पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा- ट्रेन रेस्क्यू खत्म, सभी हमलावर ढेर, 300 से अधिक बंधक छुड़ाए गए

बलूचिस्तान दशकों से हिंसक विद्रोह का शिकार रहा है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। यह पहली बार है जब बीएलए ने इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों को बंधक बनाया।

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सांकेतिक तस्वीर। Photograph: (ग्रोक)

बलूचिस्तानः पाकिस्तानी अधिकारियों ने बुधवार को पुष्टि की कि बलूचिस्तान ट्रेन रेस्क्यू समाप्त हो गया है। पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बुधवार को जवाबी कार्रवाई करते हुए सभी उग्रवादियों को मार गिराने का दावा किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन में करीब 350 बंधकों को मुक्त करा लिया गया है, लेकिन कुछ बंधकों की मौत हो गई। हालांकि, अधिकारियों ने मारे गए बंधकों की संख्या या उनकी पहचान के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी।

मंगलवार को दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जाफर एक्सप्रेस पर हमला हुआ, जिसमें करीब 500 यात्री सवार थे। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि उसने ट्रेन को पटरी से उतारकर अपने नियंत्रण में ले लिया था। समूह ने यह भी कहा है कि उसने 50 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया और 214 यात्रियों को, जिनमें सेना के कई जवान भी शामिल थे, बंधक बना लिया। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।

सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि आतंकवादी महिलाओं और बच्चों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने कहा, "अभियान अत्यधिक सावधानी और कौशल के साथ चलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान बच गई। आतंकवादियों की क्रूरता का शिकार हुए यात्रियों की संख्या का पता लगाया जा रहा है।" यह भी पता चला कि हमलावरों का हैंडलर, हमले के पीछे का मास्टरमाइंड, अफगानिस्तान के आतंकवादियों के साथ सक्रिय संपर्क में था।

बलूच लिबरेशन आर्मी की मांगें

बीएलए ने एक बयान जारी कर पाकिस्तानी सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। उनका कहना था कि यदि बलूच राजनीतिक कैदियों, कार्यकर्ताओं और लापता व्यक्तियों को रिहा नहीं किया गया, तो बंधकों को मार दिया जाएगा। समूह ने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि सैन्य कार्रवाई जारी रही, तो सभी बंधकों की हत्या कर दी जाएगी और ट्रेन को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाएगा। हालांकि, प्रांतीय सरकार और रेलवे अधिकारियों ने शुरुआत में बंधकों की स्थिति की पुष्टि नहीं की थी।

सरकारी ने क्या कहा?

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों को करारा जवाब दे रहे हैं। देश के गृह मंत्री मोहित नकवी ने भी हमले की निंदा करते हुए आतंकियों को "निर्दयी दरिंदे" करार दिया, जो निर्दोष यात्रियों को निशाना बना रहे थे। बलूचिस्तान सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन उपाय लागू किए और सुरक्षा बलों ने आतंकियों के साथ मुठभेड़ कर कई यात्रियों को बचाने में सफलता प्राप्त की।

हमले के अगले दिन, प्रधानमंत्री शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "दर्जनों आतंकियों को जहन्नुम भेज दिया गया है।" उन्होंने बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती से भी बातचीत कर स्थिति का जायजा लिया। शरीफ ने कहा कि पूरा देश इस त्रासदी से गहरे सदमे में है, लेकिन इस तरह के कृत्य पाकिस्तान की शांति के प्रति संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते।

बलूचिस्तान में बढ़ता उग्रवाद

गौरतलब है कि बलूचिस्तान दशकों से हिंसक विद्रोह का शिकार रहा है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। यह पहली बार है जब बीएलए ने इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों को बंधक बनाया। बीएलए इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों में अधिक हिस्सेदारी और स्वायत्तता की मांग करता रहा है। इस समूह ने पहले भी पाकिस्तानी सुरक्षा बलों, चीनी नागरिकों और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) से जुड़े बुनियादी ढांचे पर हमले किए हैं। पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि भारत इस विद्रोह का समर्थन कर रहा है, हालांकि भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है।

बढ़ता आतंकवाद और सुरक्षा चुनौतियां

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर 2022 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) द्वारा संघर्षविराम समाप्त करने के बाद। बलूचिस्तान की ईरान से सटी सीमा भी अस्थिरता को बढ़ावा देती है, क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे पर आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाते रहे हैं।

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