तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के नर्सिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश पर लगाई रोक

राजधानी काबुल में एक मिडवाइफरी शिक्षक ने तालिबान सरकार के इस फैसले को उनके लिए बड़ा झटका बताया है।

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Taliban bans women's nursing and midwifery studies in Afghanistan

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन ने महिलाओं को नर्सिंग और मिडवाइफरी (दाई के काम) पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने पर रोक लगा दी है। मंगलवार को काबुल के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शैक्षणिक संस्थानों के निदेशकों को इस फैसले की जानकारी दी।

हालांकि इस बैन को लेकर सरकार के तरफ से अभी तक कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। आदेश में इन संस्थानों के प्रबंधकों को बिना किसी स्पष्टीकरण या कारण बताए महिलाओं और लड़कियों का प्रवेश बंद करने का निर्देश दिया गया है। उन्हें सिर्फ तालिबान के सर्वोच्च नेता के इस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया।

प्रतिबंध पूरी तरह से प्रभावी होने से पहले संस्थानों को अंतिम परीक्षा आयोजित करने के लिए दस दिन का समय दिया गया। साल 2021 में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने महिलाओं के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए हैं, और यह फैसला भी उन्हीं में से एक है। इससे पहले तालिबान ने महिलाओं को माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई से रोक दिया था।

बैन से अफगानिस्तान के 150 से अधिक निजी स्वास्थ्य संस्थान होंगे प्रभावित

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अफगानिस्तान में लगभग 10 सरकारी और 150 से ज्यादा निजी स्वास्थ्य संस्थान हैं। ये संस्थान मिडवाइफरी, एनेस्थीसिया, फार्मेसी, और दंत चिकित्सा जैसे 18 विषयों में दो साल के डिप्लोमा कोर्स कराते हैं, जिनमें करीब 35 हजार छात्राएं नामांकित हैं।

प्रतिबंध से छात्राएं और शिक्षक काफी परेशान हैं। राजधानी काबुल में एक मिडवाइफरी शिक्षक ने सरकार के इस फैसले को उनके लिए एक "बड़ा झटका" बताया। स्वास्थ्य संस्थानों में कोर्स कर रही छात्राओं और संकाय को अगली सूचना तक काम पर नहीं आने के संदेश भेजे जा रहे।

तालिबान के प्रतिबंध पर जानकारों ने क्या कहा है

बैन के बारे में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सरकार का यह कदम अफगानिस्तान के पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान पहले से ही मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी झेल रहा है। महिलाओं को स्वास्थ्य पाठ्यक्रमों से प्रतिबंधित करने से यह समस्या और भी गंभीर हो जाएगी।

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