दश्मिकः सीरिया में 13 साल से जारी गृहयुद्ध ने नया मोड़ ले लिया है। विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है और दावा किया है कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं। हालांकि अभी सरकारी सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इस ऐतिहासिक घटनाक्रम ने असद शासन के अंत और सीरिया के भविष्य को लेकर नई बहस छेड़ दी है। विद्रोहियों ने इसे तानाशाही के युग का अंत करार दिया है, जबकि राजधानी में जश्न और अफरातफरी का माहौल है।

 सीरिया में एक नए युग की शुरुआतः विद्रोही गुट

विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने घोषणा की कि “आज, 8 दिसंबर 2024, से सीरिया में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है। बशर अल-असद का तानाशाही शासन समाप्त हो गया है।” विद्रोहियों ने कहा, हम दमिश्क को तानाशाह असद के शासन से मुक्त घोषित करते हैं।

सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में विद्रोहियों को जश्न मनाते, हवाई फायरिंग करते और टैंकों पर चढ़े हुए देखा गया। दमिश्क के मुख्य चौराहों पर असद की मूर्तियों को गिरा दिया गया, जबकि मस्जिदों से विद्रोहियों की विजय की घोषणा की गई।

असद सरकार का अंत?

सीरिया की सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि असद ने राजधानी छोड़ दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना ने अधिकारियों को सूचित कर दिया है कि असद का शासन खत्म हो चुका है। हालांकि, सीरियाई प्रेसीडेंसी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रपति असद राजधानी में मौजूद हैं और अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। सीरियाई गृह मंत्रालय ने भी दमिश्क की सुरक्षा स्थिति को मजबूत बताते हुए किसी भी प्रकार की घेराबंदी या टूटने के दावे को खारिज किया।

विद्रोहियों ने कुख्यात सैदनाया जेल से कैदियों को रिहा किया

विद्रोहियों ने दमिश्क के उत्तर में स्थित कुख्यात सैदनाया जेल पर कब्जा कर लिया और कैदियों को रिहा कर दिया। विद्रोहियों ने इसे “न्याय की जीत” बताते हुए कहा, “हमारे कैदियों की बेड़ियां टूट चुकी हैं, और अन्याय का युग समाप्त हो गया है।”

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ अचानक शुरू कर दिए थे।  27 नवंबर को विद्रोही गुटों ने अलेप्पो में बड़ी सफलता हासिल की। इसके बाद उन्होंने होम्स, दारा और हामा जैसे प्रमुख शहरों को अपने नियंत्रण में ले लिया। होम्स को कब्जा करना विद्रोहियों के लिए एक बड़ी सफलता थी, क्योंकि यह राजधानी दमिश्क और असद के तटीय गढ़ों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। सरकारी बलों द्वारा विद्रोहियों का सामना न करने और उनके सहयोगियों की कमजोरी ने असद सरकार को गंभीर संकट में डाल दिया।

असद सरकार पर गहराया संकट

बशर अल-असद ने 2000 से देश पर शासन किया, लेकिन उनके परिवार का आधिपत्य पिछले पांच दशकों से चला आ रहा था। असद शासन पर नरसंहार, रासायनिक हथियारों का उपयोग और मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। रूस, जिसने 2015 में असद का समर्थन करते हुए हवाई हमले किए थे, अब यूक्रेन के युद्ध के कारण कमजोर पड़ चुका है। इसराइल के साथ तनाव के चलते ईरान ने भी अपने सैनिकों को सीरिया से हटाना शुरू कर दिया है। इजराइली हमलों के कारण हिजबुल्लाह का प्रभाव भी कम हो गया है।

एचटीएस ने कहा कि यह संघर्ष सीरिया में “अंधकारमय युग” के अंत का प्रतीक है। विद्रोहियों ने दमिश्क के नियंत्रण के साथ-साथ सीरिया की नई दिशा तय करने की बात कही है। दोहा में हुई बैठक के बाद ईरानी विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने कहा कि सीरिया के राजनीतिक समाधान की जरूरत है। उन्होंने सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने की अपील की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विद्रोहियों की सफलता ने असद सरकार के पतन के संकेत दिए हैं। अब सीरिया के लिए आगे का रास्ता हिंसा के बजाय राजनीतिक बातचीत और स्थिरता लाने का हो सकता है।