पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 15 मई को यह ऐलान किया है कि देश के सभी सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान लंबे समय के लिए लोन की मांग कर रहा है।

ऐसे में इसकी कड़ी शर्तों के कारण इस पर दबाव बना है जिससे पड़ोसी देश ने ऐसा फैसला लिया है। जियो न्यूज के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा है कि केवल रणनीतिक उद्यमों को छोड़कर चाहे सरकारी कंपनियां फायदे में चल रही है या फिर वे नुकसान में हैं, सभी का निजीकरण होगा।

डॉन अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले पाकिस्तान ने केवल घाटे में चल रही है सरकारी कंपनियों के निजीकरण करने का फैसला लिया था। शहबाज शरीफ के अनुसार, सबसे पहले घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों का निजीकरण होगा और उसके बाद मुनाफे वाले कंपनियों की बोली लगेगी।

सरकारी कंपनियों के निजीकरण के प्रोसेस को तेज करने के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल की नियुक्ति भी की जाएगी।

पीआईए से शुरू होगा निजीकरण

शहबाज शरीफ ने कहा है कि आर्थिक रूप से संघर्ष करती पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) सहित राज्य के स्वामित्व वाले सभी कंपनियों को प्राइवेट इंवेस्टर को बेच दिया जाएगा।

उनके अनुसार, 'बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है, सरकार का काम देश में व्यापार और निवेश के लिए बेहतर माहौल देना है।' चुनौतियों का सामना कर रही पीआईए देश की तीसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र इकाई बन गई जो घाटे में चल रही है। पीआईए को हर महीने 11.5 बिलियन रुपए चाहिए ताकि वे अपने कर्ज का भुगतान कर सकें।

पहले चरण में पीआईए की बोली लगाई जाएगी और फिर अन्य कंपनियों का निजीकरण होगा। पीआईए और अन्य सरकारी कंपनियों की बोली का सीधा प्रसारण टीवी में होगा।

कुछ रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पीआईए के निजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में सरकारी कंपनियों के निजीकरण करने को लेकर एक रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है और इसे 'प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम 2024-2029' का नाम दिया गया है।

निजीकरण के पीछे क्या है कारण

पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की साल 2023 के एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 88 सरकारी कंपनियां हैं। ऐसे में पहले चरण में 12 कंपनियों की बोली लगने वाली है। इन कंपनियों में पीआईए और फिर बिजली कंपनियों का निजीकरण होगा।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान अपने राजकोष के बोझ को कम करना चाहता है और निजीकरण के जरिए आर्थिक स्थिरता में सुधार लाना चाहता है। हालांकि पाकिस्तान ने हाल में अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में कामयाब रहा है लेकिन अभी भी इसका राजकोषीय घाटे का सामना कर पड़ रहा है।