अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) के क्रियान्वयन को रोकने का निर्देश दिया गया। यह कानून अमेरिकी और विदेशी कंपनियों को व्यापार प्राप्त करने या बनाए रखने के लिए विदेशी सरकारों के अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है।
व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए, ट्रम्प ने कहा, "यह कानून अच्छा लगता है, लेकिन इससे देश को नुकसान होता है।" उन्होंने तर्क दिया कि यह कानून कई कंपनियों को महत्वपूर्ण व्यावसायिक सौदे करने से रोकता है, क्योंकि व्यापारिक नेताओं को यह डर रहता है कि उनके निर्णयों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस अस्थायी रोक का उद्देश्य एफसीपीए को और अधिक व्यवस्थित और व्यावहारिक बनाना है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह अमेरिकी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के अनुरूप हो।
कानून और इसके प्रभाव
विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) 1977 में लागू किया गया था। यह कानून सभी अमेरिकी नागरिकों और कुछ विदेशी प्रतिभूति जारीकर्ताओं को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है। 1998 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिससे यह उन विदेशी कंपनियों और व्यक्तियों पर भी लागू हो गया, जो अमेरिका के भीतर रिश्वत देने में संलिप्त पाए जाते हैं।
एफसीपीए न केवल सीधी रिश्वत पर लागू होता है, बल्कि कंपनी प्रबंधन द्वारा दी गई, अधिकृत या योजनाबद्ध रिश्वत पर भी प्रभावी रूप से लागू किया जाता है। इस कानून के उल्लंघन पर अधिकतम 15 वर्ष की जेल की सजा और 250,000 डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि रिश्वत की राशि अधिक होती है, तो यह जुर्माना तीन गुना तक बढ़ सकता है।
न्याय विभाग (DOJ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में एफसीपीए के उल्लंघन से संबंधित 24 प्रवर्तन कार्रवाइयाँ दर्ज की गईं, जबकि 2023 में ऐसी 17 कार्रवाइयाँ हुई थीं।
एफसीपीए पर अस्थायी रोक: समर्थन और आलोचना
ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि एफसीपीए के सख्त नियमों के कारण अमेरिकी कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही हैं, क्योंकि अन्य देशों में भ्रष्टाचार से जुड़े नियम इतने कड़े नहीं हैं। एफसीपीए प्रवर्तन पर रोक से अमेरिकी कंपनियों को अधिक व्यापारिक अवसर मिलने की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं ने इस निर्णय की आलोचना की है। उनके अनुसार, एफसीपीए का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और कानून के शासन को मजबूत करना है। इसके प्रवर्तन पर रोक लगाने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा मिल सकता है।
यह देखा जाना बाकी है कि इस आदेश के प्रभाव से अमेरिकी कंपनियों और वैश्विक व्यापार पर क्या असर पड़ता है, और क्या यह निर्णय ट्रम्प प्रशासन के व्यापारिक सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने में सफल होता है।