बर्नः स्विटजरलैंड ने एक महिला को बुर्का पहनने के प्रतिबंध के तहत पहला जुर्माना लगाया है। स्विटजरलैंड ने बीते दिनों देशभर में राष्ट्रव्यापी चेहरा ढकने वाला प्रतिबंध लगाया था। इसे आम बोलचाल की भाषा में 'बुर्का प्रतिबंध' कहते हैं। 

स्विटजरलैंड के स्थानीय आउटलेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 23 मार्च को ज्यूरिख में एक महिला को बुर्का पहनने के लिए दंडित किया गया था। इस महिला पर करीब 100 स्विस फ्रैंक यानी करीब 9,423 भारतीय रुपयों का जु्र्माना लगाया गया। इस साल की शुरुआत में लागू हुए इस कानून के तहत यह पहला मामला सामने आया है। 

साल 2021 में कराया गया था जनमत संग्रह

इस कानून को साल 2021 में जनमत संग्रह के आधार पर पारित किया गया था जिसमें 51.2 प्रतिशत लोगों ने समर्थन किया था। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगता है। इस कानून के तहत सिर्फ बुर्का और नकाब जैसे मुस्लिम परिधानों से नहीं है बल्कि प्रदर्शनकारियों और सार्वजनिक रूप से चेहरा ढकने वाले अन्य लोगों पर भी लागू होता है। 

इस कानून को लेकर आलोचकों का तर्क है कि यह देश के अल्पसंख्यक तबके को प्रभावित करता है। वहीं, इसके समर्थकों का मानना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए यह एक आवश्यक उपाय है। 

देश में बुर्का प्रतिबंध की शुरुआत सार्वजनिक स्थानों पर इस्लामी पोशाक की मौजूदगी और दृश्यता पर एक राष्ट्रीय बहस से हुई। शुरुआत में इस उपाय को 'कट्टरपंथी इस्लाम' के नाम से पुकारे जाने वाले लोगों पर अंकुश लगाने के तरीके के रूप में प्रस्तावित किया गया था।

कुछ विशेष परिस्थितियों में दी जाती है छूट

लेकिन बाद में इसे सार्वजनिक सुरक्षा के लिहाज से व्यापक रूप से चेहरा ढंकने वाले लोगों के लिए तैयार किया गया। हालांकि, इस कानून में कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट दी गई है जिसके तहत स्वास्थ्य, मौसम, कुछ क्षेत्रों में धार्मिक पूजा, एयरलाइन यात्रा और राजनयिक या प्रदर्शन संबंधी परिस्थितियों में छूट दी गई है।

इस कानून के तहत जिस महिला पर जुर्माना लगाया गया, वह एक गैर-पर्यटक थी। हालांकि अधिकारियों ने गोपनीयता कानूनों के कारण महिला के संबंध में  जानकारी देने से इंकार कर दिया। महिला ने यह जुर्माना भरने से इंकार कर दिया, इसलिए इसे आगे की प्रक्रिया के लिए कैंटोनल गवर्नर के पास भेजा गया है। यह जुर्माना 100 फ्रैंक था लेकिन अदालत में चुनौती देने पर यह 1,000 फ्रैंक तक बढ़ सकता है।

साल 2021 में इसके लिए दक्षिणपंथी स्विस पीपल्स पार्टी द्वारा देशव्यापी जनमत संग्रह करवाया गया था जिसमें 51 प्रतिशत से अधिक लोगों ने इसका समर्थन किया था।