सीरिया के दक्षिणी प्रांत स्वेदा में एक सप्ताह से जारी सांप्रदायिक हिंसा के बीच शनिवार को सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने तत्काल संघर्षविराम की घोषणा की। यह कदम अमेरिका की पहल और इजराइल-सीरिया के बीच बनी सहमति के तहत उठाया गया है। हिंसा में अब तक 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

यह दूसरी युद्धविराम घोषणा है - इससे पहले, तुर्की के अमेरिकी राजदूत, टॉम बैरक ने घोषणा की थी कि सीरिया और इजराइल शुक्रवार को युद्धविराम पर सहमत हुए थे। उन्होंने कहा था कि इस युद्धविराम को तुर्की और जॉर्डन सहित पड़ोसी देशों का समर्थन प्राप्त है।

राष्ट्रपति ने संघर्षविराम की घोषणा करते हुए क्या कहा?

सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने एक टेलीविजन संदेश में कहा कि उन्हें "स्वेदा में चल रही घटनाओं में हस्तक्षेप करने और देश में सुरक्षा बहाल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपीलें मिली हैं।" उन्होंने शनिवार को कहा, “यह समय है एकता का, शांति का और सभी समुदायों की रक्षा का। हम किसी भी समूह को हिंसा से नहीं बख्शेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार “सीरियाई रक्त बहाने से बचने, क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने” के लिए प्रतिबद्ध है।

अल-शारा ने क्षेत्र में रक्तपात के लिए इजराइल के हस्तक्षेप को भी दोषी ठहराया और कहा कि इजराइल ने "तनाव को फिर से भड़काया है।" उन्होंने अपने समर्थन के लिए डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले अमेरिका को धन्यवाद दिया। 

सीरियाई सरकारी बलों को नए सिरे से शुरू हुई लड़ाई को रोकने के लिए स्वेदा में फिर से तैनात किया जा रहा है। सुरक्षा अधिकारी यूसुफ अल अहमद ने बताया कि आंतरिक सुरक्षा बल स्वेदा प्रांत में सुरक्षा स्थापित करने और जनजातियों तथा अपराधियों के बीच विवाद को निपटाने के लिए जुट रहे हैं। हालांकि, बीबीसी हिंदी ने शनिवार को अपुष्ट रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि जमीन पर लड़ाई अभी तक पूरी तरह से रुकी नहीं है।

दो समुदायों में कैसे भड़की हिंसा?

स्वेदा में द्रूज समुदाय और बेडौइन कबीलों के बीच झड़पें उस समय शुरू हुईं जब बेडौइन लड़ाकों ने कथित तौर पर एक द्रूज व्यक्ति से लूटपाट की। इसके बाद दोनों पक्षों में प्रतिशोध की कार्रवाई हुई, जिसमें अपहरण, हमले और हत्याएं शामिल थीं। हालात बिगड़ने पर सीरियाई सुरक्षा बलों ने हस्तक्षेप किया, लेकिन उन पर बेडौइनों का पक्ष लेने का आरोप लगा, जिससे द्रूज समुदाय में असंतोष और बढ़ गया।

ब्रिटेन स्थित युद्ध निगरानी समूह, सीरियाई ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) के अनुसार, रविवार को हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 940 लोग मारे जा चुके हैं।

द्रूज समुदाय, जो शिया इस्लाम से निकला एक रहस्यमय पंथ है, सीरिया में अल्पसंख्यक है और सरकार से अविश्वास रखता है। 2018 में इस्लामिक स्टेट ने स्वैदा में 200 से अधिक द्रूजों की हत्या कर दी थी, जिसे यह समुदाय आज भी नहीं भूला है। इसके अलावा, राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ का अतीत में अल-कायदा से जुड़ा होना द्रूज समुदाय को और अधिक संदेह में डालता है।

मिडिल ईस्ट में बीते कुछ वर्षों से युद्ध छिड़ा है। सोमवार से ही इजराइल, सीरिया की सेना को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। स्वेदा में स्थानीय सुरक्षा बलों और द्रूज समुदाय के लड़ाकों के बीच झड़प की खबरें सामने आईं, जिसके बाद इजराइल ने सीरियाई बलों को निशाना बनाना शुरू किया। इजराइल ने सीरिया का राजधानी दमिश्क पर हवाई हमला करते हुए रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया था। इजराइल ने सीरिया पर किए हमले को द्रूज समुदाय की 'सुरक्षा' बताई थी।

इजराइल ने इस मामले में हस्तक्षेप क्यों किया?

इजराइल नहीं चाहता कि उसके उत्तरी सीमा के पास कोई आतंकी संगठन सक्रिय हो। असद सरकार के कमजोर पड़ने के बाद, इजराइली सेना ने सीरिया में उस बफर जोन पर नियंत्रण कर लिया जो पहले संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में था और सीमा के पास कई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि सीरिया में द्रूज समुदाय को किसी भी नुकसान से बचाना उनकी जिम्मेदारी है, क्योंकि इजराइल में रहने वाले द्रूज नागरिकों के साथ उनके पारिवारिक और ऐतिहासिक रिश्ते हैं।

इजराइल ने सीरिया के दक्षिणी हिस्से में एकतरफा रूप से 'असैन्य क्षेत्र' घोषित किया है, जहाँ किसी भी तरह के हथियार या सैनिकों की मौजूदगी पर रोक है। आतंकी संगठनों से खतरे को देखते हुए, इजराइल ने सीरिया के अस्थायी राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, भले ही ट्रंप प्रशासन सीरिया-इजराइल मेल-मिलाप और अब्राहम समझौते को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। इसके अलावा, असद शासन के पतन के बाद इजराइल ने सीरिया के और अधिक इलाकों पर कब्जा कर लिया है।