शेख मुजीबुर्रहमान अब बांग्लादेश के 'राष्ट्रपिता' नहीं, यूनुस की अंतरिम सरकार ने खत्म किया दर्जा

यूनुस सरकार ने कानून में बदलाव करके मुजीबुर्रहमान की राष्ट्रपिता वाली उपाधी को वापस ले लिया है। हाल ही में वहां कि सरकार ने एक फैसला लिया था, जिसके मुताबिक बांग्लदेश के नए नोट से मुजिबुर्रहमान की तस्वीर हटा दिया जाएगा।

शेख मुजीबुर्रहमान

शेख मुजीबुर्रहमान Photograph: (सोशल मीडिया)

ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को दिए गए 'राष्ट्रपिता' के दर्जे को खत्म कर दिया है। स्वतंत्रतता सेनानियों से जुड़े कानून में संशोधन करके यह बदलाव किया गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई। 

यह फैसला मंगलवार को ऐसे वक्त में आया, जब कुछ दिन पहले ही मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को नए मुद्रा (करंसी) नोटों से हटा दिया है। 'ढाका ट्रिब्यून' अखबार के मुताबिक, 'अंतरिम सरकार ने 'राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद अधिनियम' में संशोधन किया है, जिससे स्वतंत्रता सेनानी की परिभाषा को बदल दिया गया है।' 

'स्वतंत्रता सेनानी' को लेकर एक नया अध्यादेश 

दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 'स्वतंत्रता सेनानी' को लेकर एक नया अध्यादेश जारी किया है। इस आदेश के जरिए उन्होंने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ (बीर मुक्तिजोद्धा) की परिभाषा को बदलते हुए बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान समेत 400 प्रमुख व्यक्तियों का स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा रद्द कर दिया है।

मंगलवार रात को जारी किए गए अध्यादेश में राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसमें स्वतंत्रता सेनानी शब्द को फिर से परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि मुक्ति संग्राम के दौरान बनी मुजीबनगर सरकार से जुड़े राष्ट्रीय और प्रांतीय सभा के सदस्य, जो बाद में संविधान सभा के सदस्य बने, उन्हें ‘स्वतंत्रता सेनानी’ की बजाय ‘मुक्ति संग्राम का सहयोगी’ माना जाएगा।

कौन है शेख मुजीबुर्रहमान?

बता दें कि बंगबंधु के नाम से प्रसिद्ध मुजीबुर्रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था।  मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश ने स्वतंत्रता प्राप्त की और उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति बनाया गया। लेकिन, 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में एक सैनिक क्रांति हुई, जिसमें मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई। इस क्रांति के बाद, खोंडेकर मुश्ताक अहमद को नया राष्ट्रपति बनाया गया। उनके नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। इस घटना ने बांग्लादेश के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ दिया।

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