइलें दागी गईं थीं। इस हमले में दो अन्य शीर्ष नेता मारे गए।
भारतीय सेना ने किया इंकार
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कथित हवाई हमला जिसका दावा उल्फा (आई) और मणिपुर के रिवोल्युशनरी पीपल्स फ्रंट (आरपीएफ) ने किया है कि भारत-म्यांमार सीमा के पास नागालैंड में लौंगवा और अरुणाचल प्रदेश के पंगसाउ पास में हुआ।
भारतीय सेना ने हालांकि म्यांमार में हुए इस अभियान में किसी भी तरह की भूमिका से इंकार किया है। न्यूज एजेंसी ने गुवाहाटी के डिफेंस पब्लिक रिलेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत के हवाले से लिखा "अभियान में भारतीय सेना के शामिल होने के कोई इनपुट नहीं हैं।"
वहीं, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम पुलिस की इसमें कोई भूमिका नहीं है और यह हमारी धरती से नहीं हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे अभियान यदि चलाए जाते हैं तो आमतौर पर सशस्त्र बलों को जानकारी होती है।