आज देर शाम डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। अपने पहले कार्यकाल और उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति के रूप में बीते चार साल के दौरान वे अक्सर विवादों से घिरे रहे। डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के साथ ही यह बहस शुरू हो गयी है कि क्या वह सचमुच ‘ग्रेटर अमेरिका’ बनाने में सफल हो सकते हैं!
राष्ट्रपति चुनाव के दौारन डोनाल्ड ट्रम्प के सबसे चर्चित नारों में था- MAGA (make america great again/अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे) और America First (अमेरिका प्रथम)।
चुनाव जीतने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा और ग्रीनलैण्ड इत्यादि को संयुक्त राज्य अमेरिका में शामिल करने का इरादा जताया। उनके लहजे से यह समझना मुश्किल होता है कि वे कब व्यंग्य कर रहे हैं और कब सचमुच गम्भीर बयान दे रहे है। उनकी मंशा जो भी हो मगर अमेरिका के राष्ट्रपति के बयानों की अनदेखी मुश्किल है। ट्रम्प का MAGA, ‘ग्रेटर अमेरिका’ और ‘अमेरिका प्रथम’ से क्या आशय है और 20 जनवरी को दूसरी बार अमेरिका की बागडोर संभालने के बाद क्या वे इस दिशा में क्या कदम उठाएंगे।
ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति क्या है?
डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व का केंद्रीय विचार है ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First), जिसका उद्देश्य अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना है। ट्रम्प कहते रहे हैं कि अमेरिका को दुनिया (खासर यूरोप की) चिन्ता करने के बजाय अपने देश के फायदे-नुकसान के हिसाब से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय निर्णय लेने चाहिए। इसी सोच के तहत अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प ने अमेरिका को कुछ वैश्विक समझौतों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से बाहर निकालने की कोशिश की थी।
ट्रम्प ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर रखकर इसी सोच का प्रदर्शन किया था। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के साथ परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था। वह संयुक्त राष्ट्र तथा नाटो जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के औचित्य पर भी सवाल उठाते रहे हैं। उनका मानना है कि इन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से दूसरे देशों को ज्यादा और अमेरिका को कम फायदा होता है।दूसरे देशों के संग व्यापार समझौतों को फिर से तय करना, जैसे कि यूएस-मैक्सिको-केनेडा समझौता (USMCA), और चीन पर भारी शुल्क लगाना इत्यादि ट्रम्प की इसी अमेरिका प्रथम नीति के अंग माने जाते हैं।
‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का उद्देश्य अमेरिका को पुनः निर्विवाद रूप से दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करना है। मगर उनकी इस सोच की वजह से अमेरिका के दूसरे देशों से रिश्तों में नए तनाव भी उभरते दिख रहे हैं।
‘अमेरिका प्रथम’ के साथ ही ट्रम्प लगातार ‘ग्रेटर अमेरिका’ की भी बात कर रहे हैं जिसने अमेरिका के पुराने साझीदार यूरोपीय देशों और पड़ोसी लातिन अमेरिकी देशों की भौहें चढ़ा दी हैं।
‘ग्रेटर अमेरिका’ क्या है?
