प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौतों पर चर्चा की। भारत ने फ्रांस को डीआरडीओ द्वारा विकसित पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लांचर की पेशकश की, जबकि परमाणु ऊर्जा, पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों को लेकर भी अहम बातचीत हुई। मोदी ने अपनी पेरिस और मार्सिले यात्रा पूरी करने के बाद वाशिंगटन डीसी के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टर (AMR) के सह-विकास के लिए नई साझेदारी की घोषणा की गई। यह सहयोग अब तक महाराष्ट्र में प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर केंद्रित था, लेकिन अब इसे और विस्तार दिया जाएगा।

राफेल-एम सौदे पर अनिश्चितता, लेकिन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों पर चर्चा आगे बढ़ी

हालांकि, भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े 63,000 करोड़ रुपये के सौदे की औपचारिक घोषणा नहीं की गई। यह विमान आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत पर तैनात किए जाने हैं, जो नौसेना की युद्धक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

संयुक्त बयान में भारत में स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण और स्वदेशीकरण में हुई प्रगति की सराहना की गई। खासतौर पर, डीआरडीओ द्वारा विकसित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली के पी75-स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में एकीकरण और भविष्य की पी75-एएस पनडुब्बियों में एकीकृत लड़ाकू प्रणाली (ICS) के संभावित उपयोग पर चर्चा हुई।

पी75 परियोजना के तहत भारत ने छह स्कॉर्पीन-श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां विकसित की हैं, और अब पी75-एएस कार्यक्रम के तहत तीन अतिरिक्त पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 36,000 करोड़ रुपये के सौदे पर बातचीत हो रही है। डीआरडीओ की विकसित AIP तकनीक इन पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी के भीतर संचालन करने में सक्षम बनाएगी।

हिंद-प्रशांत में भारत-फ्रांस सहयोग और परमाणु ऊर्जा समझौते पर जोर

दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में त्रिकोणीय सहयोग की घोषणा की, जिसमें वे क्षेत्रीय भागीदारों के साथ काम करेंगे। फ्रांस के हिंद महासागर में रीयूनियन और मैयट द्वीपों, तथा प्रशांत महासागर में न्यू कैलेडोनिया और फ्रेंच पोलिनेशिया पर क्षेत्रीय नियंत्रण को देखते हुए, इस क्षेत्र में उसका रणनीतिक प्रभाव काफी मजबूत है। फ्रांस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) का 60% हिस्सा प्रशांत क्षेत्र में और 20% हिंद महासागर में स्थित है।

इसके अलावा, भारत और फ्रांस ने एसएमआर और एएमआर रिएक्टरों के सह-डिजाइन, सह-विकास और सह-उत्पादन में तेजी लाने की योजना बनाई है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह तकनीक अभी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी ऊर्जा-गहन प्रौद्योगिकियों को समर्थन देने के लिए परमाणु ऊर्जा आवश्यक होगी।

इस यात्रा से यह स्पष्ट हो गया कि भारत और फ्रांस रक्षा, परमाणु ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा में अपने सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।