भारत-पाक तनाव पर ट्रंप का दावा- हमने परमाणु युद्ध को टाला, नहीं तो लाखों मारे जाते; व्यापार को दबाव का बनाया हथियार

व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "शनिवार को मेरी सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण संघर्षविराम कराने में अहम भूमिका निभाई। ये दोनों परमाणु हथियारों से लैस देश बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके थे और हालात..

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Photograph: (IANS)

वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और उसके बाद सीजफायर पर अपनी प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान को शत्रुता समाप्त करने के लिए, मनाने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार का जिक्र किया। दोनों देशों के बीच तनाव गंभीर हो सकता था। उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझने और लड़ाई को समाप्त करने के लिए बुद्धिमत्ता और धैर्य के लिए भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व की सराहना की।

पश्चिम एशिया में सऊदी अरब, यूएई और कतर के लिए रवाना होने से पहले व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “हम आपके साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं, चलो इसे रोकते हैं। अगर आप इसे रोकते हैं, तो हम व्यापार कर रहे हैं। अगर आप इसे नहीं रोकते हैं, तो हम कोई व्यापार नहीं करने जा रहे हैं।”

दोनों देशों के साथ व्यापार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं, हम भारत के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं। हम अभी भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, हम जल्द ही पाकिस्तान के साथ बातचीत करने जा रहे हैं।"

आंशिक परमाणु युद्ध की संभावना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “हमने (एक) परमाणु संघर्ष को रोका। मुझे लगता है कि यह एक बुरा परमाणु युद्ध हो सकता था। लाखों लोग मारे जा सकते थे। इसी कारण मुझे इस पर बहुत गर्व है।”

भारत ने ट्रंप के दावे का किया खंडन

हालांकि भारत ने अमेरिका के इस दावे का खंडन किया। ANI ने सूत्रों के हवाले से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई को प्रधानमंत्री मोदी से बात की। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 8 मई और 10 मई को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से और 10 मई को NSA अजीत डोभाल से बात की। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का कोई संदर्भ नहीं था।

इससे पहले ब्रीफिंग में उन्होंने कहा, "मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और तत्काल युद्ध विराम कराने में मदद की, मुझे लगता है कि यह स्थायी युद्धविराम था, जिससे दो राष्ट्रों के बीच एक खतरनाक संघर्ष समाप्त हुआ, जिनके पास बहुत सारे परमाणु हथियार थे और वे एक-दूसरे पर बहुत अधिक आक्रमण कर रहे थे और ऐसा लग रहा था कि यह रुकने वाला नहीं था। मुझे आपको यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व अडिग, शक्तिशाली था, लेकिन स्थिति की गंभीरता को पूरी तरह से जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य भी था।"

ट्रंप ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर बड़ी घोषणा की थी। उन्होंने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान तीन दिनों से जारी संघर्ष पर तत्काल पूर्ण युद्ध विराम के लिए सहमत हो गए हैं। यह सहमति अमेरिका की मध्यस्थता से पूरी हुई।

हालांकि ट्रंप की यह घोषणा भारत और पाकिस्तान की किसी आधिकारिक पुष्टि से पहले आई, जिससे कई सवाल खड़े हो गए और भारत की विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आपत्ति जताई।

विपक्षी दलों ने साधा निशाना: संप्रभुता पर आघात

कांग्रेस पार्टी ने इसे भारत की विदेश नीति की विफलता बताया। पार्टी महासचिव भूपेश बघेल ने पूछा, “क्या यह मान लिया जाए कि अमेरिका के दबाव में भारत संघर्षविराम के लिए मजबूर हुआ?”

सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता एमए बेबी ने कहा कि ट्रंप का यह बयान कि संघर्षविराम अमेरिका की पहल पर हुआ, और वह भी भारत की किसी आधिकारिक घोषणा से पहले, "चिंताजनक और अस्वीकार्य" है। 

वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता पर सीधा हमला बताया और कहा कि अगर अमेरिका के दबाव में युद्धविराम हुआ, तो यह "कूटनीतिक आत्मसमर्पण" जैसा है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ

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