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काबुल/ब्रुसेल्सः तीन साल पहले सत्ता में आने के बाद से तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपने वास्तविक शासन को और मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। समूह ने अंतरराष्ट्रीय दबाव और शुरुआती राजनयिक अलगाव और आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
पिछले सप्ताह, तालिबान के न्याय मंत्रालय ने अपना पहला नैतिकता कानून प्रकाशित किया जिसके तहत महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस कानून को "कानून ए अम्र बिल मारूफ वा नहीं अन अलमुंकर" शीर्षक दिया गया है। अम्र बिल मारूफ यानी 'अच्छे कार्यों का आदेश देना' और नहीं अन अलमुंकर का मतलब 'बुरे कार्यों से रोकना' है। इसे आम जबान में 'सदाचार के संवर्धन और दुराचार की रोकथाम कानून' नाम दिया गया है।
100 से अधिक पृष्ठों के इस कानूनी दस्तावेज में एक प्रस्तावना, चार अध्याय और 35 लेख शामिल हैं। इसे तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने मंजूरी दी है जिसे लागू करने की जिम्मेदारी मॉरलिटी मंत्रालय को दी गई है।
तालिबान ने नैतिकता कानून में महिलाओं-पुरुषों के लिए क्या पैमाने तय किए हैं?
इस कानून के जरिए अफगानिस्तान में महिलाओं और पुरुषों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। कानून में ड्रेस कोड लागू किया गया है। जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को अपने शरीर और चेहरे को ढकने का आदेश दिया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आवाज नहीं सुनी जानी चाहिए। उन्हें जोर से बोलने, टाइट कपड़े पहनने, कविता पढ़ने और सार्वजनिक रूप से गाने से प्रतिबंधित करता है। इसके अलावा गैर मर्दों से शरीर और चेहरा छिपाने की बात भी कही गई है।
तालिबान का यह नैतिकता कानून ना सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगाता है। कानून में पुरुषों की दाढ़ी और कपड़ों की लंबाई के नियम शामिल हैं। पुरुषों को शरिया के तहत हेयर स्टाइल रखना होगा। वहीं उनके टाई पहनन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके उनके दाढ़ी बनाने और ट्रीम करने पर भी पाबंदी लगाई गई है।
उपर्युक्त के अलावा और कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। जैसे- जीवित व्यक्तियों की तस्वीरें बनाना, प्रकाशित करने को प्रतिबंधित किया गया है। किसी भी जीवित शख्स की मूर्तियां खरीदेन और बेचने पर भी रोक लगाया गया है। उनपर बनाई गई फिल्म देखने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है।
कानून के उल्लंघन पर क्या है सजा का प्रावधान?
कानून में निहित नियमों के पालन पर तालिबान ने सजा का प्रावधान भी किया है। इसके तहत अगर कोई भी कानून का पालन नहीं करता है तो उसपर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है। वहीं तीन दिन कैद भी हो सकती है। मालूम हो कि ऐसे आदेश 2022 में ही दिए गए थे लेकिन अब इसे कानून के रूप में लागू कर दिया गया है। इस कानून पर विचार 2021 में किया गया था जिसे अब लागू किया गया है।
यूरोपीय संघ ने कानून की आलोचना की
अफगानिस्तान के इस नए कानून की यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह कानून कानूनी दायित्वों और संधियों का उल्लंघन करता है। इस कानून में अफगान लोगों के अधिकारों को कमजोर किया गया है।
यूरोपीय संघ ने कहा कि वह अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों समेत सभी अफगानियों के लिए खड़ा है। बोरेल ने कहा, "यह निर्णय अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को कमजोर करता है, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम तालिबान से अफगान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ इन दुर्व्यवहारों को समाप्त करने का आग्रह करते हैं। यह कानून मानवता के खिलाफ है।"
यूरोपीय संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश से तालिबान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता की आकांक्षा को भी धक्का लगा है। तालिबान को अफगानिस्तान के नागरिकों व अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपने दायित्वों का सम्मान करने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा?
बता दें कि रविवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने भी इस नैतिकता कानून की आलोचना की थी। महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएनएएमए की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने कहा, "यह अफगानिस्तान के भविष्य के लिए एक चिंताजनक दृश्य है, जहां नैतिक निरीक्षकों के पास किसी को भी धमकाने और हिरासत में लेने का मनमाना अधिकार है।"
उन्होंने कहा, इससे अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर दबाव और बढ़ गया है। यूएनएएमए ने कहा कि वह नए कानून और अफगान लोगों पर इसके प्रभाव और संयुक्त राष्ट्र व अन्य महत्वपूर्ण मानवीय सहायता पर इसके संभावित प्रभाव का भी अध्ययन कर रहा है। मामले में अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।