नई दिल्लीः थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़े तनाव के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के शीर्ष नेताओं से फोन पर बात की। उन्होंने दावा किया कि दोनों देश युद्धविराम के लिए सहमत हुए हैं और साथ ही अमेरिका के साथ व्यापार करना चाहते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री से फोन पर बात की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ' पर इस बात की जानकारी शेयर करते हुए लिखा, "मैंने थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री से बात की है, और यह बहुत अच्छी बातचीत रही। कंबोडिया की तरह थाईलैंड भी तत्काल युद्धविराम और शांति चाहता है। अब मैं यह संदेश कंबोडिया के प्रधानमंत्री को वापस भेजूंगा। दोनों पक्षों से बात करने के बाद, युद्धविराम, शांति और समृद्धि स्वाभाविक प्रतीत होती है।"
राष्ट्रपति ट्रंप ने इसके बाद कंबोडिया के प्रधानमंत्री से बात की। ट्रंप ने दावा किया कि दोनों देश अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता करना चाहते हैं और युद्ध विराम के लिए सहमत हुए हैं।
उन्होंने ट्रूथ पर लिखा, "अभी-अभी कंबोडिया के प्रधानमंत्री से मेरी अच्छी बातचीत हुई और मैंने उन्हें थाईलैंड और उसके कार्यवाहक प्रधानमंत्री के साथ हुई अपनी बातचीत की जानकारी दी। दोनों पक्ष तत्काल युद्धविराम और शांति चाहते हैं। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ "व्यापारिक वार्ता" पर भी वापस आना चाहते हैं, जो हमें लगता है कि तब तक अनुचित है, जब तक लड़ाई बंद नहीं हो जाती। वे तुरंत मिलने और युद्धविराम और अंततः शांति स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।"
उन्होंने लिखा, "दोनों देशों के साथ व्यापार करना सम्मान की बात थी। उनकी एक लंबी और गौरवशाली इतिहास और संस्कृति है। उम्मीद है कि वे आने वाले कई वर्षों तक साथ मिलकर काम करेंगे। जब सब कुछ हो जाएगा और शांति स्थापित हो जाएगी, तो मैं दोनों देशों के साथ अपने व्यापारिक समझौतों को अंतिम रूप देने के लिए उत्सुक हूं!"
थाई कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि थाईलैंड सिद्धांत रूप में युद्धविराम के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए कंबोडिया की ‘सच्ची इच्छा’ आवश्यक है। उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि वह थाईलैंड की ओर से दीर्घकालिक शांति हेतु द्विपक्षीय वार्ता की मंशा को कंबोडिया तक पहुंचाएं।
पुरातात्विक मंदिरों को लेकर दशकों पुराना विवाद
इस ताजा हिंसा को दक्षिण एशिया में एक दशक के सबसे गंभीर सीमा संघर्ष के रूप में देखा जा रहा है। शनिवार को थाईलैंड के त्राट प्रांत और कंबोडिया के पुरसत प्रांत में झड़पें तेज हो गईं, जो शुरुआती संघर्ष क्षेत्र से 100 किलोमीटर दूर एक नया मोर्चा बन गया।
यह तनाव मई के अंत में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद बढ़ा, जिसके बाद दोनों देशों ने 817 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी। विवाद का मुख्य कारण यूनेस्को द्वारा संरक्षित प्रेह विहेयर मंदिर है, जिसे 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया था। हालांकि थाईलैंड ने इस फैसले को कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
शनिवार तक थाईलैंड ने 20 मौतों की पुष्टि की है (7 सैनिक, 13 नागरिक), जबकि कंबोडिया ने 13 लोगों की मौत बताई (5 सैनिक, 8 नागरिक)। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने थाईलैंड पर गैरकानूनी सैन्य आक्रमण का आरोप लगाया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसकी निंदा करने की मांग की। वहीं थाईलैंड ने कंबोडिया पर बारूदी सुरंगों के इस्तेमाल और सीमा पार हमलों का आरोप लगाया और द्विपक्षीय समाधान की इच्छा दोहराई।
भारत ने कंबोडिया स्थित अपने दूतावास के माध्यम से शनिवार को एक यात्रा परामर्श जारी किया, जिसमें भारतीय नागरिकों को थाईलैंड-कंबोडिया सीमा क्षेत्र में न जाने की सलाह दी गई है।
इसी बीच थाईलैंड ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कंबोडिया की “आक्रामकता” को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की, जबकि कंबोडिया ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की है, जिसे थाईलैंड ने खारिज कर दिया।