मास्को: गुरुवार को रूस ने यूक्रेन पर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) से हमला किया। यूक्रेन की सेना ने मीडिया को यह जानकारी दी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले 60 साल में पहली बार किसी देश ने ICBM का इस्तेमाल किया है। ICBM मिसाइल बेहद शक्तिशाली और परमाणु आयुध से हमला करने में सक्षम मानी जाती है।
बता दें कि यूक्रेन की सेना ने ब्रिटेन की समाचार एजेंसी रायटर और फ्रांस की समाचार एजेंसी एएफपी को बताया मिसाइल ने गुरुवार सुबह नीपर शहर को निशाना बनाया।
इस अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) से रूस ने यूक्रेन में जरूरी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया। इस मिशन में रूस ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRV) तकनीक का भी उपयोग किया।
पिछले 33 महीने से चल रहे युद्ध के बीच रूस ने यह हमला यूक्रेन पर किया है। रूसी सेना के अनुसार, मंगलवार को यूक्रेन ने पहली बार रूस के अन्दरूनी इलाकों में लम्बी दूरी की अमेरिकी एटासीएमएस से हमला किया था।
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क्या है ICBM और MIRV तकनीक?
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, ICBM (अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल) 5,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक वार करने की क्षमता रखती है। यह मिसाइल परमाणु, रासायनिक, जैविक और पारंपरिक वारहेड ले जाने में सक्षम है।
MIRV तकनीक के तहत एक ही मिसाइल कई अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इससे अलग-अलग स्थानों पर स्थित कई ठिकानों को एक साथ ध्वस्त किया जा सकता है।
रॉयटर्स और एएफपी न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के हवाले से अंग्रेजी वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स ने खबर दी है कि रूस ने RS-26 रूबेज नाम की ICBM का उपयोग किया है। यह ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइल है, जिसे पहली बार वर्ष 2011 में विकसित किया गया था।
इसके परीक्षण में 5,800 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को सफलता से नष्ट किया गया था। यह मिसाइल प्रक्षेपण के तुरंत बाद तैयार हो जाती है और इसे संचालित करना आसान होता है।
मिसाइल को रूस के अस्त्राखान क्षेत्र (Astrakhan region) से लॉन्च किया गया था। यह यूक्रेन के प्रभावित क्षेत्र से एक हजार किलोमीटर से अधिक दूर है। वीडियो फुटेज में देखा गया कि कम से कम छह वारहेड ने यूक्रेन के डीनिप्रो क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है।
MIRV तकनीक के फायदे और चुनौतियां
MIRV तकनीक के जरिए एक ही मिसाइल से 1,500 किलोमीटर दूर तक स्थित कई लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। यह मिसाइल वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करते समय इतनी तेज गति से चलती है कि इसे रोकना बेहद कठिन हो जाता है। हालांकि, इसके खिलाफ एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है।
बता दें कि अमेरिका MIRV तकनीक विकसित करने वाला पहला देश था। साल 1970 में इसे ICBM और वर्ष 1971 में पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली मिसाइलों में इस्तेमाल किया गया था। सोवियत संघ ने भी 1970 के दशक में इस तकनीक को अपनाया था।
भारत ने हाल ही में अपनी ICBM अग्नि-5 के साथ MIRV तकनीक का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल पांच हजार किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखती है और कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकती है। इस तकनीक का विकास भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने किया है।