इस्लामाबाद: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के टॉप कमांडर अबू कताल को पाकिस्तान में मार दिया गया है। ऐसे में अब लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद पर भी हमला होने की खबर है। ऐसे में सईद के करीबी सहयोगी, अबू कताल की हत्या के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सईद की सुरक्षा की समीक्षा की और उनके घर को एक सब-जेल में बदल दिया गया है, इस बात की पुष्टि पाकिस्तानी पत्रकार अजाज सईद ने भी की है। हाफिज सईद पर कई बार जानलेवा हमला हुआ लेकिन वह हर बार बच निकलने में कामयाब रहता है। हालांकि हाफिज सईद के घर को अब नियंत्रित हिरासत में बदल दिया गया है, जहां प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।

जियो न्यूज के रिपोर्टर एजाज सईद ने बताया है कि लगातार इस तरह की बातें चल रही हैं कि हाफिज सईद को कत्ल कर दिया गया है। ये बात तो सही नहीं है लेकिन ये सही है कि हाफिज सईद खतरे में है। सईद पर पहले भी हमले हुए हैं। दरअसल अबू कताल सिंधी को हाल ही में अज्ञात लोगों ने गोली मार दी है। कताल काफी एक्टिव रहा था तो इन गुटों में तो ये कहा जाने लगा कि उसके साथ सईद को भी मार दिया गया है।

मारा गया लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी अबू कताल

लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का खतरनाक आतंकवादी अबू कताल पाकिस्तान में मारा गया। अबू कताल 2023 के राजौरी हमले और 2024 के रियासी बस हमले में वांछित था। अबू कताल को फैसल नदीम के नाम से भी जाना जाता था। उसकी देर रात अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। जम्मू-कश्मीर में कई घातक हमलों को अंजाम देने में अपनी भूमिका के कारण कताल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और भारतीय सेना सहित भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य था।

कश्मीर में आतंकी साजिश रचता था अबू कताल

26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के करीबी सहयोगी ने 9 जून, 2024 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हुए हमले में अहम भूमिका निभाई थी। उसके नेतृत्व में किए गए इस हमले में कई लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। इस कारण क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी नई चिंताएं पैदा हो गई थीं। अबू कताल 2023 के राजौरी आतंकवादी हमले में भी शामिल था, जहां आतंकवादियों ने 1 जनवरी को ढांगरी गांव में नागरिकों को निशाना बनाया और अगले दिन आईईडी विस्फोट किया था। समन्वित हमलों में दो बच्चों समेत सात लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। एनआईए की जांच में अबू कताल का नाम प्रमुख रूप से सामने आया, जिसमें पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलरों की भूमिका उजागर हुई, जो आतंकवादियों को सीमा पार भेजने और नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए भर्ती करते थे।