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इस्तांबुल: पाकिस्तानी सेना के चीफ और हाल में फील्ड मार्शल बनाए गए असीम मुनीर ने इस्तांबुल में रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मुलाकात की। वे पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के साथ तुर्की पहुंचे हैं। पाकिस्तानी पीएम और पाकिस्तानी सेना के चीफ का तुर्की दौरा भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कुछ दिन बाद ही हो रहा है।
पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवादियों के 9 ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने भारत पर कार्रवाई शुरू दी थी। भारत ने भी इसका जवाब दिया था और इस दौरान दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। इस तनाव के बीच तुर्की खुल कर पाकिस्तान के समर्थन में आया था।
चार 'मित्र देशों' के दौरे पर मुनीर के साथ शरीफ!
पाकिस्तानी पीएम शरीफ भारत के साथ हालिया संघर्ष के दौरान समर्थन के लिए आभार व्यक्त करने के लिए कथित 'मित्र' देशों के चार देशों के दौरे पर हैं। वैसे, इसमें सबसे दिलचस्प और हैरान करने वाली बाद असिम मुनीर का भी साथ जाना है। किसी राष्ट्राध्यक्ष के साथ आधिकारिक विदेश यात्रा के दौरान किसी सैन्य जनरल का होना बहुत ही असामान्य तरह की बात है।
इससे यह संकेत भी जाता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति को आकार देने और आंतरिक शासन को प्रभावित करने में पाकिस्तानी सेना की भूमिका कितनी शक्तिशाली है। कई विशेषज्ञ अक्सर यह कहते हैं कि पाकिस्तान की राजधानी भले ही इस्लामाबाद हो लेकिन उसकी अहम योजनाएं रावलपिंडी में तैयार होती हैं, जहां पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय भी है।
शरीफ और किन देशों की यात्रा पर जाएंगे?
सामने आई जानकारी के अनुसार शरीफ के साथ पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, सूचना और प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार, विशेष सहायक तारिक फातमी और सेना प्रमुख मुनीर इन देशों की यात्रा पर हैं। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के अनुसार, तुर्की के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ 25 से 30 मई तक ईरान, अजरबैजान और ताजिकिस्तान की यात्रा पर होंगे।
इस बीच तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया है कि शहबाज और एर्दोगन में उर्जा, व्यापार, परिवहन और रक्षा के क्षेत्रों में बात हुई। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और इसे 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य पर भी बात हुई। एर्दोगन ने ये भी कहा कि दोनों देशों को खुफिया जानकारी साझा करने, तकनीकी मदद और प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए।