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दूतावास ने अपने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे एहतियात बरतें और हवाई हमलों से बचने के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करें। यह कदम रूस की ओर से बढ़ते संभावित हवाई हमलों और मिसाइलों के खतरे को देखते हुए उठाया गया है, जिससे कीव सहित अन्य यूक्रेनी शहरों में सुरक्षा की स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात का संकेत भी दिया है कि वे यूक्रेन में अपनी सभी सुविधाओं और संचालन को सशर्त जारी रखेंगे, लेकिन नागरिकों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता होगी। अमेरिका के इस कदम को यूक्रेन में बढ़ते सैन्य तनाव और रूस के हमलों के संभावित खतरों के कारण एक जरूरी निर्णय माना जा रहा है।
स्वीडिश सरकार ने जारी किया पैम्फलेट
स्वीडन, जो पहले सैन्य गुटनिरपेक्ष था, अब नाटो से जुड़ने के बाद अपनी सैन्य तैयारियों पर जोर दे रहा है। स्वीडिश सरकार ने एक पैम्फलेट जारी किया है, जिसमें नागरिकों से कहा गया है कि वे युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं और साइबर हमलों के लिए तैयार रहें।
फ्रांस की न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार, स्वीडिश सिविल कंटिंजेंसी एजेंसी ने लाखों पैम्फलेट वितरित किए हैं, जिनमें संकट के समय के लिए जरूरी सामानों का भंडारण करने की सलाह दी गई है।
यह पैम्फलेट साल 2024 के लिए अपडेट किया गया है, और इसमें युद्ध की तैयारियों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। यह साल 2018 के बाद पहला बड़ा अपडेट है, जब स्वीडन ने शीत युद्ध के बाद पहला संकट भंडारण पैम्फलेट जारी किया था। इससे यह साफ है कि स्वीडन अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है।
फिनलैंड ने डिजिटल तरीके से नागरिकों से की अपील
फिनलैंड ने भी नागरिकों को तैयार करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू किया है। फिनलैंड, जो रूस के साथ लंबी सीमा साझा करता है, नागरिकों को यह बता रहा है कि वे सैन्य हमलों और अन्य संकटों के लिए कैसे तैयार हो सकते हैं।
यह डिजिटल ब्रोशर कई भाषाओं में है और फिनलैंड की आत्मरक्षा क्षमताओं के बारे में बताता है। फिनलैंड ने भौतिक पैम्फलेट के बजाय डिजिटल जानकारी को प्राथमिकता दी है, ताकि नागरिकों को समय पर सही जानकारी मिल सके।
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नॉर्वे और डेनमार्क ने भी जरूरी सामानों को स्टोर करने का आह्वान किया है
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, नॉर्वे और डेनमार्क भी इसी दिशा में कदम उठा रहे हैं। नॉर्वे ने नागरिकों को युद्ध, खराब मौसम और परमाणु दुर्घटनाओं जैसी आपात स्थितियों के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।
इसके लिए नॉर्वे ने कागजी पैम्फलेट्स भेजे हैं, जिनमें खाने-पीने और दवाइयों के भंडारण की सलाह दी गई है। डेनमार्क ने अपनी आपातकालीन एजेंसी के जरिए नागरिकों को तीन दिनों के संकट के लिए जरूरी सामानों की सूची भेजी है।
नॉर्डिक देशों द्वारा उठाए गए ये कदम रूस-यूक्रेन युद्ध के बढ़ते असर का नतीजा हैं। रूस की आक्रामकता ने यूरोप में सुरक्षा के हालात को बदल दिया है, और इन देशों को अपनी तैयारियों को फिर से मजबूत करने की जरूरत महसूस हो रही है।
इन देशों का मुख्य उद्देश्य यह व्यवस्था करना है कि नागरिक किसी भी संकट, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो, युद्ध हो या साइबर हमला, के लिए तैयार रहें।
नॉर्डिक देशों के नागरिकों पर इसका असर मिला-जुला रहा है। कुछ नागरिकों ने इसे जरूरी कदम माना है, जैसे स्वीडन के पूर्व सेना प्रमुख माइकल बायडेन ने नागरिकों से युद्ध की वास्तविकता को समझने और स्वीकार करने का आह्वान किया है।
वहीं, कुछ नागरिक इस बात से डर भी रहे हैं। फिर भी इन देशों की सरकारें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि नागरिक पूरी तरह से तैयार और सूचित रहें, ताकि किसी भी संकट के समय उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ये कदम इस बात का संकेत हैं कि नॉर्डिक देश भविष्य में किसी भी संकट से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहते हैं। यूक्रेन संघर्ष और बदलते वैश्विक सुरक्षा हालात के बीच, इन देशों की यह पहल एक मजबूत कदम है।