थिम्पू: साल 2016 से चीन ने भूटान में अपनी मौजूदगी बढ़ाते हुए 22 गांव और बस्तियां बनाई हैं। ये क्षेत्र पारंपरिक रूप से भूटान का हिस्सा रहे हैं। हाल ही में उपग्रह चित्रों से पता चला है कि इनमें से आठ बस्तियां डोकलाम पठार के पास स्थित हैं।
चीन का यह कदम भारत के लिए सुरक्षा के तौर पर गंभीर खतरे पैदा कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि डोकलाम पठार भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास है। यह क्षेत्र भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को “चिकन नेक” कहा जाता है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे बड़ा गांव, जिवु, भूटानी चरागाह भूमि त्सेथांगखा पर बनाया गया है। यह निर्माण 2020 के बाद भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में हुआ। साल 2017 में भारत और चीन के डोकलाम विवाद के बाद इस क्षेत्र की सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो गई।
क्या है 2017 का भारत-चीन सैन्य गतिरोध?
खबर के अनुसार, डोकलाम में वर्ष 2017 में 73 दिनों तक भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव रहा। भारत ने चीन को सड़क निर्माण से रोका था, जो पठार के दक्षिणी भाग तक पहुंचने के लिए बनाया जा रहा था। गतिरोध के बाद दोनों पक्ष पीछे हटे, लेकिन हाल के वर्षों में चीनी निर्माण तेज हो गया है।
भूटान को चीन के इस विस्तार के कारण भारी दबाव का सामना करना पड़ा है। चीन भूटान के उत्तरी सीमाओं पर सीमा समझौते के लिए भूटान पर दबाव बना रहा है। हालांकि, भूटान ने आधिकारिक तौर पर अपने क्षेत्र में चीनी बस्तियों की उपस्थिति से इनकार किया है।
चीन ने 7 हजार लोगों को भूटान के खाली इलाकों में बसाया: दावा
साल 2016 में चीन ने भूटान के क्षेत्र में पहला गांव बनाया। इसके बाद 22 और गांवों और 2,284 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया। इन इलाकों में, जहां पहले आबादी नहीं के बराबर थी, अब लगभग सात हजार लोगों को बसाया गया है।
“फोर्सफुल डिप्लोमेसी” नामक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने लगभग 825 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है, जो भूटान के क्षेत्र का दो प्रतिशत से अधिक है। डोकलाम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास चीन का बढ़ता दबाव भारत और भूटान के लिए चिंता का कारण बन सकता है।