इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कुछ कट्टरपंथियों द्वारा एक शख्स को मारने और फिर बीच सड़क पर उसे जलाए जाने का मामला सामने आया है। स्थानीय पुलिस ने बताया कि उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा के स्वात की मडयान तहसील में गुस्साई भीड़ ने कुरान को अपवित्र करने के एक कथित आरोपी व्यक्ति की हत्या की और फिर उसे जला दिया।
इस दौरान 8 अन्य लोग भी घायल हुए हैं। साथ ही स्थानीय पुलिस स्टेशन भी क्षतिग्रस्त हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सियालकोट जिले के मोहम्मद इस्माइल नाम के व्यक्ति को कथित तौर पर पवित्र कुरान के पन्ने जलाते हुए पकड़ा गया था। पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया था लेकिन गुस्साई भीड़ ने उसे छोड़ने को कहा। पुलिस ने जब बात नहीं मानी तो भीड़ उग्र हो गई और हिंसा शुरू हो गई। हालात तब और बिगड़ गए जब भीड़ ने पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया।
आरोपी को गोली मारी फिर जला दिया…
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच कुछ लोग पुलिस स्टेशन में घुसने में कामयाब हो गए। उन्होंने संदिग्ध को गोली मार दी और उसके शव को घसीटकर मडयान अड्डा ले जाया गया और लटका दिया गया। बाद में इसे उतारकर जला दिया गया। सोशल मीडिया पर इस विभत्स घटना के वीडियो वायरल हो रहे हैं। सामने आए वीडियो नजर आ रहा है कि शव जमीन पर पड़ा हुआ और उसमें आग लगी हुई है। जबकि भीड़ उसके चारो ओर खड़ी है।
पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ के अनुसार स्वात जिला पुलिस अफसर (डीपीओ) जाहिदुल्लाह खान ने बताया है कि घटना के बाद मडायन में फिलहाल बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। स्वात घाटी में मडयान एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। बताया जा रहा है कि मारा गया आरोपी भी यहां घूमने आया था। यह प्रांतीय राजधानी पेशावर से लगभग 245 किलोमीटर दूर है।
इस बीच खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन ने घटना पर प्रांतीय पुलिस प्रमुख से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक को क्षेत्र को स्थिर करने के लिए आपातकालीन उपाय करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह भी किया है।
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के बाद धर्म के नाम पर हिंसा
जनरल जियाउल हक के कार्यकाल में ईशनिंदा पर मौत की सजा देने के प्रवाधान बाद से पाकिस्तान में गैर-मुसलमानों के खिलाफ हिंसा तेजी से बढ़ी है। 1927 और 1986 के बीच वर्तमान पाकिस्तान में ईशनिंदा की केवल 14 घटनाएं दर्ज की गई थी। हालांकि कानून में बदलाव के बाद यह संख्या तेजी से बढ़ी है।
‘द डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार 1987 से 2022 के बीच कम से कम 2,120 लोगों पर ईशनिंदा करने का आरोप लगाया गया। पिछले महीने भी पुलिस ने कुरान के अपमान के आरोप में सरगोधा में उग्र लोगों से एक ईसाई शख्स को बचाया था। हालांकि नौ दिन बाद चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। साल 2022 में भी खानेवाल जिले के एक दूरदराज के गांव में कथित ईशनिंदा को लेकर भीड़ ने एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति की पत्थर मारकर हत्या कर दी थी।