‘ग्रेटर अमेरिका’ से कोलोनियल दौर के ‘ग्रेटर ब्रिटेन’ की अनुगूँज सुनायी देती है। इसका सीधा अर्थ है कि अमेरिका की भौगोलिक सीमा से दूर स्थित अमेरिकी नियंत्रण वाले क्षेत्र। ट्रंप द्वार ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर नियंत्रण का विषय छेड़ते ही इनके दूरगामी निहितार्थ पर चर्चा चल पड़ी। ग्रीनलैंड जैसे क्षेत्रों में संसाधन और सामरिक महत्व के कारण अमेरिका को अपने विरोधियों के मुकाबले मजबूती मिल सकती है, और मेक्सिको की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में नियंत्रण से अमेरिका को आंतरिक सुरक्षा और ऊर्जा आपूर्ति में भी फायदा हो सकता है।
पनामा नहर एक रणनीतिक जलमार्ग है जो अटलांटिक महासागर और पैसिफिक महासागर को जोड़ता है। यह जलमार्ग व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बड़ी मात्रा में माल के परिवहन को त्वरित और सस्ता बनाता है। पनामा नहर का नियंत्रण रखने से एक देश को वैश्विक व्यापार में प्रमुख स्थान प्राप्त होता है। ट्रम्प के तहत, अमेरिका ने हमेशा से अपने वैश्विक व्यापार और शक्ति के विस्तार के लिए इस नहर के महत्त्व को पहचाना है।
यदि ट्रम्प पनामा नहर पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं, तो यह व्यापार मार्गों पर अमेरिका का नियंत्रण बढ़ाने का एक प्रयास हो सकता है। यह अमेरिका की आर्थिक स्थिति को मज़बूत करने और एशिया, यूरोप और अमेरिका के बीच व्यापार को प्रभावी बनाने के लिए अहम होगा। हालांकि, पनामा नहर पहले से ही पनामा के नियंत्रण में है, तो ट्रम्प का इस पर कब्जा करने का विचार काफी विवादास्पद हो सकता है।
मेक्सिको की खाड़ी भी ट्रम्प के ध्यान का एक प्रमुख केंद्र रही है। यह क्षेत्र अमेरिका और मेक्सिको के बीच के समुद्र मार्गों के रूप में महत्वपूर्ण है, और यहां ऊर्जा संसाधनों, खासकर तेल और गैस के भंडार, का बड़ा स्रोत है। ट्रम्प का ध्यान इस खाड़ी पर इसलिये भी है, क्योंकि उनका आर्थिक दृष्टिकोण और ऊर्जा नीति इस खाड़ी के तेल संसाधनों से जुड़ी हुई हो सकती है।
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में अमेरिका के ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की कई पहल की थी, और मेक्सिको की खाड़ी से तेल की खुदाई और आपूर्ति में अमेरिकी कंपनियों के अधिक निवेश को प्राथमिकता दी थी। इस खाड़ी के तहत अमेरिका अपनी ऊर्जा स्वायत्तता को सुनिश्चित करने का प्रयास कर सकता है और साथ ही इस क्षेत्र में अपनी शक्ति बढ़ाने का विचार भी हो सकता है।
ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए अहम क्यों है?
राष्ट्रपति बनने से पहले ही डोनाल्ड ट्रम्प ने ग्रीनलैंड को खरीदने का प्रस्ताव देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क के नियंत्रण में है, आर्कटिक क्षेत्र में स्थित एक बड़ा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूभाग है। ग्रीनलैंड का महत्व बढ़ता जा रहा है, खासकर जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ पिघलने के कारण वहां से नए जलमार्ग और खनिज संसाधनों की संभावना बढ़ी है।
ट्रम्प ने ग्रीनलैंड को खरीदने का प्रस्ताव इसलिए रखा था क्योंकि यह क्षेत्र अमेरिका को आर्कटिक महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका दे सकता था। इसके अलावा, ग्रीनलैंड में खनिज और ऊर्जा संसाधनों की भरमार है, जो अमेरिका के आर्थिक हितों के लिए फायदेमंद हो सकती है। ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण से अमेरिका को अपनी सैन्य शक्ति और वैश्विक रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिल सकता था, क्योंकि यह क्षेत्र रूस, चीन और अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यह कहना कि ट्रम्प 2025 में अमेरिका को ‘ग्रेटर अमेरिका’ बना सकते हैं, यह बहुत हद तक उनके नेतृत्व की दिशा, नीतियों और अमेरिका के आंतरिक और वैश्विक मुद्दों को संभालने की उनकी क्षमता पर निर्भर करेगा। हालांकि, ट्रम्प का पहला कार्यकाल यह साबित करता है कि वे अमेरिकी पहचान और शक्ति को मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाने में सक्षम हैं। लेकिन यह भी सच है कि उनकी नीतियों ने देश में बड़े सामाजिक और राजनीतिक विभाजन पैदा किए हैं, जिससे ‘ग्रेटर अमेरिका’ का सपना केवल उनके समर्थकों तक सीमित रह सकता है।
अंततः, यह निर्भर करेगा कि ट्रम्प अपनी नीतियों को किस तरह से कार्यान्वित करते हैं और वे देश के सभी नागरिकों के हितों को कैसे संतुलित करते हैं। ‘ग्रेटर अमेरिका’ का निर्माण एक चुनौतीपूर्ण और दीर्घकालिक प्रक्रिया होगी, जिसे विभिन्न आंतरिक और वैश्विक दबावों का सामना करना पड़ेगा।