न्यू यॉर्क: संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने 1995 के स्रेब्रेनिका नरसंहार के पीड़ितों के लिए हर साल 11 जुलाई को इस घटना की याद में एक दिन समर्पित करने का फैसला किया है। जर्मनी और रवांडा इस प्रस्ताव को लेकर आए थे। हालांकि, सर्बिया ने इसके खिलाफ उग्र रूप से मत प्रकट किया। सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक (Aleksandar Vucic) ने दावा किया कि इस घटना का ‘राजनीतिकरण’ किया गया है, और सर्बिया और सर्ब लोगों को सामूहिक रूप से नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराने की कोशिश है।
बहरहाल, भारत ने इस प्रस्ताव से अलग रहने का फैसला किया। इस प्रस्ताव के समर्थन में गुरुवार को 193 सदस्यीय महासभा में केवल 84 वोट पड़े। इससे विभिन्न देशों में मतभेद खुलकर सामने आ गए। 19 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जबकि 68 देश अनुपस्थित रहे और 22 ने बिलकुल अलग रहने का फैसला किया। अमूमन ऐसे प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाए जाते हैं।
भारत ने प्रस्ताव से रखी दूरी
भारत इस प्रस्ताव से दूर रहा। हालांकि इसे लेकर कोई कारण नहीं बताया गया है। दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के स्थायी प्रतिनिधि एंटजे लेन्डर्टसे ने कहा कि उनका देश जर्मन नाजी द्वारा किए गए नरसंहार को दोबारा होने से रोकने के लिए प्रस्ताव को प्रायोजित कर रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने 60 लाख यहूदियों को मार डाला था। लेन्डर्टसे ने कहा कि यह बोस्निया में स्रेब्रेनिका नरसंहार के पीड़ितों की याद का सम्मान करने के लिए था और यह सर्बों के खिलाफ नहीं था, बल्कि केवल उन लोगों के खिलाफ था जिन्होंने हत्याएं कीं।
पड़ोसी देश सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक ने जर्मनी के इतिहास को देखते हुए इस तरह का प्रस्ताव पेश करने के रुख पर सवाल उठाया और कहा कि इसे राजनीतिक कारणों से और सर्बियाई लोगों को कलंकित करने के लिए पेश किया गया था। उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने नरसंहार को अंजाम दिया, उन पर पहले ही मुकदमा चलाया जा चुका है, दोषी ठहराया गया है और जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव एकतरफा है।’
वुसिक ने जोर देकर कहा कि स्रेब्रेनिका संबंधित प्रस्ताव ‘सुलह के बारे में नहीं है, यादों के बारे में नहीं है, बल्कि कुछ ऐसा है जो न केवल हमारे क्षेत्र में बल्कि इस हॉल में भी नए घाव खोलेगा।’ इस प्रस्ताव को पश्चिम और रूस के बीच टकराव के नजरिये से भी देखा जा रहा है, क्योंकि सर्बिया मास्को का सहयोगी देश है। अधिकांश मुस्लिम देशों ने प्रस्ताव पर पश्चिमी देशों के साथ मतदान किया, उन्होंने गाजा में हो रही हत्या का भी मुद्दा उठाया।
क्या है स्रेब्रेनिका नरसंहार?
यूगोस्लाविया के विघटन के बाद हुए गृह युद्ध के दौरान 1995 में बोस्निआ के स्रेब्रेनिका में बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ था। बोस्निआ में 8000 मुसलमानों की हत्या हुई थी। स्रेब्रेनिका नरसंहार बोस्नियाई युद्ध के आखिर में हुआ था जिसमें लगभग 100,000 लोग मारे गए थे। दरअसल, 11 जुलाई 1995 को बोस्नियाई सर्ब बलों ने मुस्लिम बहुल स्रेब्रेनिका शहर पर कब्जा कर लिया, जो उस समय संयुक्त राष्ट्र द्वारा संरक्षित क्षेत्र था। इसके बाद अगले कुछ दिनों में नरसंहार का खूंखार खेल चला।
आरोप है कि बोस्नियाई-सर्ब सैन्य नेता रत्को म्लाडिच (Ratko Mladic) के नेतृत्व में सैनिकों ने पुरुषों और लड़कों को उनकी पत्नियों और मां, बहनों और बेटियों से अलग कर दिया था। इनमें से अधिकांश फिर कभी जीवित नहीं देखे गए। हत्याओं से मामला खत्म नहीं हुआ। कहते हैं कि अगले कुछ दिनों में नरसंहार के पैमाने को छिपाने के लिए बोस्नियाई-सर्ब सैनिकों ने पीड़ितों के लिए सामूहिक कब्रें खोदी और फिर शव के अवशेषों को भी कई जगहों पर बिखेर दिया गया।
इसकी वजह से शरीर के अंग तितर-बितर हो गए जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया था। कुछ रिश्तेदार अपने परिवार के सदस्यों को दफनाने के लिए दशकों से इंतजार कर रहे हैं। वहीं, घटना के 29 साल बाद ज्यादातर परिवार कम से कम कुछ अवशेषों को घटना स्थल के करीब पोटोकारी कब्रिस्तान (Potocari Cemetery) में दफना चुके हैं