टोक्योः सोमवार रात जापान के दक्षिण-पश्चिमी क्यूशू क्षेत्र में 6.9 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। यह जानकारी देश की मौसम विज्ञान एजेंसी के हवाले से द एसोसिएटेड प्रेस ने दी। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, भूकंप का केंद्र 30 किलोमीटर की गहराई में था।
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि भूकंप मियाजाकी प्रांत के तट पर रात 9:19 बजे (स्थानीय समय) आया। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में इसकी तीव्रता जापानी पैमाने पर 0 से 7 के बीच 5 दर्ज की गई। यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) के अनुसार, भूकंप का केंद्र 37 किलोमीटर की गहराई पर था। खबर लिखे जाने तक तक किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं थी।
सुनामी की चेतावनी जारी
जापान टाइम्स के अनुसार, भूकंप के तुरंत बाद, एजेंसी ने मियाजाकी और कोची प्रान्तों के तटों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की। उसने बताया है कि समुद्र में एक मीटर तक ऊंची लहरें उठ सकती हैं। आस-पास के लोगों से तट से दूर रहने और ऊंचे स्थानों पर जाने का आग्रह किया गया है।
[Breaking News] A tsunami advisory issued for Miyazaki and Kochi prefectures has been lifted. Japanese authorities are still urging people working in the sea to exercise caution.
— NHK WORLD News (@NHKWORLD_News) January 13, 2025
जापान के सार्वजनिक प्रसारक एनएचके टीवी ने बताया कि मियाज़ाकी शहर में 20 सेंटीमीटर ऊंची सुनामी देखी गई, जहां लगभग 4 लाख लोग रहते हैं। एनएचके ने यह भी बताया कि एजेंसी यह जांच कर रही है कि यह भूकंप नानकाई ट्रफ से जुड़ा हुआ है या नहीं। पिछले साल अगस्त में एजेंसी ने नानकाई ट्रफ के लिए मेगा भूकंप की चेतावनी जारी की थी।
8 अगस्त, 2023 को जापान के क्यूशू और शिकोकू द्वीपों पर 6.9 और 7.1 तीव्रता के दो शक्तिशाली भूकंप आए थे। इस दौरान कई क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन कोई बड़ा नुकसान या जनहानि की सूचना नहीं मिली। वहीं पिछले साल 1 जनवरी को जापान के सुज़ु, वाजिमा और आसपास के इलाकों में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इस आपदा में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
जापान और रिंग ऑफ फायर
जापान का भौगोलिक स्थान इसे लगातार भूकंपों के प्रति संवेदनशील बनाता है। देश “रिंग ऑफ फायर” पर स्थित है, जो प्रशांत महासागर के चारों ओर फैले ज्वालामुखियों और भूकंप स्थलों की शृंखला है।
रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर के चारों ओर लगभग 40,250 किलोमीटर तक फैली एक अर्धवृत्त या घोड़े की नाल के आकार की क्षेत्र है। यह क्षेत्र यूरेशियन, नॉर्थ अमेरिकन, जुआन डी फुका, कोकोस, कैरेबियन, नाज़्का, अंटार्कटिक, इंडियन, ऑस्ट्रेलियन, फिलीपीन और प्रशांत जैसी बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है।
रिंग ऑफ फायर अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया, मेक्सिको, कनाडा, ग्वाटेमाला, रूस, चिली, पेरू और फिलीपींस सहित 15 अन्य देशों से होकर गुजरती है।
रिंग ऑफ फायर में भूकंप क्यों आते हैं?
रिंग ऑफ फायर में बार-बार भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों के लगातार खिसकने, टकराने या एक-दूसरे के ऊपर-नीचे होने के कारण आते हैं। प्लेटों के किनारे आपस में फंस जाते हैं जबकि बाकी हिस्सा चलता रहता है। जब प्लेटें पर्याप्त दूरी तक खिसक जाती हैं और किनारे अचानक “अनलॉक” हो जाते हैं, तो भूकंप आता है।
जापान में भूकंप का कारण प्रशांत प्लेट, फिलीपीन सी प्लेट, ओखोत्स्क प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच का परस्पर प्रभाव है।
रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखी क्यों हैं?
रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखियों की उपस्थिति भी प्लेटों की गति के कारण है। अधिकांश ज्वालामुखी “सबडक्शन” प्रक्रिया के माध्यम से बने हैं। यह प्रक्रिया तब होती है जब दो प्लेटें आपस में टकराती हैं और भारी प्लेट हल्की प्लेट के नीचे धंस जाती है।
यह प्रक्रिया गहरी खाई बनाती है। भारी प्लेट गर्म हो जाती है, जिसके कारण मैग्मा का निर्माण होता है। यह मैग्मा ऊपर की ओर उठता है और सतह पर ज्वालामुखी विस्फोट के रूप में फूटता है। दुनिया के अधिकांश सबडक्शन ज़ोन रिंग ऑफ फायर में स्थित हैं, इसलिए यह क्षेत्र बड़ी संख्या में ज्वालामुखियों का घर है।
पिछले सप्ताह तिब्बत में आए भूकंप ने मचाई तबाही
पिछले सप्ताह 7 जनवरी को तिब्बत क्षेत्र में डिंगरी काउंटी में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप के पीड़ितों की याद में सोमवार को एक स्मारक सेवा भी आयोजित की गई। सुबह 9.30 बजे, चामको टाउनशिप में सायरन गूंजने लगे, जहां यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। टाउनशिप स्क्वायर में एक विशाल बोर्ड लगा था, जिस पर सफेद मंदारिन और तिब्बती अक्षरों में डिंगरी भूकंप में मारे गए लोगों के लिए “गहरा शोक” लिखा हुआ था।
सरकारी अधिकारियों, बचावकर्मियों और स्थानीय निवासियों सहित सैकड़ों लोगों ने अपनी टोपियां उतारीं और मृतकों की याद में तीन मिनट तक मौन खड़े रहे। पुनर्वास स्थलों पर, कुछ प्रीफैब घरों में पारंपरिक तिब्बती मक्खन के दीये टिमटिमा रहे थे, जो अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए शोक मनाने का एक तरीका है।
तिब्बत में आए इस भूकंप में 126 लोगों की जान चली गई। सोमवार को भूकंप के बाद सातवां दिन था, जो मृतकों के लिए बौद्ध अनुष्ठानों का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।