वॉशिंगटनः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के बीच चल रहे टकराव के बीच, उनके प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीजा प्रक्रिया को और सख्त करने की तैयारी की थी। इस सख्ती के तहत अमेरिका ने न केवल वीजा आवेदनों की जांच प्रक्रिया को कड़ा किया, बल्कि छात्रों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी थी।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बताया कि अमेरिका में प्रवेश के इच्छुक छात्रों और पर्यटकों की विस्तृत जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे न केवल कानून का पालन करें बल्कि किसी आपराधिक मंशा के बिना आए हों।
सोशल मीडिया की होगी निगरानी
अमेरिकी विदेश विभाग ने सभी दूतावासों को निर्देश दिया है कि वे फिलहाल नए स्टूडेंट वीजा इंटरव्यू न लें, क्योंकि अब आवेदकों की सोशल मीडिया पर गतिविधियों की भी निगरानी की जाएगी। प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि चाहे कोई छात्र हो या पर्यटक, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे कानून समझते हों, उनका कोई आपराधिक इरादा न हो, और वे यहां सकारात्मक योगदान देने आए हों।
उन्होंने यह भी कहा कि वीजा जारी करने का उद्देश्य केवल योग्यता के आधार पर ही नहीं, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी तय किया जाएगा। उन्होंने कहा, हम यह जानना चाहते हैं कि कौन इस देश में आने का हकदार है और कौन नहीं।
छात्रों को नई चेतावनियाँ और वीजा समाप्ति का खतरा
इस नई नीति के तहत, विदेशी छात्रों को कई नई शर्तों का पालन करना होगा:
1. अगर कोई छात्र अपनी कक्षा छोड़ता है या कोर्स से बाहर हो जाता है, तो उसका वीजा रद्द किया जा सकता है।
2. वीजा अवधि समाप्त होने के बाद अमेरिका में रुकना अब सीधे तौर पर अवैध माना जाएगा।
3. छात्रों को किसी भी अनधिकृत नौकरी में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।
4. सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक या "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" मानी जाने वाली सामग्री पोस्ट करने पर भी कार्रवाई हो सकती है।
इस साल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कानूनी स्थिति केवल मामूली ट्रैफिक उल्लंघन या शराब से जुड़े मामलों के आधार पर रद्द कर दी थी। हालांकि कई छात्रों ने अदालत में सफल चुनौती दी, जिसके बाद सरकार ने कुछ मामलों में स्थिति बहाल की। लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि आगे से ऐसे मामलों में नियम और कठोर होंगे।
कड़े वीजा नियमों को लेकर विशेषज्ञों ने क्या कहा?
अमेरिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीजा नियमों को कड़ा किए जाने को लेकर विशेषज्ञों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। पूर्व राजनयिक जेके त्रिपाठी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा कि जो छात्र वास्तव में पढ़ाई के उद्देश्य से अमेरिका जा रहे हैं, उन्हें किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर कोई छात्र बिना सूचना दिए कक्षा या परीक्षा छोड़ता है, तो उसके वीजा पर कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन यदि छात्र संस्थान को सूचित करता है तो उसे छूट मिल सकती है।
त्रिपाठी ने यह भी कहा कि अमेरिका में बड़ी संख्या में छात्र वीज़ा का दुरुपयोग करते हैं और पढ़ाई की जगह अन्य कामों में लग जाते हैं, ऐसे मामलों पर सख्ती जरूरी है। उन्होंने बताया कि इसी साल मार्च-अप्रैल में अमेरिका ने 7,400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्रों का वीजा रद्द कर उन्हें देश से निकाल दिया था।
वहीं विदेश नीति विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने चेतावनी को तकनीकी रूप से सही बताते हुए यह भी कहा कि अमेरिका में अप्रवासी विरोधी माहौल तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वीजा नियमों की सख्ती के पीछे केवल प्रशासनिक कारण नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे एक राजनीतिक माहौल भी है, जिसमें छात्रों से लेकर एच1बी वीज़ा धारकों तक को लेकर संदेह की दृष्टि अपनाई जा रही है।
सचदेव ने कहा कि अब मामूली यातायात उल्लंघनों को भी वीजा रद्द करने का आधार बनाया जा रहा है और विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे अंतरराष्ट्रीय छात्रों से जुड़ी हर शिकायत की रिपोर्ट करें। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका में मौजूदा माहौल अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए काफी चिंताजनक बनता जा रहा है और कई संस्थान अब छात्रों को सलाह दे रहे हैं कि वे अमेरिका से बाहर यात्रा करने से बचें।