सीरियाः असद समर्थकों और सरकार के बीच खूनी संघर्ष में दो दिनों में 1,000 से ज्यादा मौतें

ब्रिटेन स्थित 'सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' के अनुसार, मरने वालों में 745 नागरिक शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर को बेहद करीब से गोली मारी गई।

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प्रतिकात्मक तस्वीर। Photograph: (IANS)

सीरिया में बीते दो दिनों में भड़की हिंसा में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह संघर्ष सरकारी बलों और अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों के बीच हुआ, जिसके बाद बदले की हत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया। यह देश के 14 साल पुराने संघर्ष के सबसे घातक घटनाक्रमों में से एक है।

ब्रिटेन स्थित 'सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' के अनुसार, मरने वालों में 745 नागरिक शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर को बेहद करीब से गोली मारी गई। इसके अलावा, 125 सरकारी सुरक्षाकर्मी और 148 असद समर्थक लड़ाके भी मारे गए।

अलवाइट समुदाय को बनाया निशाना, घरों पर हमला

लटकिया प्रांत के बड़े हिस्से में बिजली और पीने के पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है। संघर्ष की शुरुआत गुरुवार को तब हुई जब सुरक्षा बलों ने जबलेह इलाके में एक वांछित व्यक्ति को गिरफ्तार करने की कोशिश की। तभी असद समर्थकों ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया। इसके बाद शुक्रवार को बदले की कार्रवाई तेज हो गई, जब सरकार समर्थक सुन्नी बंदूकधारियों ने अलवाइट समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

एसोसिएटेड प्रेस से बातचीत में बानियास के रहने वाले 57 वर्षीय अली शेहा ने बताया, "सड़कों पर लाशें पड़ी थीं। हमलावर घरों और लोगों पर गोलियां चला रहे थे, वे हमसे सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर थे।" उन्होंने आगे यह भी बताया कि हमलावर पहचान पत्र देखकर लोगों के धर्म की पुष्टि करने के बाद उनकी हत्या कर रहे थे।

अंतरराष्ट्रीय निंदा, हजारों अलवाइटों का पलायन

सीरिया की सरकार का कहना है कि उसने असद समर्थकों द्वारा कब्जा किए गए अधिकतर इलाकों को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया है। फ्रांस ने इस हिंसा की निंदा करते हुए कहा, "पेरिस नागरिकों के खिलाफ धार्मिक आधार पर की गई इन क्रूरताओं की कड़ी निंदा करता है।"

इस बीच, हजारों अलवाइट लोग हिंसा से बचने के लिए भाग रहे हैं। इनमें से कई रूस के हमीमिम एयरबेस में शरण ले रहे हैं। लेबनानी सांसद हैदर नासिर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अलवाइट नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए, क्योंकि वे भी सीरिया के नागरिक हैं और अपने देश के प्रति वफादार हैं।

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