इस्लामाबाद: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए ग्लोबल टेरेरिस्ट मसूद अजहर को पाकिस्तान सरकार 14 करोड़ पाकिस्तानी रुपये मुआवजा दे सकती है। दरअसल, ये मुआवजा उसे भारतीय सेना की तरफ से पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई में पूरे परिवार के मारे जाने के बाद मिल सकती है। इस कार्रवाई में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी मारे गए थे। अब शहबाज शरीफ की सरकार ने उसे 14 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है, जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान की सरकार कैसे आतंकवादियों का साथ देती है।

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पीओके और पाकिस्तान में हवाई हमले किए गए। ये हमले जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य ट्रेनिंग बेस, मार्कज सुभान अल्लाह पर किए गये थे। यह जगह बहावलपुर के पास कराची-तोर्खम हाईवे पर है, जो करीब 15 एकड़ में फैला हुआ है। यहां मसूद अजहर खुद, जैश का असली मुखिया मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और दूसरे बड़े आतंकी भी रहते थे। मसूद के भाई रउफ के भी मरने की खबर इसके बाद आई।  पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक स्ट्राइक में रउफ भी मारा गया।  इन मौतों की खबर सुन मसूद काफी परेशान हो गया।  मसूद ने पत्र लिखकर कहा कि अब मुझे भी जीने की इच्छा नहीं है।  मैं भी अब मरना चाहता हूं। 

मसूद ही इन आतंकियों के पालनकर्ता

मसूद परिवार से जुड़े जितने भी आतंकवादी मारे गए हैं, सभी का पालनकर्ता मसूद ही है।  मसूद के बहनोई उसी के मदरसे में बच्चों को ट्रेंड करने का काम करता था।  बहन भी मसूद के घर पर ही रहती थी।  इसी तरह उसका भाई भी जैश से जुड़ा था और कंधार प्लेन हाईजैक केस का सरगना था।  यानी मुआवजे की जो राशि घोषित की गई है, उसके तहत हर आतंकवादी पर एक-एक करोड़ की राशि मसूद को दी जाएगी।  हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया है कि बहावलपुर में मरे लोगों का पैसा मसूद अजहर को ही दिया जाएगा। 

भारतीय सेना ने लिया पहलगाम हमले का बदला 

भारतीय सेना ने हाल ही में हुए पहलगाम हमले का बदला लिया है। इस हमले में एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोग मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें तबाह कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने कहा था कि "यह ऑपरेशन सटीक था, सोच-समझकर किया गया था और इससे स्थिति बिगड़ने का खतरा नहीं था।"

बता दें कि मसूद अजहर एक ग्लोबल आतंकवादी है। उसे साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने "ग्लोबल टेररिस्ट" घोषित किया था। वह भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए कोई नया नाम नहीं है। उसने 2019 में पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की साजिश रची थी। इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। उसका नाम 2001 में संसद पर हुए हमले में भी आया था। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर आ गए थे।