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सत्तारूढ़ पार्टी ने किया मतदान का बहिष्कार
राष्ट्रपति यून को हटाने के लिए लाए गए महाभियोग प्रस्ताव का सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के 108 सांसदों में से अधिकांश ने बहिष्कार किया। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीपी के तीन सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया। एक सांसद मतदान के दौरान हॉल में मौजूद था, जबकि दो अन्य सांसद बाद में सदन में लौटे।
नेशनल असेंबली के 300 सांसदों में से 198 सांसदों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, जबकि 102 ने इसके खिलाफ मतदान किया। इस बिल को पारित करने के लिए दो-तिहाई सांसदों का समर्थन जरूरी था, लेकिन महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए 200 से अधिक सांसदों का समर्थन चाहिए। अगला अवसर बुधवार, 11 दिसंबर को उपलब्ध होगा, जब फिर से महाभियोग पर मतदान किया जा सकता है।
इस संकट के बावजूद, राष्ट्रपति यून सुक-योल के भविष्य पर संदेह बना हुआ है, क्योंकि उनकी पार्टी के नेता ने कहा कि उनका इस्तीफा "अपरिहार्य" था। शुक्रवार को पीपुल्स पावर पार्टी के प्रमुख हान डोंग-हून ने कहा कि राष्ट्रपति यून को जिम्मेदारी से तुरंत निलंबित कर देना चाहिए, ताकि देश को गंभीर खतरे से बचाया जा सके।
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने पार्टी को सौंपा निर्णय
राष्ट्रपति यून ने शनिवार को एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि वह अपनी शेष राष्ट्रपति कार्यकाल के बारे में फैसला सत्तारूढ़ पार्टी को लेने देंगे। उन्होंने कहा, “पार्टी और सरकार मिलकर राज्य के मामलों की जिम्मेदारी उठाएंगे।” संकटग्रस्त राष्ट्रपति ने कहा कि वह मार्शल लॉ की घोषणा से हैरान हुए लोगों से दिल से माफी मांगते हैं और इसके लिए अपनी कानूनी और राजनीतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।
राष्ट्रपति ने अपनी माफी में कहा, "यह आपातकालीन मार्शल लॉ मेरी हताशा से उत्पन्न हुआ था, क्योंकि मैं राज्य मामलों का अंतिम जिम्मेदार व्यक्ति हूं।" उन्होंने यह भी कहा कि वह इस संकट के लिए नागरिकों से गहरी माफी मांगते हैं और इसके कारण उत्पन्न हुई चिंता और असुविधा को स्वीकार करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी प्रकार का मार्शल लॉ लागू नहीं किया जाएगा।
मार्शल लॉ की घोषणा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
डेमोक्रेटिक पार्टी और पांच अन्य छोटी पार्टियों ने राष्ट्रपति द्वारा की गई मार्शल लॉ की घोषणा पर महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। राष्ट्रपति ने मंगलवार रात आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी, लेकिन संसद द्वारा इसके विरोध में मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया। मार्शल लॉ केवल कुछ घंटों के लिए लागू रहा।